प्रधानमंत्री ने 2024 तक ‘हर घर जल’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी, सेवा वितरण और सामुदायिक भागीदारी के उपयोग पर जोर दिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जल और स्वच्छता पर केंद्रीय बजट 2022 के सकारात्मक प्रभाव के कुशल और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ‘कोई नागरिक पीछे न छूटे’ विषय पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि रणनीति विकसित करें, प्रगति की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें और जवाबदेही तय करें क्योंकि देश ने इस वर्ष ग्रामीण घरों में लगभग 4 करोड़ नल के माध्यम से जल के कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री,  श्री प्रहलाद सिंह पटेल, जल शक्ति राज्य मंत्री श्री बिश्वेश्वर टुडू, डीडीडब्ल्यूएस सचिव, श्रीमती विनी महाजन, डीडीडब्ल्यूएस अपर सचिव श्री अरुण बरोका के साथ-साथ डब्ल्यूएएसएच, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, सरकारी अधिकारियों, उद्योग और क्षेत्र के तकनीकी विशेषज्ञों के रूप में प्रमुख हितधारक उपस्थित थे। वेबिनार की यह श्रृंखला कार्यक्रम के तहत जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श और संवाद के नवीन अभ्यास का एक अंग है।

वेबिनार को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक स्पष्ट रोडमैप बनाया जाना चाहिए ताकि राज्य/केंद्रशासित प्रदेश निर्धारित समय सीमा के भीतर लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्यों, पहाड़ी क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा  कि ग्रामीण विकास को सर्वाधिक वरीयता दी जानी चाहिए और गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए। 2024 तक नल के माध्यम से जल कनेक्शन के साथ हर ग्रामीण घर तक जल पहुंचने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निधियों की कोई कमी नहीं है।

 

ग्रामीण विकास पर केंद्रीय बजट के सकारात्मक प्रभाव पर वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (Insert link: https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1800489 )

 

वेबिनार का संयोजन ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया गया था जिसमें दस अलग-अलग मंत्रालयों ने “कोई नागरिक पीछे न छूटे” विषय के तहत भागीदारी की। हर घर जल और हर घर उज्ज्वला पर प्रारंभिक सत्र में पैनलिस्ट के रूप में एल एंड टी कार्यकारी वीपी और प्रमुख श्री के अशोक कुमार,  वॉश यूनिसेफ इंडिया के प्रमुख श्री निकोलस ऑस्बर्ट, आवास और शहरी विकास ओडिशा के प्रमुख सचिव श्री जी मथी वथनन,  सोलिनास इंटिग्रिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री दिवांशु कुमार, टाटा केमिकल्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आर. मुकुंदन, वीपी टाटा संस के श्री गिरीश कृष्णमूर्ति,  इंजीनियरिंग स्टाफ कॉलेज हैदराबाद के श्री रामेश्वर राव, कृषि विकास बनाम ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान बुलडाना के श्री अमित नाफड़े, हिमालयन पर्यावरण संस्थान देहरादून के डॉ कमल बहुगुणा, कोयंबटूर के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता श्री गोपाल कृष्णन और शहरी विकास उत्तराखंड के सचिव श्री  शैलेश बगौली शामिल हुए। इस सत्र का संचालन पेयजल एवं स्वच्छता सचिव श्रीमती विनी महाजन ने किया।

‘हर घर जल’ पर प्रारंभिक सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत के द्वारा की गई। इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुरक्षित पेयजल का स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है और जल जनित रोगों के मामलों में कमी आती है। उन्होंने कहा कि जेजेएम, 15वें वित्त आयोग, एसबीएम, मनरेगा से प्राप्त धन का उपयोग जल स्रोत सुदृढ़ीकरण और भूजल पुनर्भरण के लिए किया जाना चाहिए।

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श्री शेखावत ने कहा कि जल जीवन मिशन ने महिलाओं और युवतियों के द्वारा लंबी दूरी तय करके लाए जाने वाले पानी के कारण होने वाली कठिनाई को काफी हद तक कम किया गया है। आज ढाई साल की छोटी सी अवधि में 9 करोड़ से अधिक घरों में नल के माध्यम से जल का कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। आकांक्षी जिलों में 1.37 करोड़ घरों को नल का पानी मिला है, जबकि जेई-एईएस जल गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र में 1.23 करोड़ घरों को स्वच्छ नल के माध्यम से जल मिल रहा है।

 

इस अवसर पर अपने संबोधन में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि गति को तेज करने की आवश्यकता है ताकि 2024 तक हर ग्रामीण घर तक जल पहुंचाने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके, इसके लिए डीपीआर को एक निश्चित समय सीमा में तैयार और अनुमोदित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पानी की गुणवत्ता से प्रभावित और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की बस्तियों में काम को प्राथमिकता देने का प्रयास किया जाना चाहिए, चाहे वे समाज के किसी भी सामाजिक-आर्थिक स्तर के हों और इसके लिए कोई व्यक्ति पीछे  न छूटे के लक्ष्य के साथ काम किया जाना चाहिए। सरकार में निविदा प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए ताकि समय की बर्बादी न हो। पारदर्शिता और जवाबदेही में विश्वास रखते हुए कार्यक्रम के तहत प्रगति के संबंध में सभी जानकारी डैशबोर्ड पर देखी जा सकती है।

डीडीडब्ल्यूएस के सचिव ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय बजट के तहत 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। हर घर जल महिलाओं और युवा लड़कियों के कठिन परिश्रम को समाप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि वे दैनिक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पीने के पानी की तलाश में लंबी दूरी तय करती हैं। पानी को सुरक्षित बनाने के लिए गांवों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

एलएंडटी के पूर्व वीपी और प्रमुख श्री के. अशोक कुमार ने कहा कि ‘हर घर जल’ केन्द्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। जबकि देश अपनी 50% आबादी को नल के पानी के कनेक्शन के साथ प्रदान करने के करीब है, ऐसे में संयुक्त बहु-ग्राम और एकल स्तर पर स्वीकृति योजना को विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें विभिन्न विभागों से भूमि अधिग्रहण शामिल होना चाहिए।

यूनिसेफ के वॉश प्रमुख श्री निकोलस ऑस्बर्ट ने कहा कि “‘हर घर जल’ योजना राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिखाती है क्योंकि इस योजना के कार्यान्वयन के लिए बड़ी धनराशि आवंटित की गई है जो बदले में वैश्विक स्तर पर एसडीजी को प्राप्त करने के की दिशा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कोविड की तीन स्वास्थ्य आपदाओं के बावजूद लगभग 7.55 मिलियन सूक्ष्म रोजगार सृजित किए गए हैं जो महत्वपूर्ण है। सुरक्षित और स्वच्छ जल ने गरिमा के साथ ‘ईज़ ऑफ लिविंग’ के साथ महिलाओं और कम सुविधाओं से युक्त आबादी के जीवन में काफी सुधार किया है।

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वीपी टाटा संस के श्री गिरीश कृष्णमूर्ति ने जल जीवन मिशन द्वारा विकसित मोबाइल ऐप के संदर्भ में चर्चा की और यह विभिन्न हितधारकों द्वारा कार्यक्रम की डिजिटल निगरानी के मामले में एक लंबा मार्ग तय करता है। उन्होंने कहा कि टाटा समूह देश के 10 राज्यों में फैली अपनी 15 पायलट परियोजनाओं के माध्यम से सरकार का समर्थन कर रहा है।

कृषि विकास बनाम ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान बुलडाना के श्री अमित नफड़े ने ग्राम कार्य योजना विकसित करते समय सामुदायिक जुड़ाव के महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि एक जल साक्षर मोबाइल एप्लिकेशन विकसित की गई है जिसे जमीनी स्तर के हितधारकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान गठित समूह प्रशिक्षण के बाद भी अपने अनुभव साझा कर रहे हैं और नियमित आधार पर उनके सामने आने वाली समस्याओं का समाधान खोजने में एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं।

हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट देहरादून उत्तराखंड कार्यान्वयन सहायता एजेंसी के रूप में कार्यरत है। संस्थान के डॉ कमल बहुगुणा ने इस क्षेत्र से जुड़े अपने अनुभवों  को साझा करते हुए बताया कि कैसे जल समिति द्वारा आधारभूत सर्वेक्षण किया जा रहा है। झरनों सहित मौजूदा जल स्रोतों को मजबूत करने का प्रयास किया जाता है ताकि कार्यक्रम की स्थिरता सुनिश्चित हो सके। लोग जेजेएम के दिशा-निर्देशों के अनुसार बुनियादी ढांचे के विकास में इसकी निधि का 5 फीसदी योगदान दे रहे हैं।

डीडीडब्ल्यूएस की सचिव श्रीमती विनी महाजन ने सत्र की जानकारी का सारांश देते हुए विभिन्न पैनलिस्टों द्वारा उल्लेखित मुख्य अंशों को साझा किया। इस सत्र में हुई चर्चा और इस दौरान मिले सुझाव प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के दृष्टिकोण के सही मायने में प्रतिबिंब हैं। 100 जिलों, 1,144 ब्लॉकों, 66,763 ग्राम पंचायतों और 1,37,940 गांवों में ‘हर घर जल’ की सुविधा उपलब्ध हैं। तीन राज्यों- गोवा, तेलंगाना और हरियाणा और तीन केंद्र शासित प्रदेशों- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, डी एंड एन हवेली और दमन और दीव एवं पुडुचेरी ने 100 प्रतिशत नल जल कवरेज प्रदान की गई है। अन्य राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और जल्द ही शत-प्रतिशत कवरेज हासिल करने के करीब हैं। इनमें से पंजाब 99%, हिमाचल प्रदेश 93%, गुजरात 92% और बिहार 90% पर है। इन सभी ने नल के माध्यम से हर ग्रामीण घर तक जल को पहुंचाने की समय सीमा 2022 निर्धारित की है।

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