लक्ष्य जीरो डंपसाइट: केंद्र सरकार ने राजस्थान में 250 करोड़ रुपये के विरासती अपशिष्ट उपचार को मंजूरी दी

‘… स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का लक्ष्य गारबेज फ्री शहर यानी ऐसा शहर बनाना है जो कचरे के ढेर से पूरी तरह मुक्त हो।’

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

 

राजस्थान भौगोलिक रूप से सबसे बड़ा राज्य है, जो 3.4 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। प्रकृति के साथ इसका सदियों पुराना रिश्ता है। अरावली पर्वत श्रृंखला, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी 25 फीसदी आबादी शहरी इलाके में रहती है। राज्य ने 2014 से स्वच्छ भारत मिशन शहरी (एसबीएम-यू) के तहत अपने शहरी निवासियों के लिए विशिष्ट ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पहलों के साथ-साथ 3.5 लाख से ज्यादा व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) और 31,000 से ज्यादा सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया है।

 

राज्यभर में, 198 शहरी स्थानीय निकायों से रोज 4,800 मीट्रिक टन (एमटी) नगरपालिका ठोस अपशिष्ट पैदा होता है। वैसे, इसके 99 फीसदी वार्डों में घर-घर कचरा उठाया जाता है, लेकिन केवल 28 प्रतिशत कचरे को ही वैज्ञानिक रूप से परिष्कृत किया जाता है और ज्यादातर बिना परिष्कृत कूड़ा पास के डंपसाइट्स पर पहुंच जाता है। डूंगरपुर (स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में 25 हजार-50 हजार जनसंख्या वाली श्रेणी में ‘सबसे स्वच्छ शहर’) जैसे शहरों द्वारा किए गए बेहतरीन कार्यों के बावजूद, राजस्थान स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में ‘100 से अधिक यूएलबी’ श्रेणी में 14 राज्यों में 11वें स्थान पर रहा। ऐसे में राज्य के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वह आने वाले दिनों में स्रोत पर ही कचरे को अलग करने, अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमताओं में सुधार करने और इसके पुराने डंपसाइटों का उपचार शुरू करने के लिए तत्काल कदम उठाए।

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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 अक्टूबर 2021 को अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) 2.0 के साथ स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का शुभारंभ किया गया था। एसबीएम-यू 2.0 का विजन ‘कचरा मुक्त शहरों’ के लिए स्थायी स्वच्छता और वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रसंस्करण हासिल करना है। राष्ट्र का फोकस सिंगल यूज (एकल उपयोग में आने वाले) प्लास्टिक को समाप्त करने, निर्माण और विध्वंस कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण को सुनिश्चित करने और अपशिष्ट से खाद, अपशिष्ट से ऊर्जा और सामग्री रिकवरी सुविधाओं की स्थापना पर है। राज्य के लिए एसबीएम-यू 2.0 के लिए बजटीय आवंटन 1765.80 करोड़ रुपये है, जो 2014-19 के दौरान एसबीएम-यू में हुए 705.46 करोड़ के आवंटन से 2.5 गुना ज्यादा है और इसमें से राजस्थान उपलब्ध धनराशि का 87 फीसदी दावा कर चुका है।

 

एसबीएम-यू 2.0 के तहत, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) क्षमता निर्माण कार्यशालाओं के माध्यम से राजस्थान के स्थानीय स्वशासन विभाग (एलएसजीडी) के साथ लगातार मिलकर काम रहा है, और राज्य के क्षमता निर्माण के लिए प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कार्ययोजना तैयार करने पर सत्र आयोजित कर रहा है। हाल ही में, 24 शहरों में मौजूद 45.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक पुराने कचरे के उपचार के लिए राज्य द्वारा पेश किए गए 250.15 करोड़ के प्रस्तावों का अनुमोदन देकर एमओएचयूए द्वारा राज्य को बढ़ावा दिया गया है।

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पिंक सिटी जयपुर राजस्थान की राजधानी है और राज्य में सबसे अधिक विरासती कचरा यहां होता है। जयपुर शहर अपने शहरी परिदृश्य को बदलने, अपने निवासियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और शहर की महत्वपूर्ण 147 एकड़ भूमि को वापस उपयोग में लाने के लिए अपने 11.9 लाख मीट्रिक टन विरासती कचरे का उपचार करने की तैयारी कर रहा है। बीकानेर नगर निगम शहर के डंपसाइट में पड़े करीब 6.65 लाख एमटी कचरा का उपचार करने के लिए तैयार है, उधर हेरिटेज सिटी जोधपुर की भी 17 एकड़ उपयोगी भूमि को फिर से पाने और करीब 4 एमटी विरासती कचरे का उपचार करने की योजना है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि उपचार के इस प्रयास से पूरे राज्य में 473 एकड़ (करीब) कीमती भूमि का उपयोग किया जा सकेगा, जो फिलहाल दशकों पुराने कचरे के नीचे दबी है।

 

विरासती कचरे का उपचार राज्य को कचरा मुक्त बनाने के उसके अपने सपने के करीब ले जाएगा और मिशन की अवधि के भीतर ‘लक्ष्य जीरो डंपसाइट’ हासिल करने में भी राज्य की मदद करेगा।

 

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