उपराष्ट्रपति ने जनप्रतिनिधियों को उच्च मानकों को बनाए रखने और संसद व विधायिकाओं की गरिमा की रक्षा करने की सलाह दी

 उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज जनप्रतिनिधियों को उच्च मानकों को बनाए रखने और संसद व अन्य शीर्ष संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा व पवित्रता की रक्षा करने की सलाह दी है।

उपराष्ट्रपति ने गोवा राजभवन के परिसर में एक नवनिर्मित अत्याधुनिक दरबार हॉल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने संसद में बाधा और कुछ विधानसभाओं में हुई हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। श्री नायडू ने कहा अगर जनप्रतिनिधि बजट या किसी संबोधन को पसंद नहीं करते हैं तो वे उसकी आलोचना कर सकते हैं और ऐसी किसी भी चीज से बचना चाहिए, जिससे लोकतंत्र कमजोर होता हो। उन्होंने आगे कहा, “हमें इन संस्थानों का सम्मान जरूर करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि सबसे बड़े संसदीय लोकतंत्र के रूप में भारत शांतिपूर्ण बदलाव या चुनावों के दौरान शासन को जारी रखने के जरिए विश्व के बाकी हिस्सों के लिए एक महान उदाहरण स्थापित कर रहा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, “लोकतंत्र में अगर आप किसी चीज को पसंद नहीं करते हैं, तो आप उसकी आलोचना कर सकते हैं, आप शांतिपूर्ण तरीके से इसे समझा सकते हैं व विरोध कर सकते हैं और अपनी बारी की प्रतीक्षा कर सकते हैं। हमें लोगों के जनादेश का सम्मान करने के लिए धैर्य रखना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने सभी जन प्रतिनिधियों से आजादी का अमृत महोत्सव में हिस्सा लेने और आत्मनिर्भर भारत की गति बढ़ाने में अपना योगदान देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सुधार के जरिए देश और लोगों के जीवन को रूपांतरित करने की इच्छा रखते हैं।

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उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी देश गरीबी, निरक्षरता, क्षेत्रीय असमानताओं, सामाजिक और लैंगिक भेदभाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है और यह हर सरकार व व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह उन सब को समाप्त करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें।

विभिन्न सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के अलावा उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों का ध्यान शहरी-ग्रामीण विभाजन को खत्म करने, गरीब से गरीब व्यक्तियों के उत्थान और महिलाओं को पूरी तरह से सशक्त बनाने पर होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “हमें इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि भारत एक मजबूत, स्थिर और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ सके।”

उन्होंने कहा कि भारत को कभी विश्वगुरु के नाम से जाना जाता था, जो हमेशा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता था और कभी किसी देश पर हमला नहीं करता था। उन्होंने कहा, “हम “सर्व जन सुखिनो भवन्तु” में विश्वास करते हैं और साझा करना व देखभाल करना भारतीय दर्शन के मूल में है।

गोवा को एक विशेष स्थान बताते हुए श्री नायडू ने कहा, “अपनी सांस्कृतिक व भाषाई विविधता, सुंदर भव्यता और यहां के लोगों की गर्मजोशी व आतिथ्य के साथ गोवा का मेरे हृदय में हमेशा एक विशेष स्थान रहा है।” उन्होंने कहा कि गोवा प्राकृतिक सुंदरता, व्यापक वन क्षेत्र, वनस्पतियों व जीवों की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ भारत के पर्यटन स्थलों के शीर्ष पर बना हुआ है।

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श्री नायडू ने कहा कि प्राकृतिक सुंदरता के अलावा गोवा की एक स्वस्थ सामाजिक – राजनीतिक संस्कृति भी है। उन्होंने गोवा की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं व भाषाई, साहित्यिक विरासत के संरक्षण का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा, “गोवा की संस्कृति, त्योहारों और इसके पारंपरिक व्यंजनों की समृद्ध विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करना महत्वपूर्ण है।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि गोवा की कई प्रभावशाली उपलब्धियों में यह तथ्य भी है कि यहां प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है और देश के सबसे कम गरीब राज्यों की सूची में यह शीर्ष पर है।

श्री नायडू ने दरबार हॉल की भव्य संरचना की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अपनी पारदर्शी दीवारें और चौड़े बरामदे के साथ यह भवन गोवा की वास्तुकला का प्रतिबिंब है। उन्होंने आगे इसका उल्लेख किया कि 800 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता वाला दरबार हॉल, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम के बाद गोवा में दूसरा सबसे बड़ा हॉल है।

इस अवसर पर गोवा के राज्यपाल श्री पी.एस. श्रीधरन पिल्लई, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग व पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक, गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता श्री दिगंबर कामत और अन्य उपस्थित थे।

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