केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (Land Ports Authority of India) के 10वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया

गृह मंत्रालय के सभी उपक्रमों में लैंडपोर्ट अथॉरिटी की आयु सबसे कम है लेकिन 10 साल के छोटे से अंतराल के बावजूद इस प्राधिकरण ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बहुत बड़ी यात्रा पूरी की है जो सच्चे अर्थों में बहुत ही सराहनीय है

यह वर्ष हमारी आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के हर क्षेत्र, हर इकाई को यह लक्ष्य तय करने का काम दिया है कि जब हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे उस वक्त वह इकाई कहा खड़ी होगी

 प्रधानमंत्री जी ने 75 साल से 100 साल की इस यात्रा को अमृत काल के रूप में व्याख्यायित किया है, ये 25 वर्ष भारत को महान बनाने और परिश्रम की पराकाष्ठा करने के 25 वर्ष हैं

 लैंड पोर्ट अथॉरिटी को भी अपने 25 साल का खाका बनाना चाहिए कि इन 25 वर्षों में भूमि मार्गों से अपने पड़ोसी देशों और पड़ोसी देशों से आगे भी हमारे व्यापार का क्या लक्ष्य होगा

 हमें सुरक्षा की दृष्टि से सभी अत्याधुनिक तकनीक को अपनाते हुए एक अभेद्य सुरक्षा का चक्र बानने के लक्ष्य भी तय करने पड़ेंगे

 इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पाँच- पाँच साल के 5 स्पैन बनाने चाहिए और इनमें एक-एक साल का भी लक्ष्य तय होना चाहिए और उसकी वार्षिक विमांसा भी होनी चाहिए तभी हमें अपने लक्ष्यों की सिद्धि होगी

हमारी 15,000 किलोमीटर की भूमि सीमा है और इसमें हर 50 किलोमीटर पर अलग-अलग चुनौतियां हैं

 शायद ही किसी देशों की भूमि सीमा इतनी चुनौतीपूर्ण होगी जितनी भारत की है और शायद ही किसी देश में भूमि सीमा इतने अवसर (Opportunity) रखती होगी जितनी भारत की भूमि सीमा के साथ है

आज मोदी जी के नेतृत्व में भारत आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, आने वाले 10 वर्षों के अंदर विश्व के सभी उत्पादन के हब देशों में भारत अपना प्रमुख स्थान सुनिश्चित कर लेगा इसमें कोई दोराय नहीं है

हम भारत के उत्पादों को बाहर भेजने के लिए हमारी भूमि सीमा से सटे आसपास के 7 देशों से व्यापार के लिए सुविधा खड़ी करेंगे

अगर हम पूरे देश के भूगोल और इतिहास का बारीकी से अध्ययन करें तो हमें पता चलेगा कि दुनियाभर में भारत एक मात्र ऐसा देश है जो भू-सांस्कृतिक ( Geo Cultural) देश है

 दुनियाभर के बहुत सारे देश भू-राजनीतिक ( Geo Political) देश हैं जबकि पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा अकेला देश है जिसे हम विशुद्ध रूप से भू-सांस्कृतिक देश मानते हैं

 अनेकविध भाषाओं, अनेकविध संस्कृति, खानपान और वेषभूषा में विविधता के बावजूद हम एक समान संस्कृति से जुड़कर एक देश बने हैं

अगर हम इस यात्रा का ध्यान से अध्ययन करते हैं तो इसमें भूमि मार्गों का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि इन मार्गों के माध्यम से ही पूरे एशिया में कोई ना कोई हमारी भारतीय संस्कृति का ध्वज लेकर गया है और उसे वहां फैलाने का काम किया

इन भूमि मार्गो ने चीर पुरातन काल से ही समग्र खंड के अंदर भारत को एक प्रकार से व्यापार का आधिपत्य देने का काम किया और इन भूमि मार्गों के माध्यम से ही अनेक देशों के यात्री भारत आए और उन्होने दुनिया भर में हमारे ध्वज को फहराया  

 आजादी के बाद इन भूमि मार्गों के ऊपर हमारा जितना ध्यान होना चाहिए था उतना नहीं रहा, जब इस पर ध्यान गया तब से प्राधिकरण ने पिछले 10 साल में 75 साल की कमी को पूरा कर एक बहुत बड़ी यात्रा पूरी की है

प्राधिकरण सुरक्षा के साथ समझौता किए बगैर हमारे अर्थतंत्र को गति देने और पड़ोस के देशों में व्यापार बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम करता है

प्राधिकरण संस्कृति के आदान-प्रदान और सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को जिनकी वेशभूषा, बोली और कल्चर समान है उनके बीच संवाद प्रस्थापित कर दो देश के बीच सम्बन्धों को तरो-ताजा और मजबूत बनाने का काम भी कर रहा है

तीसरी दृष्टि से देखें तो प्राधिकरण दो देशों की जनता के बीच संवाद का माध्यम भी है

प्राधिकरण की यह जिम्मेदारी है कि वह सभी नियमों और क़ानूनों का पालन करते हुए व्यापार की बढ़ोतरी, हजारों सालों से हो रहे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और तेज, मजबूत व अर्थपूर्ण बनाने तथा जनता के बीच में संवाद के माध्यम से राजनीति और डिप्लोमेसी से  उठकर दो देशों के बीच की बॉन्डिंग को मजबूत करने का काम करे

हमारी 15,000 किलोमीटर की लैंड बाउंड्री है और सुरक्षा की दृष्टि से चौकसी रखने की जरूरत भी है

 प्राधिकरण के लिए पड़ोसी देशों से व्यापार, संबंध सुधार और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए बहुत बड़ा पोटेंशियल उपलब्ध है और हमें इस स्प्रीट के साथ काम करना होगा

प्राधिकरण ने 10 वर्षों की कम अवधि के अंदर अपनी उपयोगिता और प्रासंगिकता दोनों को सिद्ध किया है

 जब ट्रेड कोरिडोर प्रस्थापित होते हैं तब व्यापार अपना स्वभाव और प्रवाह बदलता है और यह ट्रेड कॉरिडोर की जिम्मेदारी है कि वह पड़ोसी देश के व्यापार प्रवाह और स्वभाव दोनों को बदले

 600 साल के अर्थतंत्र का अध्ययन करें तो कई ऐसे रूट्स मिलेंगे जिन्होंने पूरी दुनिया के साथ व्यापार करने वाले कई देशों को दुनिया के अर्थतंत्र के कॉन्ट्रिब्यूशन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया

  हमें इस प्रकार के ट्रेड कोरिडोर के माध्यम से ट्रेड कोरिडोर की परंपरा को भी मजबूत करना पड़ेगा, मगर इसके साथ-साथ सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद और नियमित बैठकें भी बहुत जरूरी हैं

 इसी रास्ते कोई हमारी सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर सकता है, इसलिए अलग-अलग बॉर्डर पर तैनात सीएपीएफ और सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद भी बहुत जरूरी है

सीमावर्ती क्षेत्रों मे जन से जन का जुड़ाव एक बहुत बड़े खतरे को टालने का माध्यम बन सकता है

 कोई भी देश जन भावनाओं से परे जाकर दूसरे देश के रिश्तों का आकार नहीं बदल सकता क्योंकि जन भावनाओं में बड़ी ताकत होती है, इसलिए अगर जन से जन का रिश्ता मजबूत करना है तो प्राधिकरण को इसे भी एक अलग दृष्टि से देखना पड़ेगा

आज अटारी बॉर्डर गार्डिंग फोर्स के आवास का उद्घाटन भी किया गया है, लगभग सभी जगहों पर इस प्रकार की व्यवस्था बनाने की योजना तैयार की गई है

आज जिन अत्याधुनिक निवास स्थानों का लोकार्पण हुआ है उनका 4 साल पहले ही भूमि पूजन हुआ था और आज यह काम समयबद्ध तरीके से काम पूरा हुआ है

एक जमाना था जब नो बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर, नो कनेक्टिविटी, नो ट्रेड और एक प्रकार से सभी चीजें रुकी हुई थी मगर आज सभी चीजों में गति है

गतिशक्ति के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पूरे देश के हर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट सिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए कृतनिश्चित हैं और इसमें प्राधिकरण की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है

सीमा चौकियों पर अपर्याप्त बुनियादी ढांचा क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाने में एक बहुत बड़ी बाधा थी और हम बहुत अच्छे तरीके से इसमें सुधार व इसकी गति को और तेज करेंगे

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 हमारी सीमा सुरक्षा और सीमा प्रबंधन की नीति बहुत ही स्पष्ट है, देश को सीमाओं के साथ जोड़ते हुए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना, सीमा क्षेत्र से पलायन रोकने के लिए कल्याणकारी योजनाओं का शत- प्रतिशत इंप्लीमेंटेशन करना, वहां अच्छी कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना,भू सीमा के माध्यम से व्यापार को बढ़ावा देकर पलायन को रोकना और जन से जन के संवाद को मजबूत करना

 अगर हम इन 5 सूत्रों को अच्छे तरीके से करते हैं तो मुझे लगता है कि हम सीमाओं के प्रबंधन, सीमाओं की सुरक्षा और सीमाओं के उपयोग तीनों आयामों में बहुत अच्छा काम करेंगे

 लैंडपोर्ट अथॉरिटी की ढेर सारी उपलब्धियां है परंतु करतारपुर साहिब कॉरिडोर से उसने दुनियाभर के हिंदू और सिख श्रद्धालुओं में जो देश के लिए अच्छी भावना खड़ी की है इसके लिए मैं आज प्राधिकरण के सभी कर्मचारियों को बहुत-बहुत साधुवाद देना चाहता हूं

जब देश का विभाजन हुआ तब एक गलती हो गई, करतारपुर साहिब 6 किलोमीटर ही दूर था, क्यों हम चूक गए मुझे मालूम नहीं परंतु हमेशा कसक पैदा होती थी, जब प्रथम गुरु का कोई भी पर्व आता था तब सबको एक कसक होती थी

 आज करतारपुर साहिब कॉरिडोर ने सबको जाने का रास्ता और अपनी श्रद्धा को मजबूत करने का एक मजबूत माध्यम दिया है, आज दुनिया भर के लोग चाहे सिख हों या हिंदू सबके मन में प्राधिकरण ने अपनी श्रद्धा को अभिव्यक्त करने का एक मजबूत माध्यम दिया है

आने वाले दिनों में रेल कनेक्टिविटी, नदियों और भूमि से व्यापार बढ़ने वाला है, इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्राधिकरण को अपनी कार्ययोजना भी बनानी पड़ेगी

अगर टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट चुस्त-दुरुस्त कर दें तो कितना भी बोझ पड़ेगा, व्यापार और आवाजाही कितनी भी बढ़ेगी वह अपने आप साँचे में ढलती चली जाएगी

इसके लिए गृह मंत्रालय से जिस भी मदद की जरूरत है, गृह मंत्रालय निश्चित रूप से आपके साथ है क्योंकि भूमि मार्ग ने ही इस देश को कभी दुनिया में महान बनाया था और सरकार की मान्यता है कि यह रास्ता कभी भी बंद नहीं होना चाहिए

 

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (Land Ports Authority of India) के 10वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर श्री अमित शाह ने प्राधिकरण की पत्रिका भूमि पत्तन और सीमा अर्थव्यवस्था का विमोचन और अच्छी सेवाओं के लिए लैंडपोर्ट अथॉरिटी के कर्मचारियों को सम्मानित भी किया । समारोह में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानन्द राय, गृह सचिव, सीमा प्रबंधन सचिव और भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

 

 

अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय के सभी उपक्रमों में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण की आयु सबसे कम है लेकिन 10 साल के छोटे से अंतराल के बावजूद इस प्राधिकरण ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बहुत बड़ी यात्रा पूरी की है जो  सच्चे अर्थों में बहुत ही सराहनीय है। उन्होने कहा की अगर हम पूरे देश के भूगोल और इतिहास का बारीकी से अध्ययन करें तो हमें पता चलेगा कि दुनियाभर में भारत एक मात्र ऐसा देश है जो भू-सांस्कृतिक ( Geo Cultural) देश है। श्री शाह ने कहा कि  दुनियाभर के बहुत सारे देश भू-राजनीतिक ( Geo Political) देश हैं जबकि पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा अकेला देश है जिसे हम विशुद्ध रूप से भू-सांस्कृतिक देश मानते हैं। अनेकविध भाषाओं, अनेकविध संस्कृति, खानपान और वेषभूषा में विविधता के बावजूद हम एक समान संस्कृति से जुड़कर एक देश बने हैं। उन्होने कहा की अगर हम इस यात्रा का ध्यान से अध्ययन करते हैं तो इसमें भूमि मार्गों का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि इन मार्गों के माध्यम से ही पूरे एशिया में कोई ना कोई हमारी भारतीय संस्कृति का ध्वज लेकर गया है और उसे वहां फैलाने का काम किया।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि इन भूमि मार्गो ने चीर पुरातन काल से ही समग्र खंड के अंदर भारत को एक प्रकार से व्यापार का आधिपत्य देने का काम किया और इन भूमि मार्गों के माध्यम से ही अनेक देशों के यात्री भारत आए और उन्होने यहां से ज्ञान लेकर दुनिया भर में हमारे ध्वज को फहराया। उन्होने कहा कि आजादी के बाद इन भूमि मार्गों के ऊपर हमारा जितना ध्यान होना चाहिए था उतना नहीं रहा और जब इस पर ध्यान गया तब से प्राधिकरण ने पिछले 10 साल में 75 साल की कमी को पूरा कर एक बहुत बड़ी यात्रा पूरी की है और इसके लिए यह अभिनंदनीय है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्राधिकरण वीजा, व्यापार के बिल और कागजात चेक करता है, कानून का नियमन करता है और व्यापार और आवाजाही का एक कानूनी माध्यम है परंतु अगर ध्यान से देखें तो प्राधिकरण सुरक्षा के साथ समझौता किए बगैर हमारे अर्थतंत्र को गति देने और पड़ोस के देशों में व्यापार बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम करता है। साथ ही यह प्राधिकरण संस्कृति के आदान-प्रदान और सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को जिनकी वेशभूषा, बोली और कल्चर समान है उनके बीच संवाद प्रस्थापित कर दो देश के बीच सम्बन्धों को तरो-ताजा और मजबूत बनाने का काम भी कर रहा है और तीसरी दृष्टि से देखें तो दो देशों की जनता के बीच संवाद का माध्यम भी प्राधिकरण है। श्री शाह ने कहा कि प्राधिकरण की यह जिम्मेदारी है कि वह सभी नियमों और क़ानूनों का पालन करते हुए व्यापार की बढ़ोतरी, हजारों सालों से हो रहे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और तेज, मजबूत और अर्थपूर्ण बनाने तथा जनता के बीच में संवाद के माध्यम से राजनीति और डिप्लोमेसी से उठकर दो देशों के बीच की बॉन्डिंग को मजबूत करने का काम करे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री कि हमारी 15,000 किलोमीटर की लैंड बाउंड्री है और सुरक्षा की दृष्टि से चौकसी रखने की जरूरत भी है। इन सबके बीच संतुलन बनाए रखते हुए काम करना बहुत कठिन होता है मगर मुझे पूरा भरोसा है कि अगर इसको हम ढंग से करेंगे तो प्राधिकरण के लिए पड़ोसी देशों से व्यापार, संबंध सुधार और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए बहुत बड़ा पोटेंशियल उपलब्ध है और हमें इस स्प्रीट के साथ काम करना होगा। श्री शाह ने कहा कि को प्राधिकरण ने 10 वर्षों की कम अवधि के अंदर अपनी उपयोगिता और प्रासंगिकता दोनों को सिद्ध किया है। बांग्लादेश के साथ हमारे ट्रेड कोरिडोर बड़ी मजबूती के साथ आकार लेते जाते हैं और जब ट्रेड कोरिडोर प्रस्थापित होते हैं तब व्यापार अपना स्वभाव और प्रवाह बदलता है और यह ट्रेड कॉरिडोर की जिम्मेदारी है कि वह पड़ोसी देश के व्यापार के प्रवाह और स्वभाव दोनों को बदले। श्री शाह ने कहा कि 600 साल के अर्थतंत्र का अध्ययन करें तो कई ऐसे रूट्स मिलेंगे जिन्होंने पूरी दुनिया के साथ व्यापार करने वाले कई देशों के अर्थतंत्र को कॉन्ट्रिब्यूशन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया। हमें इस प्रकार के ट्रेड कोरिडोर के माध्यम से ट्रेड कोरिडोर की परंपरा को भी मजबूत करना पड़ेगा। मगर इसके साथ-साथ सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद और नियमित बैठकें भी बहुत जरूरी है क्योंकि इसी रास्ते कोई हमारी सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर सकता है। इसलिए अलग-अलग बॉर्डर पर तैनात सीएपीएफ और सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद भी बहुत जरूरी है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों मे जन से जन का जुड़ाव एक बहुत बड़े खतरे को टालने का माध्यम बन सकता है। कोई भी देश जन भावनाओं से परे जाकर दूसरे देश के रिश्तों का आकार नहीं बदल सकता क्योंकि जन भावनाओं में बड़ी ताकत होती है, इसलिए  अगर जन से जन का रिश्ता मजबूत करना है तो प्राधिकरण को इसे भी एक अलग दृष्टि से देखना पड़ेगा।

यह भी पढ़ें :   केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "बैंगनी क्रांति" की सफलता ने कृषि-तकनीक स्टार्ट-अप पर ध्यान केंद्रित किया है

श्री अमित शाह ने कहा कि यह वर्ष हमारी आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है। आजादी के 75 साल हो गए हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के हर क्षेत्र, हर इकाई को यह लक्ष्य तय करने का काम दिया है कि जब हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे उस वक्त वह इकाई कहा खड़ी होगी। प्रधानमंत्री जी ने 75 साल से 100 साल की इस यात्रा को अमृत काल के रूप में व्याख्यायित किया है। ये 25 वर्ष भारत को महान बनाने और परिश्रम की पराकाष्ठा करने के 25 वर्ष हैं। उन्होने कहा कि लैंड पोर्ट अथॉरिटी को भी अपने 25 साल का खाका बनाना चाहिए कि इन 25 वर्षों में भूमि मार्गों से अपने पड़ोसी देशों और पड़ोसी देशों से आगे भी हमारे व्यापार का क्या लक्ष्य होगा। साथ ही हमें सुरक्षा की दृष्टि से सभी अत्याधुनिक तकनीक को अपनाते हुए एक अभेद्य सुरक्षा का चक्र बानने के लक्ष्य भी तय करने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पाँच- पाँच साल के 5 स्पैन बनाने चाहिए और इनका एक-एक साल का भी लक्ष्य तय होना चाहिए और उसकी वार्षिक विमांसा भी होनी चाहिए, इनका निरंतर रिव्यू हो और जो पीछे रह गए हैं उनकी  पूर्ति की जाए तभी हमें अपने लक्ष्यों की सिद्धि होगी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज अटारी बॉर्डर गार्डिंग फोर्स के आवास का उद्घाटन भी किया गया है और लगभग सभी जगहों पर इस प्रकार की व्यवस्था बनाने की योजना तैयार की गई है। उन्होने कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि आज जिन अत्याधुनिक निवास स्थानों का लोकार्पण हुआ है उनका 4 साल पहले ही भूमि पूजन हुआ था और आज यह काम समयबद्ध तरीके से काम पूरा हुआ है। श्री शाह ने कहा कि हमारी 15,000 किलोमीटर की भूमि सीमा है और इसमें हर 50 किलोमीटर पर अलग-अलग चुनौतियां हैं। शायद ही किसी देशों की भूमि सीमा इतनी चुनौतीपूर्ण होगी जितनी भारत की है और शायद ही किसी देश में भूमि सीमा इतने अवसर (Opportunity) रखती होगी जितनी भारत की भूमि सीमा के साथ है क्योंकि आज मोदी जी के नेतृत्व में भारत आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। श्री अमित शाह ने कहा कि आने वाले 10 वर्षों के अंदर विश्व के सभी उत्पादन के हब देशों में भारत अपना प्रमुख स्थान सुनिश्चित कर लेगा, इसमें कोई दोराय नहीं है। हम भारत के उत्पादों को बाहर भेजने के लिए हमारी भूमि सीमा से सटे आसपास के 7 देशों से व्यापार के लिए सुविधा खड़ी करेंगे। उन्होने कहा कि एक जमाना था जब नो बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर, नो कनेक्टिविटी, नो ट्रेड और एक प्रकार से सभी चीजें रुकी हुई थी मगर आज सभी चीजों में गति है। गतिशक्ति के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पूरे देश के हर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट सिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए कृतनिश्चित हैं और इसमें प्राधिकरण की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

श्री अमित शाह ने कहा कि सीमा चौकियों पर अपर्याप्त बुनियादी ढांचा क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाने में एक बहुत बड़ी बाधा थी और हम बहुत अच्छे तरीके से इसमें सुधार व इसकी गति को और तेज करेंगे। उन्होने कहा कि हमारी सीमा सुरक्षा और सीमा प्रबंधन की नीति बहुत ही स्पष्ट है। देश को सीमाओं के साथ जोड़ते हुए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना, सीमा क्षेत्र से पलायन रोकने के लिए कल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत इंप्लीमेंटेशन करना, वहां अच्छी कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना, भू सीमा के माध्यम से व्यापार को बढ़ावा देकर पलायन को रोकना और जन से जन के संवाद को मजबूत करना। अगर हम इन 5 सूत्रों को अच्छे तरीके से पूरा करते हैं तो मुझे लगता है कि हम सीमाओं के प्रबंधन, सीमाओं की सुरक्षा और सीमाओं के उपयोग तीनों आयामों में बहुत अच्छा काम करेंगे। यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर, अच्छी कनेक्टिविटी, ट्रेड को बढ़ावा देना और जन से जन का संवाद इन चारों में प्राधिकरण काफी कुछ कर सकता है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि लैंडपोर्ट अथॉरिटी की ढेर सारी उपलब्धियां है परंतु करतारपुर साहिब कॉरिडोर से उसने दुनिया भर के हिंदू और सिख श्रद्धालुओं में जो देश के लिए अच्छी भावना खड़ी की है इसके लिए मैं आज प्राधिकरण के सभी कर्मचारियों को बहुत-बहुत साधुवाद देना चाहता हूं। उन्होने कहा कि जब देश का विभाजन हुआ तब एक गलती हो गई, करतारपुर साहिब 6 किलोमीटर ही दूर था, क्यों हम चूक गए मुझे मालूम नहीं परंतु हमेशा कसक पैदा होती थी, जब प्रथम गुरु का कोई भी पर्व आता था तब सबको एक कसक होती थी। आज करतारपुर साहिब कॉरिडोर ने सबको जाने का रास्ता दिया है और अपनी श्रद्धा को मजबूत करने का एक माध्यम दिया है। आज दुनिया भर के लोग चाहे सिख हों या हिंदू सबके मन में प्राधिकरण ने अपनी श्रद्धा को अभिव्यक्त करने का एक मजबूत माध्यम दिया है। सभी लोग इसकी भूरी भूरी प्रशंसा करते हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में रेल कनेक्टिविटी, नदियों और भूमि से व्यापार बढ़ने वाला है इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्राधिकरण को अपनी कार्ययोजना भी बनानी पड़ेगी। उन्होने कहा कि मैन पावर बढ़ाना एकमात्र रास्ता नहीं है, हालांकि कुछ मात्रा में यह  जरूरी है लेकिन हमें टेक्नोलॉजी और व्यवस्था के उपयोग से प्राधिकरण को मजबूत करने का काम करना होगा। अगर टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट चुस्त-दुरुस्त कर दें तो कितना भी बोझ पड़ेगा, व्यापार और आवाजाही कितनी भी बढ़ेगी वह अपने आप साँचे में ढलती चली जाएगी। अगर टेक्नोलॉजी अपग्रेड नहीं करते हैं और मैन पावर का प्रबंधन नहीं करते हैं तो हमारे सामने अव्यवस्था खड़ी होने की चुनौती आएगी। श्री अमित शाह ने कहा कि इसके लिए गृह मंत्रालय से जिस भी मदद की जरूरत है, गृह मंत्रालय निश्चित रूप से आपके साथ है क्योंकि भूमि मार्ग ने ही इस देश को कभी दुनिया में महान बनाया था और सरकार की मान्यता है कि यह रास्ता कभी भी बंद नहीं होना चाहिए।

 

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एनडब्‍ल्‍यू/आरके/एडी/आरआर