पूर्व विधायकों को एक बार की ही पेंशन का निर्णय जनहित में लेकिन पंजाब में चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की मदद क्यों?

पूर्व विधायकों को एक बार की ही पेंशन का निर्णय जनहित में, लेकिन पंजाब में चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की मदद क्यों?
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पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह निर्णय सही है कि पूर्व विधायकों को सिर्फ एक बार की ही पेंशन मिलेगी। पंजाब में पूर्व विधायक को प्रतिमाह 75 हजार रुपए पेंशन मिलती है। यदि कोई विधायक तीन बार जीता है तो उसे 2 लाख 25 हजार रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं, लेकिन सीएम मान का आदेश है कि यदि कोई चार बार का भी विधायक है तो एक बार की जीत के अनुरूप ही 75 हजार रुपए की ही पेंशन मिलेगी। मान का यह निर्णय वाकई जनहित में है। मान का यह तर्क भी सही है कि जब राजनीति में सेवा के लिए आते हैं तो फिर सरकारी कर्मचारी की तरह पेंशन क्यों लेते हैं। हो सकता है कि आगे चल कर एक बार की पेंशन को भी बंद कर दिया जाए। राजस्थान सहित देश के अधिकांश प्रदेश में जीत की संख्या के अनुरूप ही विधायकों को पेंशन मिल रही है। भगवंत मान ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले ही राजनेताओं की सुरक्षा भी समाप्त कर दी थी।
इस निर्णय को भी जनहित में माना गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि भगवंत मान अपनी सरकार को आम आदमी की सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आप ने विधानसभा चुनाव में जो वादे किए उन्हें भी पूरा किया जाना चाहिए। 18 वर्ष से अधिक उम्र वाली हर महिला को एक हजार रुपए प्रतिमाह की आर्थिक मदद तथा 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की घोषणा करते वक्त आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने यह नहीं कहा था कि केंद्र सरकार से मदद मिलने पर इन घोषणाओं को पूरा किया जाएगा। चुनाव के दौरान केजरीवाल के ऐसे अनेक बयान है, जिनमें उनका कहना रहा कि आपने (पंजाब की जनता) अकाली दल और कांग्रेस को कई मौके दिए हैं। इन दोनों ही दलों की सरकारों ने पंजाब को लूटा है।
इसलिए एक बार हमें वोट देकर पंजाब में आम की सरकार बनाएं। पंजाब की जनता ने केजरीवाल के कथनों पर विश्वास कर 117 में से 92 विधायक आप के बनवा दिए। यानी पंजाब की जनता ने अपना काम पूरा कर दिया। 24 मार्च को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात में मान ने पंजाब को एक लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की मांग की। मान ने पंजाब की आर्थिक स्थिति को बेहद खराब बताया। सवाल उठता है कि क्या केंद्र की एक लाख करोड़ रुपए मदद मिलने के बाद पंजाब की महिलाओं को एक हजार रुपए की सहायता मिलेगी? क्या 300 यूनिट तक फ्री बिजली भी केंद्रीय सहायता के बाद मिलेगी? यह माना कि हर प्रदेश को केंद्र की सहायता की जरूरत होगी है, लेकिन चुनावी घोषणाएं तो राजनीतिक दल को अपने दम पर ही पूरी करनी चाहिए।
जब घोषणाएं की गई थी, तब भी पंजाब की आर्थिक स्थिति खराब थी। लेकिन फिर भी मुफ्त बिजली और महिलाओं को एक हजार रुपए प्रतिमाह देने जैसी बोझकारी घोषणाएं की गई। ऐसी घोषणाएं के कारण ही पंजाब की जनता ने केजरीवाल की सरकार बनवाई। अब बिना किसी बहानेबाजी के घोषणाओं को पूरा किया जाना चाहिए। चुनावी घोषणाओं को पूरा करने में खर्च की भरपाई केंद्र सरकार नहीं कर सकती है।