राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का तुर्कमेनिस्तान दौरा

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद दो राष्ट्रों-तुर्कमेनिस्तान और नीदरलैंड की अपनी राजकीय यात्रा के पहले चरण में कल (1 अप्रैल, 2022) तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात पहुंचे। उनके आगमन पर, राष्ट्रपति को तुर्कमेनिस्तान की परंपरा के अनुसार बच्चों द्वारा ब्रेड और नमक की पेशकश की गई। इसके बाद, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति, श्री सर्दार बर्दीमुहामेदोव ने राष्ट्रपति की अगवानी की और अश्गाबात हवाई अड्डे पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

आज सुबह (2 अप्रैल, 2022), राष्ट्रपति ने ओगुजान प्रेसिडेंशियल पैलेस का दौरा करके अपनी यात्रा की शुरुआत की, जहां राष्ट्रपति सर्दार बर्दीमुहामेदोव ने उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं ने आमने-सामने की बातचीत के दौरान, राज्य और द्विपक्षीय संबंधों की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। वे भारत-तुर्कमेनिस्तान के बीच बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने के प्रयासों को तेज करने पर सहमत हुए। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उनकी यात्रा, जो किसी भारतीय राष्ट्रपति की इस तरह की पहली यात्रा है, काफी विशेष है क्योंकि यह भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रहा है।

इसके बाद, राष्ट्रपति ने दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की अगुवाई की।  इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति कोविंद ने तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर राष्ट्रपति सर्दार बर्दीमुहामेदोव को बधाई दी। उन्होंने कहा कि तुर्कमेनिस्तान ने सर्दार बर्दीमुहामेदोव के पिता श्री गुरबांगुली बर्दीमुहामेदोव के नेतृत्व में तेजी से आर्थिक विकास और विकास हासिल किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रपति सर्दार बर्दीमुहामेदोव के नेतृत्व में भी तुर्कमेनिस्तान नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा। उन्होंने राष्ट्रपति सर्दार बर्दीमुहामेदोव को भारत आने का न्यौता दिया।

व्यापार और आर्थिक सहयोग पर बोलते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच व्यापार सामान्य बना हुआ है। हालांकि इस साल इसमें तेजी आई है, लेकिन इसे बढ़ाने और विविधता लाने के लिए अभी भी काफी संभावनाएं हैं। हमारे कारोबारी समुदाय और अधिकारियों को इस पर मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कारोबारी नियम और विनियमों, दस्तावेज की जरूरत, भुगतान तंत्र आदि को बेहतर बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ लगातार बातचीत करने पर जोर दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-मध्य एशिया व्यापार परिषद की स्थापना 2020 में भारत-मध्य एशिया संवाद ढांचे के तहत क्षेत्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए की गई थी। हमारे शीर्ष व्यापार मंडलों के लिए इस मंच पर सक्रिय रूप से भाग लेना और आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए अपने सुझाव देना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि तुर्कमेनिस्तान अपने तेल और गैस क्षेत्रों को और विकसित करने के साथ-साथ अपने पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में विविधता लाने की योजना बना रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने तेल और गैस से संबंधित सभी क्षेत्रों में तेजी से तकनीकी प्रगति की है। भारतीय कंपनियों की तकनीकी और तकनीकी क्षमताओं का उपयोग तुर्कमेनिस्तान के पेट्रो-रसायन क्षेत्र के आगे ले जाने में किया जा सकता है।

तुर्कमेनिस्तान में डिजिटलीकरण अभियान का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था और सेवा वितरण के डिजिटलीकरण में एक वैश्विक अगुवा देश है। तुर्कमेनिस्तान अपने डिजिटल के क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए भारतीय कंपनियों की विशेषज्ञता का उपयोग करने पर विचार कर सकता है।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय मंचों में भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच सहयोग के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर हमारे देशों के बीच व्यापक सहमति है। उन्होंने हाल के दिनों में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत की उम्मीदवारी को समर्थन करने के लिए तुर्कमेनिस्तान का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत 2021-22 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने पहल को क्रियान्वित करने के लिए तुर्कमेनिस्तान के समर्थन की अपेक्षा करता है।

क्षेत्रीय मुद्दों पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के साथ-साथ समावेशी सरकार के लिए खड़ा है। अफगानिस्तान पर एक क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य पर पहुंचने के लिए, भारत ने नवंबर 2021 में नई दिल्ली में ‘अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता’ का आयोजन किया था। इस वर्ष जनवरी में हुए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन ने एक समावेशी और लोकतांत्रिक सरकार के साथ शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान के लिए हमने मजबूत समर्थन की वकालत की थी।

राष्ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्तान के अंदर कोई भी अस्थिरता पूरे क्षेत्र के लिए खतरा है। किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में कट्टरता को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कट्टरपंथ, उग्रवाद और अलगाववाद का प्रसार क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा होगा। हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 द्वारा स्पष्ट किया गया है जिसमें मांग की गई है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

भारत और तुर्कमेनिस्तान ने दोनों राष्ट्रपतियों की उपस्थिति में आपदा प्रबंधन, वित्तीय खुफिया क्षेत्र, संस्कृति और युवा मामलों के क्षेत्र में चार समझौता ज्ञापनों/सहयोग कार्यक्रम पर हस्ताक्षर और आदान-प्रदान किए।

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इस अवसर पर राष्ट्रपति कोविंद द्वारा दिया गया एक प्रेस वक्तव्य यहां संलग्न है।

दोपहर में, राष्ट्रपति कोविंद ने तुर्कमेनिस्तान के पहले राष्ट्रपति श्री सपरमुरत नियाजोव की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और अश्गाबात में स्वतंत्रता स्मारक पर माल्यार्पण भी किया।

शाम को,राष्ट्रपति ने आईटीईसी/आईसीसीआर/हिंदी के भूतपूर्व छात्रों/ भारत के मित्र समूहों से मुलाकात और उनके साथ बातचीत की। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत तुर्कमेनिस्तान को अपना विस्तृत पड़ोसी मानता है। भारत 1991 में तुर्कमेनिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने और 1992 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया एक परिवार है। हमारे इस विश्वास के अनुरूप भारत दुनिया के देशों, खासकर विकासशील देशों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए हमेशा तैयार है। भारत ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग, यानी आईटीईसी कार्यक्रम 1964 में शुरू किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य मित्र देशों को क्षमता निर्माण और जनशक्ति के प्रशिक्षण में सहायता करना था। उन्हें कहा कि यह जानकर मुझे खुशी हुई है कि 1993 से अब तक 400 से अधिक तुर्कमेन नागरिक आईटीईसी पाठ्यक्रमों से लाभान्वित हो चुके हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आईसीसीआर भारत भर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में विदेशी छात्रों के लिए अंडरग्रेज्युट, स्नातक, स्नातकोत्तर और पोस्ट डॉक्टरेट अध्ययन को प्रायोजित कर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईसीसीआर की छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठाने वाले तुर्कमेन छात्रों को भारत में अपने प्रवास की यादगार यादें होंगी और वे इस योजना के माध्यम से अर्जित की गई डिग्री की मदद से अच्छी कमाई वाले रोजगार हासिल करने में सक्षम होंगे।

अश्गाबात में विश्व भाषा के आजादी राष्ट्रीय संस्थान में 2010 में हिंदी पीठ की स्थापना के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुर्कमेनिस्तान में अब बहुत से लोग हैं जो धाराप्रवाह हिंदी में बातचीत कर सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच एक मजबूत और प्रगतिशील सहयोग के विजन को पूरा करने में राजनीतिक नेतृत्व का समर्थन करने के लिए आईटीईसी/आईसीसीआर/ हिंदी के भूतपूर्व छात्रों/ भारत के मित्र समूह हमेशा मौजूद रहेंगे।

बाद में शाम को, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति सर्दार बर्दीमुहामेदोव द्वारा आयोजित राजकीय भोज में राष्ट्रपति कोविंद शामिल होंगे।

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