प्रौद्योगिकी से भ्रष्टाचार मुक्त और रिसाव मुक्त लोकतंत्र संभव हुआ है: श्री राजीव चंद्रशेखर

हम बड़ी क्षमता वाले देश हैं, लेकिन हमारी क्षमता की तुलना में हमने हमेशा कम प्रदर्शन किया है, ऐसा अक्सर सामान्य तौर पर कहा जाता रहा है। लेकिन यदि हम वर्ष 2020-21 में तेज बदलाव को देखें तो कोई यह देख सकता है कि भारत के बारे में सदियों पुराने आख्यानों को प्रौद्योगिकी ने कैसे बदल दिया है। यह बात बेंगलुरू में आज केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने कही।

केंद्रीय मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने द एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘उच्च न्यायालय, बेंगलुरु में कानूनी पेशेवरों के लिए न्याय के वितरण में नवीनतम तकनीक’ विषय पर मुख्य भाषण देते हुए कहा कि लोकतंत्र का मतलब ही ऐसी छिद्रयुक्त सरकार है जिसमें कई दरारें हैं। पिछले छह वर्षों में वर्तमान सरकार ने विशुद्ध रूप से प्रौद्योगिकी के आधार पर एक ढांचा तैयार किया है जिससे लाभार्थी के नाम पर जारी किया गया हर पैसा बिना किसी देरी या बिना किसी लीक के सीधे उनके खाते में पहुंच जाता है।

 

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने साबित कर दिया है कि लोकतंत्र रिसाव मुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त हो सकता है। भारत, कानून के नियम से शासित होने के नाते – जैसा कि दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान में व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है, में न्याय की व्यवस्था एक लंबी प्रक्रिया है और मुझे लगता है कि इसी वजह से ‘न्याय में देरी न्याय से वंचित’ वाक्यांश गढ़ा गया है।

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उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे अप्रत्यक्ष करों के इतिहास में सबसे बड़े सुधारों – जीएसटी के परिणामस्वरूप एक और सदियों पुरानी कथा टूट गई है कि भारत में करों से राजस्व गैर-कानूनी अर्थव्यवस्था (ब्लैक इकॉनमी) के कारण नहीं बढ़ सकता है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि 2020-21 में एकत्र हुए (22 लाख करोड़) जीएसटी की तुलना में 2021-22 में जीएसटी संग्रह (27 लाख करोड़) में 34% की बढ़ोतरी हुई है।

उन्होंने उल्लेख किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग सहित नवीनतम उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाया जाना चाहिए ताकि अदालती मामलों के निपटान काम में तेजी लाई जा सके और लंबित पड़े अदालती मामलों की संख्या को कम किया जा सके और इस तरह इस बारे में एक और पुराने कथन को झुठलाया जा सके।

केंदीय मंत्री ने कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने और कोविड प्रेरित लॉकडाउन के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय के प्रयासों को मानते हुए संकटों के बीच न्याय सुनिश्चित करने के लिए वर्चुअल सुनवाई में तेजी लाने के उद्देश्य से समय पर प्रौद्योगिकी को अपनाने और उसका उपयोग करने के लिए सराहना की।

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गणमान्य लोगों में से एक श्री न्यायमूर्ति आलोक अराधे ने विस्तार से बताया कि महामारी के दौरान बदली स्थिति के अनुसार न्यायपालिका कैसे बदली। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने प्रौद्योगिकी को अपनाया है और न्याय देने की प्रक्रिया में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया है।

इस अवसर पर मौजूद कर्नाटक सरकार में लघु सिंचाई, कानून, संसदीय कार्य और विधान मंत्री श्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि हमें स्थिति के अनुसार बदलना होगा। हमें नवीनतम तकनीकों पर उपलब्ध ज्ञान का उपयोग करना होगा और पुस्तकालयों को, विशेष रूप से न्यायपालिका में, डिजिटल बनाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास और कानून के साथ इसके उपयोग के बारे में नवीनतम जानकारी आसानी से उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मामलों का शीघ्र निपटान सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

द एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु के अध्यक्ष श्री विवेक सुब्बारेड्डी ने अपने संबोधन में तकनीकी सुविधा की कमी के कारण अधिवक्ताओं के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताया और जहां भी संभव हो सभी अदालतों में अधिवक्ताओं के लिए सह-कार्यस्थल के लिए अनुरोध किया। इस कार्यक्रम में एसोसिएशन के महासचिव टी जी रवि ने स्वागत भाषण दिया।

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