राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने महरौली में ऐतिहासिक अनंग ताल के आस पास एक अनूठी विरासत सैर का आयोजन किया

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने 19 अप्रैल 2022 को विश्व विरासत दिवस मनाते हुए वर्ष 1052 ईस्वी में दिल्ली के संस्थापक राजा अनंग पाल तोमर द्वारा महरौली में निर्मित 11वीं शताब्दी की मिनी झील, ऐतिहासिक अनंग ताल के आसपास आज सुबह एक अनूठी विरासत की सैर का आयोजन किया। तोमर हिंदू राजवंश ने दिल्ली पर शासन किया और दिल्ली का नाम ही ढिल्लिकापुरी से आया है। इस संदर्भ में जनरल कनिंघम द्वारा ब्रिटिश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण-एएसआई काल के दौरान पत्थरों के कई शिलालेख पाए गए थे।

विरासत सैर का नेतृत्व प्रसिद्ध पुरातत्वविद् और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण-एएसआई के पूर्व अपर महानिदेशक, और राष्ट्रीय संग्रहालय के पूर्व महानिदेशक, डॉ. बी. आर. मणि और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री तरुण विजय ने किया था। दिल्ली के मुख्य सचिव और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री विजय कुमार देव ने झंडी दिखाकर विरासत सैर का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ-आरएसएस के संयुक्त महासचिव डॉ. कृष्ण गोपाल द्वारा एक विशेष प्रेरक भाषण दिया गया। उन्होंने राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना की और ऐसे और स्मारकों का पता लगाने की अपील की।

 

 

डॉ. मणि ने कहा कि उन्होंने वर्ष 1993 से वर्ष 1995 के बीच एएसआई के अंतर्गत इस स्थल की खुदाई की थी। अनंग ताल में अभी भी कुछ पानी बचा है लेकिन मिनी झील धीरे-धीरे समय के साथ सिमटती जा रही है। विरासत सैर करने वालों में कई पुरातत्वविद, इतिहासकार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के अनुसंधान करने वाले शोधार्थी शामिल थे। इस सैर में शामिल होने वाले लोगों की संख्या लगभग 150 थी। श्री भारत भूषण, भारत प्रकाशन के प्रबंध निदेशक, श्री हितेश शंकर, संपादक, पांचजन्य, डॉ. रवींद्र कुमार, डीन, स्कूल ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, डॉ. अंबेडकर विश्वविद्यालय भी शामिल हुए। डॉ. मणि ने विरासत सैर में भाग लेने वालों को समझाया कि यदि इसे संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में इसका कोई अस्तित्व नहीं बचेगा।

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श्री तरुण विजय ने कहा कि अनंग ताल सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है जो हमें दिल्ली की शुरुआत से जोड़ता है। हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दृष्टिकोण के अनुसार विश्व विरासत दिवस मना रहे हैं और अनंग ताल के गौरव और दिल्ली के महान हिंदू राजा से संबंधित स्मारकों को फिर से स्थापित कर रहे हैं। महाराजा अनंग पाल तोमर के स्मारकों को पुनर्जीवित करना एक प्रमुख आंदोलन है जिसे राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण-एनएमए ने शुरू किया है। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से हमारी संस्कृति मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने राजा अनंग पाल और उनसे संबंधित स्मारकों के बारे में गहरी रुचि ली है, इसलिए, हमें यकीन है कि इस महान ऐतिहासिक मिनी झील और अनंग ताल को पुनर्जीवित किया जाएगा और राजधानी में सबसे अधिक देखे जाने वाले स्मारक बन जाएंगे।

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दिल्ली के मुख्य सचिव, और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री विजय कुमार देव ने कहा कि यह उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण और रोमांचकारी विरासत सैर है जिसने दिल्ली के गौरवशाली अतीत में एक नई अंतर्दृष्टि प्रदान की है। उन्होंने क्षेत्र को साफ-सुथरा बनाने और इसे पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने इस सैर के आयोजन के लिए श्री तरुण विजय को बधाई दी।

श्री तरुण विजय ने कहा कि वह मुगलों को हराने और दो साहिबजादों की मौत का बदला लेने वाले पंजाब के महान शासक वीर बंदा सिंह बहादुर की शहादत स्थल पर विरासत सैर की भी योजना बना रहे हैं। बाद में मुगलों द्वारा उनकी बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी। महरौली में उनकी स्मृति से संबंधित उस स्थान पर एक गुरुद्वारा बनाया गया है। यह हमारा कर्तव्य है कि वीर बंदा सिंह बहादुर के सर्वोच्च बलिदान का स्मरण किया जाए और उस स्मारक को सुंदर ढंग से और सम्मान के साथ रखा जाए जिसका वह हकदार है।

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