नीति आयोग ने आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम पर एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, नीति आयोग ने आकांक्षी जिले कार्यक्रम (एडीपी) पर एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया।

सम्मेलन, ‘सहभागिता से समृद्धि’ में आकांक्षी जिलों के जिला कलेक्टरों और केन्‍द्रीय प्रभारी अधिकारियों, केन्‍द्रीय मंत्रालयों और नीति आयोग के अधिकारियों तथा विकास भागीदारों के प्रतिनिधियों की व्यापक भागीदारी देखी गई।

आकांक्षी जिलों ने 30 नवप्रवर्तन हस्‍तक्षेपों के बारे में ‘बदलाव की कहानियां (स्‍टोरीज ऑफ चेंज)’ शीर्षक से एक रिपोर्ट भी जारी की। व्यावहारिक सिद्धांतों, नवाचार, प्रतिकृति और प्रभाव की क्षमता के इस्‍तेमाल के आधार पर चुने गए ये हस्तक्षेप-दर्शाते हैं कि व्यावहारिक जानकारी सख्‍त परिश्रम के लिए कैसे बाध्‍य कर सकती है।

स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए लोगों की उम्मीदों पर ध्यान आकर्षित करते हुए, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि हमें प्रमुख मातृ एवं बाल स्वास्थ्य योजनाओं की संतृप्ति की दिशा में प्रयास करने और आखिरी व्‍यक्ति तक सेवा के वितरण पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, ‘एडीपी जमीनी स्तर पर सरकार के साथ काम करने के लिए विकास भागीदारों के लिए एक अद्वितीय मंच के रूप में उभरा है। उनके सक्रिय जुड़ाव से महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।’ उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे जिलों की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं के बारे में जानकारी में सुधार करते हुए जिला टीमों और विकास भागीदारों के बीच साझेदारी, योजनाओं के प्रभाव में सुधार करने में सहायक रही है।

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‘राज्य की क्षमता’, ‘शिक्षा’, ‘कृषि’, ‘कौशल विकास और आजीविका’ और ‘स्वास्थ्य’ पर पांच सत्र आयोजित किए गए। ‘राज्य की क्षमता’ सत्र व्यवहार परिवर्तन सूचना और कुशल डेटा प्रबंधन के माध्यम से आखिरी व्‍यक्ति तक सेवा के वितरण में सुधार के लिए चुनौतियों और उभरती सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों पर केन्द्रित था। ब्लॉक और पंचायत स्तर के पदाधिकारियों को मजबूत करने के लिए झारखंड के दुमका में जिलों के नेतृत्व में स्थानीय पहल पर चर्चा की गई।

महामारी के दौरान बच्चों में अध्‍ययन की कमी को दूर करने के लिए सरकार और विकास भागीदारों के प्रयासों पर ‘शिक्षा’ सत्र में चर्चा की गई। विरुधुनगर, तमिलनाडु और नुआपाड़ा, ओडिशा जैसे जिलों के नेतृत्व में अध्‍ययन की कमियों को दूर करने और स्कूल न जाने वाले बच्चों को वापस लाने के लिए विशेष पहल प्रस्तुत की गई।

‘कृषि’ पर सत्र उन चुनौतियों पर केन्द्रित था जो सीधे तौर पर किसानों को प्रभावित करती हैं जैसे कि घटती जल तालिका, प्रति व्यक्ति छोटी जोत और जलवायु परिवर्तन। इसने लक्षित कार्य योजनाओं को विकसित करने, मूल्य श्रृंखला के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और बाजार और प्रौद्योगिकी तक पहुंच सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केन्द्रित किया। आकांक्षी जिलों में शुरू की गई जल कायाकल्प परियोजनाओं जैसी कई पहलों को साझा किया गया।

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‘कौशल विकास और आजीविका’ सत्र आकांक्षी जिलों में विशेष रूप से एसएचजी और अन्य सूक्ष्म उद्यमों के संदर्भ में मांग-आधारित और संदर्भ-विशिष्ट आजीविका विकसित करने पर केन्द्रित था। छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जैसे जिलों के नेतृत्व में किसान उत्पादक संगठनों के माध्यम से चुनौतियों का समाधान करने और आजीविका के अवसरों और परिवारों को दिए जाने वाले लाभों पर नजर रखने के प्रभावी तरीकों के बारे में चर्चा की गई।

‘स्वास्थ्य’ सत्र में क्षमता निर्माण के लिए मौजूदा सरकारी कर्मचारियों का सहयोग करने में विकास भागीदारों की भूमिका पर ध्यान केन्द्रित किया गया था, विशेष रूप से महिलाओं में चावल के पोषण, एकीकृत बाल विकास योजना के तहत बाजरा आधारित व्यंजनों और झारखंड के पांच जिलों में भारत सरकार के एनीमिया मुक्त भारत के हस्तक्षेप को कारगर बनाने के लिए एनआईटीआई की पायलट परियोजना के माध्‍यम से कुपोषण और एनीमिया को कम करने की पहल शामिल है।

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