प्रमुख बंदरगाहों की लम्बित सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के शीघ्र समाधान के लिए दिशा-निर्देश

पृष्ठभूमि

भारत सरकार ने पिछले दशक में प्रमुख बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को आमंत्रित किया और देश के प्रमुख बंदरगाहों में डिजाइन, निर्मित, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर कई परियोजनाएं प्रदान की गईं। 1997 में बड़े बंदरगाह पर पहली पीपीपी परियोजना के कार्यान्वयन के बाद से, कार्यान्वयन की इस पद्धति के जरिए अच्छी प्रगति हुई है। निजी निवेश, क्षमता वृद्धि और परिचालन दक्षता सहित कई उल्लेखनीय लाभों ने इस क्षेत्र के विकास में अपना योगदान दिया है। वर्तमान में, 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की 34 परियोजनाएं चालू हैं और 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की 25 परियोजनाएं अभी चालू होने की प्रक्रिया में हैं। चालू परियोजनाओं ने प्रमुख बंदरगाहों पर लगभग 350 एमटीपीए की क्षमता बढ़ाई है।

संपत्ति मुद्रीकरण के तहत, 2025 तक 14,500 करोड़ रुपये की 31 परियोजनाओं को प्रदान करने का रास्ता साफ है। एनएमपी के तहत इन मौजूदा पाइपलाइन में 31 परियोजनाओं के अलावा, पीपीपी के तहत प्रस्ताव के लिए अतिरिक्त 50 परियोजनाओं (लगभग 27,500 करोड़ रुपये मूल्य की) की पहचान की गई है। इन 50 परियोजनाओं में से 14 परियोजनाओं (लगभग 2,400 करोड़ रुपये मूल्य की) को वित्त वर्ष 2022-23 में पेश किए जाने की परिकल्पना की गई है।

प्रमुख बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने और ऐसी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए उद्यम प्रक्रिया को मानकीकृत करने तथा ईओडीबी को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय ने नीतियां/दिशा-निर्देश तैयार करने के संदर्भ में कई पहल की हैं।

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इस क्षेत्र में मध्यस्थता और मुकदमेबाजी को कम करने के उद्देश्य से 21 नवंबर 2021 को एमओपीएसडब्ल्यू मंत्री ने नया मॉडल रियायत समझौता (एमसीए) शुरू किया था। इस नये दस्तावेज़ में कानून में बदलाव के मामले में उपचारात्मक उपायों के साथ-साथ पक्षों की जिम्मेदारियों और दायित्वों पर स्पष्टता प्रदान की गई है। नए एमसीए के अलावा, बाजार की गतिशीलता के अनुसार टैरिफ तय करने में पीपीपी पक्ष के लिए लचीलेपन का ख्याल रखते हुए नए टैरिफ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, प्रमुख बंदरगाह और निजी बंदरगाह पर निजी टर्मिनलों के बीच प्रतिस्पर्धा के लिए समान अवसर प्रदान किए जाते हैं, क्षमता के बेहतर उपयोग की सुविधा प्रदान की जाती है और तटीय शिपिंग तथा ट्रांसशिपमेंट को बढ़ावा देने के लिए अंतर रॉयल्टी दर लागू की गई है।

मुकदमेबाजी की संभावनाओं को कम करने और विभिन्न दृष्टिकोणों से इन परियोजनाओं की अवधारणा के समय ईओडीबी और उचित उद्यम एवं सावधानी को प्रोत्साहित करने के लिए सभी नीति स्तर की पहल के बावजूद कुछ परियोजनाओं का अस्तित्व जोखिम में है। इसके लिए आक्रामक बोली और वॉल्यूम तथा शुल्कों के संबंध में आशावादी अनुमान, व्यवसाय में अप्रत्याशित तेज परिवर्तन और रियायत समझौतों में ऐसे तेज परिवर्तनों को दूर करने के लिए लचीलेपन का ना होना जिसका या तो अनुमान नहीं लगाया गया था या सहयोगी भागीदारों के नियंत्रण से बाहर था, अर्थात, छूट प्राप्त करने वाला और रियायत प्राधिकारी जैसे कई कारण हैं।

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दिशानिर्देश

केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने 10 मई 2022 को प्रमुख बंदरगाहों पर शिथिल पड़े सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं से निपटने के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दिया है।

ये दिशा-निर्देश निम्न के लिए तैयार किए गए हैं:-

 

बंद परियोजनाओं के समाधान के लिए तंत्र:

नए दिशा-निर्देशों के लाभ

नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य शिथिल परियोजनाओं की श्रेणी में आने वाली परियोजनाओं के पुनरुद्धार की सुविधा प्रदान करना है। ये दिशा-निर्देश मध्यस्थता के तहत मामलों के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेंगे। बंदरगाह परिसंपत्ति का फिर से बोली के माध्यम से उपयोग किए जाने की संभावना है। इसका नतीजा निश्चित रूप से लगभग 27 एमटीपीए की बंद पड़ी कार्गो हैंडलिंग क्षमता के खुलने के रूप में सामने आएगा, जिससे संभावित निवेशकों के लिए व्यापार के बेहतर अवसर पैदा होंगे और बंदरगाह प्राधिकरण राजस्व कमाना शुरू कर देगा। यह निवेशकों/छूटग्राहियों में विश्वास जगाएगा और रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।

विभिन्न प्रमुख बंदरगाहों पर तनावग्रस्त संपत्तियों पर लंबे समय से चल रहे कुछ विवादों का जल्द समाधान हो सकता है:

 

इस अवसर पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि “ये दिशा-निर्देश विभिन्न मुद्दों का शीघ्र समाधान करेंगे और शिथिल पड़ी परियोजनाओं की अपार संभावनाओं के द्वारा खोलने के साथ-साथ उन परियोजनाओं के पुनरुद्धार की सुविधा प्रदान करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप अधिक व्यापार का सृजन होगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।”

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