व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने सफलतापूर्वक चार वर्ष पूरे किए, पारदर्शिता बढ़ाने, व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने तथा अनुपालन बोझ में कमी लाने के लिए प्रणालीगत और प्रक्रियागत बदलावों की शुरुआत की

व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने पारदर्शिता बढ़ाने तथा व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने तथा इसके जरिये हितधारकों पर अनुपालन बोझ में कमी लाने के लिए कई प्रणालीगत और प्रक्रियागत बदलावों की पहल की है। इसे व्यापार उपचार से संबंधित नियमों, पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में व्यापक प्रयास किए जाने के माध्यम से अर्जित किया गया है।

व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) जिसे पहले डीजीएडी के नाम से जाना जाता था, का गठन 17 मई 2018 को सभी प्रकार के व्यापार उपचारात्मक उपायों (डंपिंग रोधी, प्रति संतुलनकारी, सुरक्षोपाय) से संबंधित एकल राष्ट्रीय निकाय के रूप में किया गया था। डीजीटीआर घरेलू उद्योग को डंपिंग, सब्सिडीकरण तथा आयातों में उछाल जैसी अनुचित व्यापार पद्धतियों के विरुद्ध एक समान अवसर उपलब्ध कराता है।

डीजीटीआर ने इसी के अनुरुप प्रारूपों की संख्या को कम करके और हितधारकों पर भरोसा जताते हुए स्व-प्रमाणन लागू करने के जरिये व्यापार उपचार जांचों में उत्पादकों/निर्यातकों, आयातकों, उपयोगकर्ताओं तथा घरेलू उद्योग द्वारा दायर किए जाने वाले प्रारूपों और प्रश्नावलियों को सरल बनाया।

भारतीय उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई को प्राथमिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए, डीजीटीआर ने डंपिंग रोधी/प्रति संतुलनकारी शुल्क जांच में खंडित उद्योग में घरेलू उत्पादकों के लिए नमूनाकरण की प्रक्रिया लागू की।

सुरक्षोपाय मात्रात्मक प्रतिबंध जांच, द्विपक्षीय सुरक्षोपाय जांच, स्व प्रेरणा के आधार पर जांच करने के जरिये नए मार्गों की खोज की गई है।

स्व प्रेरणा जांच वास्तव में घरेलू उद्योग की संरचना को देखते हुए चुनौतीपूर्ण हैं इसलिए वे विशेष उल्लेख किए जाने के पात्र हैं। इन जांचों ने विभिन्न हितधारकों के लिए न्यायसंगत स्थान सुनिश्चित किया है। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि वित्त वर्ष 2021-22 में तीन व्यापार उपचार जांचों में अंतिम निष्कर्ष जारी किए गए थे जो दो दशकों के बाद स्व प्रेरणा के आधार पर शुरु किए गए थे। तब से इन तीनों मामलों में शुल्क लगा दिए गए हैं।

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संक्षिप्त कार्यवाही की संकल्पना को केवल नाम परिवर्तन के मामलों में लागू किया गया है।

डीजीटीआर द्वारा की गई अनुशंसाओं के आधार पर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए समान अवसरों ने बड़ी संख्या में उद्योगों को क्षमता निर्माण, उल्लेखनीय प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सुरक्षा तथा सृजन, निरंतर व्यवहार्य प्रचालन, उल्लेखनीय पूंजी निवेश में सक्षम बनाया। निदेशालय ने बड़ी संख्या में उत्पाद, जहां देश में उत्पादन का कोई पूर्व इतिहास नहीं था, और देश में नई क्षमताएं आईं थीं तथा अस्तित्व में थीं जिन पर डंपिंग प्रक्रियाओं के कारण खतरा मंडरा रहा था, घरेलू उद्योग की स्थापना के लिए सामग्री गतिरोध के प्रावधानों के तहत डंपिंग रोधी शुल्कों को लगाये जाने की अनुशंसा की। 

डीजीटीआर सनसेट समीक्षा आवेदन दाखिल करने के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए तथा दस्तावेजों की पूर्णता के लिए आवेदनों की प्रथम दृष्टया जांच के लिए चेकलिस्ट में संशोधन किया।

डीजीटीआर ने इस मामले में हितधारकों की टिप्पणियों पर विचार करने के बाद डंपिंग रोधी तथा प्रति संतुलनकारी शुल्क जांचों में अवशोषण रोधी प्रावधानों के लिए नियमों का प्रस्ताव रखा। इन नियमों को वित्त मंत्रालय (अक्टूबर, 2021) के राजस्व विभाग (डीओआर) द्वारा अधिसूचित किया गया है।

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एडी/सीवीडी/एसजी जांचों में अप्रैल, 2021 के बाद से 56 अंतिम निष्कर्ष जारी किए गए हैं।

डीजीटीआर के व्यापार प्रतिरक्षा विंग (टीडीडब्ल्यू) ने भारतीय निर्यातों के विरुद्ध डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों द्वारा प्रचालित एडी/सीवीडी में भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। अन्य देशों के प्राधिकारियों, विशेष रूप से, अमेरिका तथा ईयू के जांच प्राधिकारियों के साथ नियमित रूप् से परामर्श आयोजित किए जाते हैं जिससे कि भारतीय दृष्टिकोण की व्याख्या की जा सके, उन्हें दुहराया जा सके तथा उसे समझाया जा सके।

एआरटीआईएस (भारतीय उद्योग तथा अन्य हितधारकों के लिए व्यापार में उपचारों के लिए आवेदन) नामक ऑनलाइन पोर्टल व्यापार उपचारों के लिए आवेदन दाखिल करने में सहायता प्रदान करने के लिए लांच किया गया था तथा आंशिक रूप से मूल तथा सनसेट समीक्षा आवेदन के लिए प्रचालित किया गया था।

घरेलू उद्योग, विशेष रूप से, एमएसएमई सेक्टर की आवेदन दाखिल करने तथा उपलब्ध व्यापार उपचार उपायों तक पहुंच प्राप्त करने के संबंध में जागरुकता फैलाने में सहायता करने के लिए डीजीटीआर में एक हेल्पडेस्क तथा सुगमीकरण केंद्र प्रचालित किया गया है। 

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