अक्षय ऊर्जा में वृद्धि, ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना और बायोमास और हरित हाइड्रोजन का उपयोग ऊर्जा संरक्षण की कुंजी है: आर के सिंह

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री आर.के. सिंह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों से ऊर्जा संरक्षण के लिए राज्य स्तरीय संचालन समितियों का गठन करने को कहा है। ये संचालन समितियां संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में कार्य करेंगी। विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, परिवहन, उद्योग, आवास एवं शहरी कार्य, कृषि, ग्रामीण विकास एवं लोक निर्माण विभाग आदि के प्रधान सचिव इन समितियों के सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। समिति के आदेश के अंतर्गत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऊर्जा संरक्षण की वार्षिक रणनीति पर काम करेंगे।

मंत्री महोदय ने दोहराया कि सबसे अधिक ऊर्जा दक्ष रूप से सतत विकास पर राज्य-विशिष्ट लक्ष्यों को पूरा करने में राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का एकमात्र साधन ऊर्जा संरक्षण है। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही ऐसी समितियों का गठन कर लिया है।

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श्री सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऊर्जा संरक्षण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ कई ट्रैक पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि देश में बिजली की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पहला ट्रैक बिजली उत्पादन मिश्रण में अक्षय (नवीकरणीय ऊर्जा) को शामिल करना है। उन्होंने कहा कि दूसरा ट्रैक ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने वाला होगा जबकि तीसरा ट्रैक बायोमास और हरित हाइड्रोजन का अधिक उपयोग करने का होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम सभी इन बिंदुओं पर सामूहिक रूप से काम करें, तो हम न केवल अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि इससे नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, विकास में तेजी आएगी और अंततः देश के प्रत्येक नागरिक को लाभ होगा।

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मंत्री महोदय ने राज्यों से कृषि क्षेत्र में डीजल के उपयोग को सीमित करके वर्ष 2024 तक कृषि में शून्य डीजल उपयोग के प्रयास करने का आग्रह किया। इस संबंध में पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत अलग-अलग कृषि फीडरों के लिए सौर ऊर्जा अपनाने के लिए आरडीएसएस (पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकती है।

श्री सिंह ने बल देकर कहा कि वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता में 45 प्रतिशत की कमी के सफल कार्यान्वयन में राज्य सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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