सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर तथा सीएसआईआर-आईआईपी ने किसान-उद्योग-वैज्ञानिक बैठक का आयोजन किया

 

 

हाल ही में, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न स्थिति के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका अवसरों को सृजित करने के लिए सीएसआईआर की प्रौद्योगिकीयों के प्रसार के लिए एक प्रमुख पहल की है। इस संबंध में, किसानों के बीच किसान सभा ऐप तथा गुड़ भट्टी प्रौद्योगिकी को प्रसारित करने के लिए 30 मई, 2022 को देहरादून के सीएसआईआर-आईआईपी के लोवराज सभागृह में एक किसान-उद्योग-वैज्ञानिक बैठक का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका अवसरों को सृजित करने के लिए सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा विकसित किसान सभा ऐप्लीकेशन तथा देहरादून के सीएसआईआर-आईआईपी द्वारा विकसित गुड़ भट्टी प्रौद्योगिकी को प्रसारित करना तथा साथ में किसानों की आजीविका का सृजन करना तथा उनकी आय को बढ़ाने के लिए व्यवसाय अवसरों को विकसित करना भी था। इस बैठक में सभी प्रकार के अवसरों तथा चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए वैज्ञानिक, उद्योगपति, वित्तपोषक तथा किसान एकल मंच पर एक साथ एकत्रित हुए।

सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ. अंजन राय अपना व्याख्यान देते हुए

इस अवसर पर, देहरादून के सीएसआईआर- भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-आईआईपी) के निदेशक डॉ. अंजन राय ने ऐसी बैठकों को आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जो आर्थिक सुरक्षा तथा ग्रामीण लोगों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में सहायता करेंगी। उन्होंने सीमित संसाधनों के साथ बढ़े हुए उत्पादन की आवश्यकता पर जोर दिया तथा इस प्रक्रिया में पड़ने वाले पर्यावरण प्रभावों को न्यूनतम करने के लिए सीएसआईआर-आईआईपी की कुछ प्रौद्योगिकीयों की सूची प्रस्तुत की। उन्होंने इस बैठक में भाग लेने पर किसानों के प्रति कृतज्ञता प्रदर्शित की।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल किसान-उद्योग-वैज्ञानिक बैठक में अपने विचार प्रस्तुत करती हुई

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल इस बैठक में ऑनलाइन तरीके से सम्मिलित हुईं। उन्होंने किसानों के प्रति कृतिज्ञता जाहिर की तथा सीएसआईआर प्रौद्योगिकीयों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सृजन तथा आय बढ़ाने की दिशा में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा हाल में की गई कुछ पहलों का वर्णन किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने किसान सभा की सफलता रेखांकित की तथा यूबीए नेटवर्क की क्षमता के बारे में बताया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चुने गए 82 प्रौद्योगिकी के संग्रह के बारे में जानकारी दी। उन्होंने गुड भट्टी प्रौद्योगिकी के महत्व तथा लाभों से अवगत कराया। आखिर में, उन्होंने किसानों को सीएसआईआर से पूरी सहायता प्राप्त होने का आश्वासन दिया।

यह भी पढ़ें :   उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने 'सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण' पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. योगेश सुमन ने किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए इस बैठक के महत्व पर चर्चा की। यह अभ्यास उन्नत भारत अभियान (यूबीए) नेटवर्क का उपयोग करते हुए प्रौद्योगिकी के प्रसार को बढ़ावा देने में सहायता करेगा। इसकी वजह यह है कि यूबीए के पास उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों का एक बड़ा नेटवर्क है और यह ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के बारे में जमीनी स्तर की समस्त सूचना उपलब्ध कराता है। यह सूचना ग्रामीण क्षेत्रों में सीएसआईआर प्रौद्योगिकीयों के प्रसार एवं तैनाती में मदद करेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रौद्योगिकी का विकास करने वालों तथा उसका अनुपालन करने वालों के बीच मजबूत संबंध विकसित किए जाने चाहिए। 

समापन सत्र में, किसानों ने अपने अनुभव तथा विचार साझा किए

सीएसआईआर-आईआईपी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज आर्या ने जोर देकर कहा कि पारंपरिक गुड़ निर्माण प्रक्रिया का परिणाम क्षेत्र में वायू प्रदूषण के रूप में सामने आता है और उन्होंने इस संबंध में उन्नत प्रौद्योगिकी समाधानों की आवश्यकता जताई। इसे ध्यान में रखते हुए, सीएसआईआर-आईआईपी ने उन्नत, सरल और किफायती गुड़ भट्टी प्रौद्योगिकी का विकास किया है जो न केवल प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी लाती है बल्कि ईंधन लागत में 15 प्रतिशत की कमी लाते हुए तथा उत्पादन में 25 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए गुड़ भट्टी की प्रभावशीलता में भी बढ़ोतरी करती है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इस प्रौद्योगिकी के विविध लाभों, विशेष रूप से पौधे के बढ़े हुए जीवन पर इसके प्रभाव का भी उल्लेख किया।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. फरहत आजाद ने किसान सभा ऐप के बारे में चर्चा की तथा इसे किसानों के समक्ष प्रदर्शित भी किया। इस ऐप को छोटे तथा सीमांत किसानों की आजीविका में उत्थान के उद्देश्य से लॉन्‍च किया गया था। बिचैलियों पर निर्भरता तथा आपूर्ति श्रृंखला में सूचना की कमी की चर्चा करते हुए, उन्होंने कृषि आपूर्ति श्रृंखला में इसके उपयोग के विचार को आत्मसात करते हुए किसान सभा ऐप के विचार का वर्णन किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने विभिन्न सूचना माध्यमों तथा विभिन्न विकल्पों का भी उल्लेख किया। यह ऐप निरंतर नए फीचर जोड़ने के माध्यम से किसानों को अपडेट बनाये रख सकता है।

यह भी पढ़ें :   सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री नेे की विभागीय योजनाओं की समीक्षा घोषणाओं के बकाया कार्यों की मांगी रिपोर्ट ब्लॉक कार्यालय सुदृढ़ करने के दिए निर्देश

किसान सभा ऐप में लगभग 8 लाख किसान तथा अनगिनत अन्य हितधारक शामिल हुए हैं। इसके अतिरिक्त, 3000 एसएचजी भी इस ऐप में शामिल हुए हैं। इस ऐप का सबसे महत्वपूर्ण फीचर इसका 12 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होना है। उन्होंने किसानों के समक्ष विशेष रूप से किसान सभा में जोड़े जाने वाले गुड़ उत्पादों के बारे में उल्लेख किया।

किसानों के लिए वित्त पोषण की दिशा में केंद्र/राज्य सरकारों तथा नाबार्ड की पहलों की एक व्यापक प्रस्तुति देहरादून के नाबार्ड के एजीएम श्री भूपेंद्र कुमावत द्वारा की गई। उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड, दीनदयाल किसान योजना, कृषि अवसंरचना फंड तथा विभिन्न अन्य स्कीमों का उल्लेख किया जिससे कि किसानों की वित्त पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने में सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

धामपुर स्पेशियलिटी शुगर्स लिमिटेड के श्री सत्य प्रकाश ने उत्पाद को बाजार में बेचने के लिए विपणन कार्यनीतियों की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सिरका जैसे अन्य उत्पाद बनाने पर जोर दिया जिससे कि किसानों की आय में वृद्धि होगी।

श्री अजय गैरोला ने खुदरा क्षेत्र में किसानों के लिए अवसरों के बारे में चर्चा की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने किसानों तथा खुदरा विक्रेताओं के बीच अन्वेषण संबंधों पर बल दिया जिसकी अभी तक पूरी तरह से खोज नहीं की जा सकी है। समापन सत्र में, किसानों की सफलता गाथाओं के साथ बैठक संपन्न हुई।

***

एमजी/एएम/एसकेजे/एसएस