केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, स्टार्टअप इकोसिस्टम भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को निर्धारित करने जा रहा है और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक मुख्य स्तंभ का काम करेगा

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत की भावी अर्थव्यवस्था को निर्धारित करने जा रहा है और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभ की भूमिका निभाएगा।

पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आज यहां आयोजित “स्टार्ट-अप इंडिया- 2022 एक्सपो एंड कॉन्क्लेव” में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधन देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्रचीर से “स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया” के आह्वान से मिले प्रोत्साहन से भारत में स्टार्टअप्स की संख्या 8 साल के दौरान 2022 में बढ़कर 70,000 हो गई है, जो 2014 में 300 से 400 के बीच थे।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत इस क्षेत्र में दुनिया का तीसरा बड़ा इकोसिस्टम है और महज आठ से 10 दिन के भीतर एक स्टार्टअप, यूनिकॉर्न का आकार ले लेता है। उन्होंने कहा कि 2021 में 44 यूनिकॉर्न सामने आने के बाद, कुछ दिन पहले ही 25 लाख करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ यह संख्या 100 यूनिकॉर्न तक पहुंच गई है। केंद्रीय मंत्री ने दोहराया कि भारत के यूनिकॉर्न की औसत वृद्धि दर अमेरिका, यूके, जर्मनी और अन्य देशों की तुलना में ज्यादा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह एक टिकाऊ स्टार्टअप अभियान की जरूरत पर जोर दिया और उद्योग के इस तेजी से उभरते क्षेत्र में बराबर का भागीदार बनने का अनुरोध किया है। केंद्रीय मंत्री ने सभी के हित में स्टार्टअप, शोध, शिक्षा और उद्योग के एकीकरण पर भी जोर दिया है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने नए स्टार्टअप उद्यमियों को आईटी, कंप्यूटर और संचार क्षेत्रों से आगे सबसे कम खोज वाले और समृद्ध कृषि क्षेत्र की ओर देखने की सलाह दी है, जो हरित क्रांति के बाद एक बड़ी प्रौद्योगिकी क्रांति का इंतजार कर रहा है। बड़े स्तर पर एग्री-टेक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने का आह्वान करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभों में से एक है, क्योंकि देश की 54 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है और जीडीपी में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान देती है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सीआईएसआर प्रवर्तित अरोमा मिशन ऑफ लैवेंडर कल्टीवेशन की सफलता की कहानी को दूसरी उपयुक्त फसलों और वनस्पतियों एवं विशेष रूप से बांस क्षेत्र में दूसरे राज्यों में दोहराए जाने की जरूरत है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, फसलों के आकलन, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए ‘किसान ड्रोन’ को व्यापक स्तर पर अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इजरायल, चीन और अमेरिका जैसे देशों ने प्रौद्योगिकी के उपयोग से अपने देश में कई कृषि प्रक्रियाओं में व्यापक बदलाव किया है।

 

 

इसी प्रकार, डॉ. जितेंद्र सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि भारत में डेयरी क्षेत्र को अधिक से अधिक अमूल जैसी सफलता की कहानियों की आवश्यकता है और भारत को दूध उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बनाने के लिए नए स्टार्ट-अप की स्थापना का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, ऑस्ट्रेलिया के पास डेयरी क्षेत्र में सबसे बड़ी स्टार्टअप परियोजनाएं हैं और भारतीय उद्यमियों को इससे सीख लेनी चाहिए और नई प्रक्रियाओं की शुरुआत करनी चाहिए।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि हाल में मोदी सरकार द्वारा भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में अवसर सामने आने के बाद, इसरो में पंजीकृत 60 स्टार्टअप्स ने नैनो सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, मलबा प्रबंधन से लेकर भू प्रणालियों और अनुसंधान से जुड़े प्रस्ताव सामने रखे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने 2015 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले की प्राचीर से “स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया” के ऐलान के बाद से, इसे देश भर में बड़े स्तर पर प्रोत्साहन मिला है और अब टियर 2 और टियर 3 से ज्यादा स्टार्अप्स को सामने लाने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह युवाओं को “सरकारी नौकरी” की धारणा से मुक्ति मिलने की पुष्टि है और सरकार ग्रामीण और अर्ध शहरी उपक्रमों के लिए पर्यावरण को दक्ष बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।

आखिर में, डॉ. जितेंद्र ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से नए और भरोसेमंद स्टार्टअप्स को जैव प्रौद्योगिकी, डेयरी और एग्री टेक क्षेत्रों में पूर्ण वित्तीय और तकनीक समर्थन देने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने देश के युवाओं को बेहतर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उत्पाद विकास और विपणन एवं उत्पादों की बिक्री में सहायता देने का भी भरोसा दिलाया है।

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