भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा

केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पारेषण योजना पर आज एक बैठक की। इस बैठक में श्री आलोक कुमार, सचिव, विद्युत और श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी, सचिव, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय उपस्थित थे।

इस बैठक के दौरान, गुजरात और तमिलनाडु के तटों पर कुल 10 गीगावाट क्षमता की अपतटीय पवन परियोजनाओं के लिए आवश्यक पारेषण और निकासी संबंधी बुनियादी ढांचे पर चर्चा की गई। इस संबंध में केंद्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) की ओर से मंत्री के समक्ष एक प्रस्तुति दी गई।

एक विस्तृत समीक्षा के बाद, निम्नलिखित रूपरेखा के अनुरूप अपतटीय पवन ऊर्जा ब्लॉकों की बोली लगाने का निर्णय लिया गया:

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वित्त वर्ष 22-23 से शुरू होने वाले पहले दो वर्षों में 8 गीगावाट की परियोजना क्षमता के लिए लगने वाली बोली भी कार्बन क्रेडिट जैसी हरित विशेषताओं का लाभ उठा सकेगी।

पहले 12 गीगावाट के लिए बोली एकल चरण दो लिफाफा मॉडल पर आयोजित की जाएगी जिसमें बोलीदाताओं का मूल्यांकन उनकी तकनीकी-वाणिज्यिक क्षमताओं के आधार पर किया जाएगा और केवल तकनीकी रूप से योग्य बोली लगाने वाले ही वित्तीय मूल्यांकन के लिए अगले चरण में जायेंगे। वित्तीय मूल्यांकन समुद्र तल क्षेत्र के प्रति वर्ग किमी के लिए बताई गई लीज शुल्क पर आधारित होगा। समुद्र तल क्षेत्र के प्रति वर्ग किमी में उच्चतम लीज शुल्क की पेशकश करने वाले बोलीदाता को परियोजना का आवंटन किया जाएगा।

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वित्तीय वर्ष 29-30 तक बोली लगाई जाने वाली सभी तटवर्ती पवन क्षमताओं के लिए अपतटीय पूलिंग सबस्टेशन (पीएसएस) से तटवर्ती पारेषण तक बिजली की निकासी और पारेषण नि:शुल्क किया जाएगा।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय अपनी कार्यान्वयन एजेंसी के माध्यम से तमिलनाडु के तट पर 4.0 गीगावाट क्षमता के बराबर अपतटीय पवन ऊर्जा ब्लॉकों को पट्टे पर देने के लिए अगले तीन से चार महीनों में पहली बोली जारी करेगा।  

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