भारत ने विश्व व्यापार संगठन में विकासशील और अल्प-विकसित देशों के हितों की रक्षा के हितों का मजबूती से समर्थन किया

भारत ने विश्व व्यापार संगठन में विकासशील और अल्प विकसित देशों के हितों की रक्षा का मजबूती से समर्थन किया है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखते हुए “असमान” डब्ल्यूटीओ सुधार प्रस्ताव, कोविड टीकाकरण में वैश्विक असमानता और खाद्यान्न की सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर चिंता जताते के साथ-साथ विकासशील देशों के लिए एसएंडडीटी प्रावधानों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

श्री गोयल ने कल ‘मंत्रिस्तरीय सत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों’ पर कहा कि विश्व व्यापार संगठन सुधार के मौजूदा प्रस्ताव विकासशील देशों के हितों के खिलाफ प्रणाली को असमान बनाते हुए इसकी संस्थागत अवसंरचना को मौलिक रूप से बदल सकते हैं। श्री गोयल ने कहा कि हमें आम सहमति के मूल सिद्धांतों को संरक्षित करते हुए विश्व व्यापार संगठन के भविष्य के एजेंडे के मूल में शामिल लोगों का कल्याण और विकास के साथ-साथ एसएंडडीटी सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि एस एंड डीटी प्रावधानों की आवश्यकता पर सवाल उठाने वाले लोग जानते हैं कि विकसित देशों की प्रति व्यक्ति जीडीपी विकासशील देशों की तुलना में 20 से 50 गुना है। श्री गोयल ने कहा कि यहां तक ​​कि भारत भी 1.4 अरब लोगों का समर्थन करने वाले प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के निचले छोर पर है। श्री गोयल ने कहा कि उनका मानना ​​है कि विकासशील दुनिया बेहतर भविष्य के लिए काम करने की इच्छा रखती है और क्या यह मानवीय, निष्पक्ष अथवा न्यायसंगत नहीं होगा कि विकासशील दुनिया भी विकसित देशों के समान दायित्वों को निभाए।

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श्री गोयल ने कहा कि कोविड महामारी ने खाद्य सुरक्षा या स्वास्थ्य, आर्थिक कल्याण या खुली आपूर्ति श्रृंखला पर किसी भी संकट का तुरंत जवाब देने में दुनिया की अक्षमता को उजागर कर दिया है।

उन्होंने कहा कि जब दुनिया राहत की तलाश में थी उस वक्त विश्व व्यापार संगठन अभावग्रस्त की स्थिति में था। उदाहरण के तौर पर, वैक्सीन की असमानता कोविड महामारी के दो वर्ष बाद भी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि एकतरफ जहां एलडीसी और कई विकासशील देशों में लोगों को अभी तक टीका लगाया जाना बाकी है, तो वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने पहले ही तीसरी या चौथी खुराक दे दी है। श्री गोयल ने कहा कि यह एक वैश्विक शासन की सामूहिक विफलता है और हमें आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार लोगों को अपने दिलों में गहराई से प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है, यह हमेशा के लिए हमें दुनिया के लिए एक अधिक न्यायसंगत, निष्पक्ष और समृद्ध भविष्य बनाने में मदद करेगा और अंततः हम सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे जिन पर हम सभी ने सामूहिक रूप से सहमति व्यक्त की थी।

श्री गोयल ने कहा कि विश्वास और विश्वसनीयता के पुनर्निर्माण के लिए हमें पहले अनिवार्य मुद्दों को हल करना चाहिए, जैसे सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के स्थायी समाधान पर लगभग एक दशक पहले सहमति बनी थी।

श्री गोयल ने पूछा वर्तमान वैश्विक खाद्य संकट हमें याद दिलाता है कि हमें अभी कार्य करना है! उन्होंने कहा क्या हम गरीबों और कमजोर लोगों के लिए बनाए गए खाद्य भंडार पर निर्भर लाखों लोगों के जीवन को जोखिम में डाल सकते हैं?”

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उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान, भारत ने अकेले लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से 800 मिलियन भारतीयों को 100 मिलियन टन खाद्यान्न निःशुल्क में वितरित किया। यह हमारे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में वितरित खाद्यान्न से अधिक था और इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी कभी भूखा न सोए।

मात्स्यिकी सब्सिडी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री गोयल ने तर्क दिया कि पारंपरिक मछुआरों की आजीविका से समझौता नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हम कुछ देशों के विशेषाधिकारों को संस्थागत नहीं बना सकते हैं और उन लोगों के लिए प्रगति का अधिकार नहीं छीन सकते हैं जो समाज के कमजोर वर्ग के लिए काम कर रहे हैं। विशेष रूप से उन देशों के लिए, जो हानिकारक गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के कार्य से नहीं जुड़े हैं, हमें अलग-अलग दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है। अन्यथा, हमारे पास कृषि पर समझौते जैसी स्थिति हो सकती है, जहां असमानताएं और विषमताएं बनी रहती हैं, जिसके कारण कई देश अभी भी खाद्य सहायता पर निर्भर हैं।

जलवायु के मुद्दों पर, श्री गोयल ने प्रस्तावित किया कि हमें “प्रो प्लेनेट पीपुल” के 3पी के आधार पर पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली, अधिक दीर्घकालिक जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन को विश्वास के पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। श्री गोयल ने कहा कि “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना के साथ अच्छाई, लोगों के लिए चिंता, समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के प्रति अधिक संवेदनशीलता प्रदर्शित करने का समय है, जिसे हम भारत में “विश्व एक परिवार” के रूप में मानते हैं।

 

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