Indian Railways : बंद नहीं होंगे रेलवे स्कूल, बोर्ड ने जारी किए आदेश

Indian Railways : बंद नहीं होंगे रेलवे स्कूल, बोर्ड ने जारी किए आदेश

Kota Rail News : भारत में अब कहीं भी रेलवे स्कूल बंद नहीं होंगे। हाल ही में जो स्कूल बंद किए जा चुके हैं, उन्हें भी दोबारा खोला जाएगा। रेलवे बोर्ड द्वारा गुरुवार को इसके आदेश जारी किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि रेलवे ने मार्च में एक आदेश जारी कर देश भर के करीब 94 स्कूल बंद करने के आदेश दिए थे। इस आदेश के तहत कोटा रेलवे स्कूल को भी इसी सत्र से बंद कर दिया गया था। इस स्कूल में करीब 52 छात्र अध्ययनरत थे। इसमें से मुश्किल से एक-दो बच्चे ही रेल कर्मचारियों थे। बाकी सब बच्चे निजी काम-धंधे करने वाले लोगों के ही थे। स्कूल बंद होने के बाद सभी बच्चों टीसी काटी जा चुकी थी। ऐसे में इन बच्चों को वापस बुलाना अब किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
स्कूल बंद होने के साथ ही सात अध्यापक और अन्य स्टाफ का भी स्थानांतरण कर दिया गया है। हालांकि फिलहाल किसी स्टाफ को रिलीव नहीं किया गया है। ऐसे में अब इनके स्थानांतरण आदेश भी रद्द हो सकते हैं।
कई सालों से की जा रही थी कोशिश
उल्लेखनीय है कि कोटा का रेलवे स्कूल पिछले 50 से अधिक सालों से संचालित था। अधिकतर रेल कर्मचारियों के बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते थे। लेकिन धीरे-धीरे इस स्कूल में रेल कर्मचारियों के बच्चे कम होते चले गए। पिछले कुछ सालों में यह स्थिति लगभग शून्य तक पहुंच गई थी।
गंगापुर का स्कूल भी अब नहीं होगा बंद
नए आदेश के बाद गंगापुर सीनियर सेकेंडरी रेलवे स्कूल को भी अब बंद नहीं किया जाएगा। इस स्कूल को अगले सत्र से बंद करने की तैयारी की जा रही थी। गंगापुर स्कूल में करीब 300 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसमें से रेलवे के कर्मचारियों के करीब 12 बच्चे ही शामिल हैं। इसके अलावा यहां यहां 13 अध्यापक और अन्य स्टाफ भी कार्यरत हैं।
उल्लेखनीय है कि कोटा और गंगापुर में प्राथमिक विद्यालय भी संचालित थे। यह विद्यालय पहले ही बंद किए जा। चुके हैं। कोटा के अलावा जबलपुर स्कूल को भी अगले सत्र से बंद करने के आदेश जारी किए गए थे। अब यह स्कूल भी चालू रहेगा।
स्टाफ कर्मियों ने बताया कि इसके अलावा कटनी, इटारसी और जबलपुर में भी अंग्रेजी माध्यम के सीनियर सेकेंडरी स्कूल अब खुले रहेंगे। रेलवे द्वारा इन स्कूलों को भी बंद करने की तैयारी की जा रही थी।
देशभर के स्कूलों का यही हाल
देश भर के रेलवे स्कूलों का यही हाल था। कुल 94 स्कूलों करीब 34000 बच्चे पढ़ रहे थे। इनमें से 500 बच्चे ही रेल कर्मचारियों के थे। इसके चलते रेलवे बोर्ड ने स्कूल बंद करने के आदेश दिए थे। लेकिन गरीबों बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर लोगों द्वारा रेलवे के इस निर्णय का लगातार विरोध किया जा रहा था। विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने भी रेलवे के इस निर्णय को गलत बताया था। संगठनों ने रेलवे स्कूलों के निजीकरण करने का भी आरोप लगाया था। लोगों का तर्क था कि एक तरफ सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर शिक्षा का प्रचार प्रसार कर रही है वहीं दूसरी ओर चलते स्कूलों को बंद किया जा रहा है।
केंद्रीय विद्यालय अधिग्रहण को तैयार
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय विद्यालय नंबर-2 रेलवे स्कूल के अधिग्रहण को तैयार है। लेकिन रेलवे ने फिलहाल इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। उल्लेखनीय है कि रेलवे द्वारा केंद्रीय विद्यालयों को आर्थिक मदद दी जाती है। इसकी एवज में केंद्रीय विद्यालय में रेल कर्मचारी बच्चों को प्रवेश में प्राथमिकता मिलती है।