Indian Railways : कोटा में नहीं हो रही ट्रेनों की जांच, खतरे में दौड़ रही ट्रेनें

Indian Railways : कोटा में नहीं हो रही ट्रेनों की जांच, खतरे में दौड़ रही ट्रेनें

Kota Rail News : . कोटा में ठीक से ट्रेनों की जांच नहीं होने का मामला सामने आया है। इसके चलते सवारी गाड़ियां खतरे में दौड़ रही हैं।
कर्मचारियों ने बताया कि ट्रेनों की जांच के लिए जरूरी नॉन कांटेक्ट थर्मामीटर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं। कर्मचारियों के पास तीन ही थर्मामीटर उपलब्ध हैं। यह भी कभी बैटरी की खराबी या अन्य कारणों से कई बार ठीक से काम नहीं करते हैं। जबकि कोटा में चार प्लेटफार्म से रोजाना करीब 100 गाड़ियां गुजरती हैं। पर्याप्त संख्या में थर्मामीटर नहीं होने से ट्रेनों की जांच प्रभावित हो रही है। कर्मचारियों ने बताया कि मामला यहां तक बढ़ गया है कि अपनी गलती छुपाने के लिए कई बार ट्रेनों की बिना जांच करे ही रजिस्टर में गलत तापमान लिखा Indian Railways : कोटा में नहीं हो रही ट्रेनों की जांच, खतरे में दौड़ रही ट्रेनेंजा रहा है। शनिवार को भी श्री गंगानगर कोटा ट्रेन में एक हॉट एक्सेल का मामला सामने आया।
लेकिन स्टेशन पर थर्मामीटर नहीं होने के कारण इसका पता नहीं चल सका। बाद में रख रखाव के लिए ट्रेन यार्ड में पहुंचने के बाद इस खराबी का पता चला। इस बात को लेकर कर्मचारियों और सुपरवाइजर में बहस भी हो गई। अपनी खाल बचाने के लिए सुपरवाइजर ने कर्मचारियों को रजिस्टर में फर्जी तापमान लिखने तक की सलाह दे थी।
बाद में मामला रेलवे कर्मचारी संगठनों के पास भी गया।
इसके बाद कर्मचारी संगठनों ने भी रेल प्रशासन से पर्याप्त संख्या में थर्मामीटर उपलब्ध कराने की मांग की है। ताकि कई बार एक साथ पहुंचने वाली सभी गाड़ियों की ठीक से जांच हो सके।
एक्सेल की खराबी से दुर्घटना की संभावना ज्यादा
कर्मचारियों ने बताया कि ट्रेनों को मुख्य खतरा एक्सेल और पहियों में खराबी के कारण होता है। ट्रेन दौड़ते समय कई बार एक्सेल जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाता है। बढ़ते तापमान के कारण कई बार पहिए और एक्सेल से धुंआ और आग की लपटें निकलती नजर आती हैं। इसके चलते ट्रेन के दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
संभावित दुर्घटना रोकने के लिए विभिन्न स्टेशनों पर एक्सेल और पाहिए का तापमान नट किया जाता है। निर्धारित से अधिक तापमान मिलने पर एक्सेल और पहिऐ की खराबी दूर की जाती है। तत्काल खराबी दूर नहीं होने के कारण कई बार कोच को काटना भी पड़ता है।