Indian Railways:रेलवे अस्पताल में काटा हरा पेड़, कैंटीन के लिए बनाया फर्नीचर

रेलवे अस्पताल में काटा हरा पेड़, कैंटीन के लिए बनाया फर्नीचर

Rail News. रेलवे अस्पताल में एक हरा पेड़ काटने का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं इस कटे पेड़ को कैंटीन के लिए फर्नीचर के रूप में काम में लेने की तैयारी की जा रही है। मामले में खास बात यह है कि पेड़ कटाई और फर्नीचर तैयार करने का पूरा मामला मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सुपर्णा राय सेन सहित पूरे स्टाफ के सामने लगातार चलता रहा। अस्पताल का पूरा स्टाफ इस पेड़ काटने वाली जगह के पास से दिन में चार बार निकलता है। लेकिन किसी ने पेड़ को बचाने की जरूरत नहीं समझी। यह पूरा मामला ऐसी जगह सामने आया है जहां पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य की सबसे ज्यादा चर्चा की जाती है।

कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल परिसर स्थित वाहन स्टैंड के पास नीम का एक विशाल पेड़ लगा हुआ था। पिछले दिनों आरा मशीन से इस पेड़ को काट दिया गया। आरा मशीन चलाने के लिए यहां पर बाकायदा जनरेटर भी लाया गया था। कटे पेड़ के और टुकड़े करने के लिए यह जनरेटर अभी भी मौके पर ही खड़ा है।

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कैंटीन के लिए बनाई टेबल

कर्मचारियों ने बताया कि इस कटे पेड़ से पास ही मौजूद कैंटीन के टेबलें तैयार की गईं हैं। एक टेबल तो कटे हुए पेड़ के ठूठ की बना ली। बाकी दो टैबलें तने से तैयार की गई हैं। इतना ही नहीं इन टेबलों को सीमेंट कंक्रीट से जमीन में बाकायदा फिक्स कर दिया गया है।

कर्मचारियों ने बताया कि कटे हुए पेड़ के कुछ टुकड़े अभी भी मौके पर पड़े हुए हैं। बाकी आधे से ज्यादा पेड़ गायब है। इसका पता ही नहीं है कि बाकी के कटे पेड़ को कौन ले गया।

ठेके पर है कैंटीन

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कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल में रेलवे ने कैंटीन संचालक का ठेका दे रखा है। अभी यह कैंटीन अस्पताल भवन में ही चलती है। इस कैंटीन के लिए अस्पताल परिसर में अलग से कमरा तैयार किया गया है। इसी के पास यह पेड़ लगा था। फिलहाल यह पता नहीं चला है कि इस हरे भरे पेड़ को काटने की किसने अनुमति दी। या बिना अनुमति के ही यह पेड़ काट दिया गया। किसने अपने फायदे के लिए इस पेड़ को काटा। उल्लेखनीय है कि हरा पेड़ काटने के लिए वन विभाग की अनुमति लेना जरूरी होता। चाहे पेड़ किसी भी विभाग में लगा हो। बिना अनुमति के पेड़ काटने पर सजा का प्रावधान है।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने नहीं दिया जवाब

मामले की जानकारी के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सुपर्णा राय सेन को फोन किया गया था। लेकिन सुपर्णा ने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।