टीटीई कर रहे बाबू का काम, रेलवे को लग रहा लाखों का चूना, मुख्यालय के आदेश हवा में
Rail News. कोटा मंडल में टीकट चेकिंग स्टाफ के कई टीटीई बाबू का काम कर रहे हैं। जबलपुर मुख्यालय के आदेश के बाद भी कोटा मंडल अधिकारियों द्वारा इन टीटीइयों से अपना मूल काम नहीं करवाया जा रहा। इसके चलते रेलवे को हर महीने लाखों रुपए का चूना लग रहा है।
स्टाफ कर्मियों ने बताया कि कोटा में ही ऐसे करीब आधा दर्जन टीटीई हैं जो स्टेशन सीटीआई ऑफिस में बाबू का काम कर रहे हैं। मामले में खास बात यह है कि बाबू के काम के लिए दो कर्मचारी अलग से लगे हुए हैं। इसके बाद भी इन आधा दर्जन टीटीइयों को जबरन बाबू के काम पर लगा रखा है।
मुख्यालय के आदेश हवा में
कर्मचारियों ने बताया कि कर गत वर्ष 17 अगस्त को जबलपुर में मुख्यालय में वाणिज्य अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक ओम प्रकाश ने कोटा मंडल वाणिज्य अधिकारियों को बाबू का काम करने वाले टीटीइयों को अपने मूल काम पर लगाने के आदेश दिए थे। लेकिन 6 महीने बाद भी वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक रोहित मालवीय ने इन आदेशों की पालन करना जरूरी नहीं समझा।
ओम प्रकाश ने अपने आदेश में कहा था कि कोटा स्टेशन पर टीटीई लॉबी के लिए 4 टिकट चैकिंग कर्मचारियों को नियोजित किया गया है जो उनके मूल कार्य टिकट चैकिंग से संबंधित कार्य नहीं कर रहे हैं। जहां भी इस प्रकार की व्यवस्था हो वहां स्लीपर और स्टेशन टिकट निरीक्षक कार्यालय को एक ही स्थान पर रखें और लॉबी में नियोजित कर्मचारियों को ईएफटी बुक प्रदान कर लक्ष्य प्राप्त करने के के कार्य पर लगाएं। साथ ही लॉबी एवं स्टेशन टिकट चैकिंग से संबंधित कार्य एक ही स्थान पर किया जाए, ताकि टिकट चैकिंग कर्मचारियों की पूर्ण उपयोगिता सुनिश्चित की जा सके। हालांकि ओम प्रकाश ने अपने आदेश में ऐसे चार कर्मचारियों का जिक्र किया है। पर वास्तव में इनकी संख्या करीब आधा दर्जन है।
रेलवे को लाखों का नुकसान
उल्लेखनीय है कि एक टीटीई हर महीने औसतन तीन लाख रुपए का राजस्व रेलवे को देता है। ऐसे में इन छह टीटीइयों द्वारा अपना मूल काम नहीं करने से रेलवे को हर महीने करीब 18 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। पूरे मंडल में यह नुकसान और ज्यादा है।
सीनियर डीसीएम ने नहीं दिया जवाब
मामले को लेकर सीनियर डीसीएम रोहित मालवीय को कई बार फोन किया गया। लेकिन रोहित ने हर बार की तरह फोन को व्यस्त मोड पर रखकर जवाब देना जरूरी नहीं समझा।