Indian Railways: गुडला में राजधानी का इंजन फेल, ढाई घंटे देरी से पहुंची कोटा
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Indian Railways: वर्कशॉप में सौर ऊर्जा से बनेगी 80 प्रतिशत तक बिजली

Indian Railways: वर्कशॉप में सौर ऊर्जा से बनेगी 80 प्रतिशत तक बिजली

Rail News: कोटा। माल डिब्बा मरम्मत कारखाना (वर्कशॉप) जल्द ही आत्मनिर्भर होगा। यहा 382 किलोवॉट की क्षमता का प्लान्ट लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए टेंडर निकालने की प्रकिया चालू है। कोटा मंडल द्वारा जल्द ही इसका टेंडर निकाला जाएगा। यह प्लांट लगने के बाद कारखाने को हर साल करीब 12 लाख की बचत होगी। तीन साल से यह प्रक्रिया जारी है। लेकिन किसी न किसी कारण से काम अटक रहा है। एक बार तो सामान भी आ गया था। लेकिन फिर बाद में काम अटक गया। यह प्लांट लगने के बाद वर्कशॉप में 80 प्रतिशत बिजली उत्पादन सौर ऊर्जा से होगा।
लेकिन इससे पहले भी वर्कशॉप में ऊर्जा संरक्षण एवं कार्बन उत्सर्जन कम करने का महत्त्वपूर्ण काम हुआ है। यहां कार्यालय भवन, विभिन्न शेडों तथा कैंटीन की छत पर 500 किलोवॉट क्षमता का सौर ऊर्जा उत्पादन प्लांट लगाया गया है। पीपीपी मोड पर आयोजित इस योजना में रेलवे का कोई पैसा खर्च नहीं होता। रेलवे प्लांट लगाने के लिए केवल अपनी संपत्ती उपलब्ध करवाता है।
कंपनी सौलर ऊर्जा को कारखाने को बेचती है। कारखाना सौलर ऊर्जा 4.65 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदता है, जबकि केडीईएल से यही बिजली 7.30 रुपए प्रति यूनिट की दर से मिलती है।
वर्ष 2018-19 में 5, 99, 230 केडब्ल्यूएच सौलर ऊर्जा का उत्पादन किया गया। इससे 15 लाख 87 हजार 960 रुपए की बचत हुई है। वर्ष 2019-20 में 6, 43, 673 केडब्ल्यूएच सौलर ऊर्जा का उत्पादन किया गया है। इससे 17 लाख 5 हजार 733 रुपए की बचत हुई है। वर्ष 2020-21 में कुल 2, 70, 920 केडब्ल्यूएच सौलर ऊर्जा का उत्पादन किया गया है। इससे 7 लाख 17 हजार 938 रुपए की बचत हुई। इस प्रकार कारखाने ने 40 लाख की बचत बिजली बिल के मद में की है। अभी कारखाने में 28 प्रतिशत बिजली सौर ऊर्जा से प्राप्त हो रही है। जल्द ही इसे 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना है।
इसके अलावा कारखाने की 930 लाइट को एलईडी में परिवर्तित कर दिया गया है। वेल्डिंग ट्रांसफ ॉर्मरों पर एनर्जी सेवर लगाए हैं। इन प्रयासों के चलते कनेक्टेड लोड में 2319 किलोवॉट की कमी आई है।
मंडल में भी हो रहा काम
इसी तरह कोटा स्टेशन पर भी सौर ऊर्जा प्लांट लगाए गए हैं। इससे रोज एक मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है। इससे रेलवे को हर साल करीब 30 लाख रुपए की बचत हो रही है।
यह प्लांट प्लेटफार्म, आरक्षण केन्द्र, डीआरएम ऑफिस, रेलवे हॉस्पिटल तथा आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर सहित 10 कार्यालयों पर लगाए गए हैं। रेलवे को यह बिजली करीब 5.60 रुपए में मिलती है। जब कि सरकार से इसकी दर 8.20 रुपए प्रति किलोवॉट होती है। इसके अलावा बिजली बचत के लिए रेलवे ने कोटा सहित मंडल के करीब 90 स्टेशनों पर एलईडी लाइट भी लगाई गई।
कोटा स्टेशन पर लगे एक मेगावाट प्लांट से हर साल करीब 1080 मेगावॉट बिजली पैदा हो रही है। इससे कोटा को हर साल 28, 07, 945 रुपए की बिजली की बचत हो रही है। स्टेशन के अलावा कई कार्यालय को भी सौरल बिजली मिल रही है। बची बिजली को सरकार को बेचा भी जाता है। एक समझौते के तहत निजी कंपनी द्वारा यह प्लांट 25 साल के लिए लगाया है। तब तक कंपनी ही इस प्लांट की देखभाल करेगी। इसके बाद रेलवे इस प्लांट को अपने कब्जे में ले लेगी।
41 हजार करोड़ की बचत की योजना
रेलवे द्वारा अगले दशक में ऊर्जा लागत में 41 हजार करोड़ रुपए की बचत करने के लिए योजना तैयार कर रहा है। इसके लिए रेलवे द्वारा एक मेगावाट सौर बिजली और 200 मेगावाट पवन ऊर्जा के प्लांट लगाने की योजना पर काम कर रहा है।
6 करोड़ में लगा प्लांट
रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट से हर साल 10, 80 हजार किलोवाट (1080 मेगावाट) बिजली बनेगी। रेलवे ने इसके लिए 25 जनवरी 2017 को अनुबंध किया था। सोलर प्लांट की लागत लगभग 6 करोड़ रुपए है। दस भवनों पर सौलर प्लेट करीब 15910 वर्गफीट में लगाई गई है। साथ ही 24 इनवर्टर भी लगाए गए हैं। इससे हर साल 15, 24, 610 केडब्ल्यूएच उत्पादन हो रहा है।
सौर ऊर्जा में आत्म निर्भर की तैयारी
वर्कशॉप को सौर ऊजा में आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी की जा रही है। जल्द ही एक टेंडर होने वाला है। इसके बाद वर्कशॉप में करीब 80 प्रतिशत तक बिजली सौर ऊर्जा से बनने लगेगी। अभी करीब 28 प्रतिशत तक बिजली सौर ऊर्जा से पैदा हो रही है। – सुधीर सरवरिया, मुख्य कारखाना प्रबंधक