Indian Railways: चार महिने बाद कोटा मंडल में 160 से दौडेंगी ट्रेनें, मिशन रफ्तार का 75 प्रतिशत काम पूरा

Indian Railways: चार महिने बाद कोटा मंडल में 160 से दौडेंगी ट्रेनें, मिशन रफ्तार का 75 प्रतिशत काम पूरा

Rail news: कोटा। मिशन रफ्तार के तहत कोटा मंडल में करीब 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। इस काम के जुलाई तक पूरा होने की उम्मीद है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो चार महिने बाद कोटा मंडल के मथुरा से नागदा तक 545 किलोमीटर रेल खंड में ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने लगेंगी।
करीब 2665 करोड़ की लागत का यह काम तीन खंडों में किया जा रहा है। मथुरा-गंगापुर (152) का काम इसी महिने, गंगापुर-कोटा (172) का मई में तथा कोटा-नागदा (221 किलोमीटर) रेल खंड का काम जुलाई में पूरा करने का लक्ष्य है।
मिशन रफ्तार के तहत मवेशियों को ट्रैक पर आने से रोकने के लिए लाइन के दोनों तरफ चार दिवारी बनाने, कवच प्रणाली लगाने, पटरियों के घुमाव को कम करने तथा बिजली के तारों (ओएचई) को बदलने का कार्य किया जा रहा है।
चार दिवारी का कुल 1090 में से करीब 817 किलोमीटर (70) प्रतिशत का काम पूरा हो चुका है। बाकि बचे 273 किमी का काम तेजी से किया जा रहा है। इसके अलावा सुरक्षा के लिए ट्रैक के दोनों तरफ 364 मिलोमीटर क्षेत्र में क्रैश वेरियर भी लगाए जा रहे हैं।
45 इंजनों में लगाए कवच सिस्टम
इसके अलावा मानवीय भूल के कारण होने वाली दुर्घटना रोकने के लिए पटरियों के पास इंजनों में स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली कवच सिस्टम उपकरण लगाए जा रहे हैं। रेलवे की वर्षों के शोध के बाद यह विकसित इस सिस्टम से चालक न भी चाहे तो ट्रेन लाल सिंग्नल और दूसरी गाड़ी सामने आने पर अपने आप रुक जाएगी। इसके चलते अब तक 45 इंजनों में कवच उपकरण लगाए जा चुके हैं। 42 इंजनों में यह सिस्टम और लगाए जाने हैं। इसके अलावा पटरियों के किरानों भी कवच टावर लगाए गए हैं। कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपए प्रति किलोमीटर आता है। जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपए है। उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार की इस प्रणाली से पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जाती हैं।
पांच किमी पहले दिख जाते हैं सिग्नल
इस तकनीकी से ड्राइवर को इंजन के अंदर ही 4 से 5 किमी तक के सिग्नल की स्थिति दिख जाती है। इसके चलते कोहरे में यह उपकरण बहुत उपयोगी साबित होगा। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है। पश्चिम-मध्य रेलवे के कोटा मंडल में पहली बार यह उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। इन उपकरणों में 8500 किलो वजन के 40 मीटर ऊंचाई के 4 टॉवरों का निर्माण किया गया है। साथ ही 20 किलोमीटर लंबी ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है। इसके अलावा पूरे रेल खण्ड में रेडियो फिक्वेंसी टेग भी लगाए गए है। इसी तरह ओएचई का काम भी मथुरा-गंगापुर के बीच लगभग पूरा हो चुका है।