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Indian Railways: रेलवे अस्पताल अब एक पारी में, 60 साल बाद बदली व्यवस्था, लोको डिस्पेंसरी बंद

Indian Railways: रेलवे अस्पताल अब एक पारी में, 60 साल बाद बदली व्यवस्था, लोको डिस्पेंसरी बंद

Rail News: कोटा। रेलवे अस्पताल अब एक पारी में सुबह 9 से शाम 4 बजे तक चलेगा। आऊट डोर की यह नई व्यवस्था एक अप्रेल से लागू होगी। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सुपर्णा रॉय सेन ने बुधवार को इसके आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा रॉय ने कोटा रेलवे लोको कॉलोनी स्थित डिस्पेंसरी को भी बंद करने को कहा है। यहां का स्टॉफ अब रेलवे अस्पताल में अपनी सेवाएं देगा। अस्पताल की आपातकालिन सेवाएं शाम 4 से सुबह 9 बजे तक चालू रहेंगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों विभिन्न कर्मचारी संगठनों के साथ अस्पताल प्रशासन की हुई एक बैठक में अस्पताल को एक पारी में चलाने की सहमति बनी थी। यह नई व्यवस्था लागू होते ही करीब 60 साल पुरानी परीपाटी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। अपने बनने के समय से पिछले 60 साल से यह अस्पताल सुबह और शाम की दो पारी में चल रहा है। हालांकि बीच मेें एक-दो बार इसको एक पारी में करने का प्रयास भी किया गया था। लेकिन किसी न किसी कारण से यह प्रयास सफल नहीं हो सका था। अब सब की सहमति से इस व्यवस्था के सफल होने की उम्मीद की जा रही है।
मरीजों को होगा लाभ
इस नई व्यवस्था से खासकर कोटा से बाहर मंडल के अन्य स्टेशनों से आने वाले बीमार कर्मचारियों को विशेष लाभ होगा। जांच रिपोर्ट आदि के लिए कर्मचारियों को अब देर शाम तक नहीं रुकना होगा। इससे कर्मचारी समय से अपने घर लौट सकेंगे।
साथ ही इस नई व्यवस्था से हाल ही में अनुबंधित हुए दिल्ली के चार नामी निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का लाभ मिलने का रास्ता भी साफ हो सकेगा। माना जा रहा है कि यह डॉक्टर 15 दिन में एक बार कोटा आकर जल्द ही अपनी निशुल्क सेवाएं देना शुरु कर सकते हैं। सुपर्णा रॉय सेन द्वारा इसके विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। अस्पताल को एक पारी में चलाने की पहल भी रॉय द्वारा शुरु की गई थी।
पहला मरीज रेफर
रेल कर्मचारियों को अब दिल्ली में अनुबंधित चार बड़े निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलने लगी है। यहां से बुधवार को पहला मरीज मेंदाता में रेफर किया गया। वर्कशॉप में कार्यरत इस कर्मचारी को पिछले करीब एक साल से पेट में पानी भरने की बीमारी थी। कोटा में अनुबंधित निजी अस्पतालों में भी इस बीमारी का ठोस इलाज नहीं हो सका। इसके बाद कर्मचारी को मेंदाता अस्पातल रेफर करने का निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि रेलवे ने गुडगांव के मेंदाता हार्ट एंड मल्टीस्पेशलिटी के अलावा दिल्ली के वेंकटेश्वर तथा फरिदाबाद के एसएसबी और सर्वोदय अस्पताल से अनुबंध किया है। इस अस्पतालों में कर्मचारी रेलवे खर्च इलाज की सुविधा मिलेगी।
बिना डॉक्टर के चल रही थी डिस्पेंसरी
लोको डिस्पेंसरी बिना डॉक्टर के चल रही थी। पिछले कई सालों यहां फार्मासिस्ट ही कर्मचारियों का इलाज कर रहा था। इसके अलावा लोको रेलवे यार्ड में कर्मचारियों की संख्या में भी लगातार कमी आ रही थी। इसके चलते पिछले काफी समय से यहां डिस्पेंसरी की जरुरत महसूस नहीं की जा रही थी। इसके चलते इस डिस्पेंसरी को बंद करने का निर्णय लिया गया। लोको के अलावा वर्कशॉप और डीआरएम परिसर में भी बिना डॉक्टरों के डिस्पेंसरी चल रही है। यहां भी फार्मासिस्ट ही मरीजों का इलाज करते हैं।
अस्पताल फैक्ट फाइल
आऊट डोर- 700-800
भर्ती क्षमता- 104 बैड
पूरे मंडल के कर्मचार- 15 हजार
रिटायर्ड कर्मचारी- 15 हजार
परिजन आश्रितों की संख्या- 75 हजार