रेलवे कैरिज विभाग ने खुर्द-बुर्द किए 13 लाख के चादर-कंबल, ऑडिट ने पकड़ा मामला – कोटा

रेलवे कैरिज विभाग ने खुर्द-बुर्द किए 13 लाख के चादर-कंबल, ऑडिट ने पकड़ा मामला
कोटा। रेलवे कैरिज एंड वैगन विभाग (सी एंड डब्ल्यू) द्वारा करीब 13 लाख 50 हजार रुपए मूल्य के पुराने कंबल-चादर (लिलेन) आदि के 18 हजार 697 नग खुर्द-बुर्द करने का मामला सामने आया है। लेखा विभाग की ऑडिट में इस बात का खुलासा हुआ है। हालांकि विभाग द्वारा जलाकर लिलेन के निस्तारण की बात कही जा रही है। लेकिन यह काम भी नियम विरुद्ध करने की बात सामने आई है।
सूत्रों ने बताया कि करीब एक साल पहले सी एंड डब्ल्यू यार्ड डिपो द्वारा 3492 पुरानी बेडशीट, 981 तकिए, 8695 तकिए के कवर, 1445 कंबल तथा 4084 हाथ के पुराने तौलिए जलाकर नष्ट करने की बात सामने आई थी।
सूत्रों ने बताया कि पुराने लिलेन को नष्ट करने के लिए डिपो द्वारा रेलवे बोर्ड के नियमों का ध्यान नहीं रखा गया। नियमानुसार पुराने लिलेन को जलाकर नष्ट नहीं किया जा सकता। पुराने लिलेन को नष्ट करने के लिए डीआरएम द्वारा एक कमेटी गठित की जाती है। इस कमेटी की देखरेख में ही पुराने लिलेन का निस्तारण किया जा सकता है। निस्तारण के लिए लिलेन के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं। फिर इन टुकड़ों को तोल कर विभिन्न विभागों में भेजा जाता है। ताकि इन कपड़ो को मशीनरी आदि की सफाई में काम लिया जा सके।
लेकिन डिपो द्वारा लिलेन नष्ट करने के लिए इन नियमों का ध्यान नहीं रखा गया। लिलेन को नष्ट करने के लिए डिपो ने अपने ही विभाग के गैर पर्यवेक्षक स्तर के दो कनिष्ठ इंजीनियर और एक क्लर्क की कमेटी गठित कर दी। फिर इस कमेटी ने छोटे-छोटे टुकड़े करने की बजाय लिलेन को जलाकर नष्ट करना बता दिया।
अधिकारियों ने मांगा जवाब
लेखा विभाग की आपत्ति के बाद सी एंड डब्ल्यू विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने डिपो इंचार्ज से इसका जवाब मांगा है। अधिकारियों ने पत्र लिखकर डिपो इंचार्ज से पूछा है कि लिलेन का निस्तारण करते समय रेलवे बोर्ड के नियमों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया। साथ ही अधिकारियों ने लिलेन को जलाने से पर्यावरण को हुए नुकसान का भी आकलन करने को कहा है। इस पत्र से डिपो में हड़कंप मचा हुआ है। दंड से बचने के लिए सुपरवाइजर बचाव का रास्ता तलाश करने में जुटे हुए हैं।
पहले भी आ चुका है ऐसा मामला
लिलेन में गड़बड़ी यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सी एंड डब्ल्यू विभाग में ऐसा ही एक मामला सामने आ चुका है। कुछ समय पहले रेलवे यार्ड डिपो से बड़ी संख्या में लिलेन को कहीं ले जाया जा रहा था। तभी आरपीएफ ने अचानक यह मामला पकड़ा था।
बाद में जांच के दौरान डिपो में करीब 30 लाख रुपए मूल्य की लिलेन कम पाई गई थी। इसके बाद रेलवे ने यह रकम लिलेन धुलाई ठेकेदार से वसूल की थी।