कोटा क्रू चला रहा गंगापुर-रतलाम के बीच मालगाड़ियां, रेलवे को हो रहा नुकसान

कोटा क्रू चला रहा गंगापुर-रतलाम के बीच मालगाड़ियां, रेलवे को हो रहा नुकसान
कोटा। न्यूज. कोटा के क्रू (गार्ड- ड्राइवरों) द्वारा गंगापुर से रतलाम के बीच क्रेक मालगाड़ियां चलाए जाने का मामला सामने आया है। इससे रेलवे को हर महीने लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
रनिंग स्टाफ ने बताया कि गंगापुर-रतलाम के बीच क्रेक मालगाड़ियां चलाने के लिए कोटा के क्रू को पहले अन्य मालगाड़ियों से गंगापुर या रतलाम भेजा जाता है। वहां से यह क्रू क्रेक मालगाड़िया लेकर गंगापुर या रतलाम जाते हैं। वहां से यह क्रू बिना वर्किंग (स्पेयर) कोटा आता है। बिना वर्किंग के भी क्रू को किलोमीटर भत्ता दिया जाता है। 24 घंटे में दो दर्जन से अधिक कोटा के क्रू गंगापुर से रतलाम के बीच चलते हैं। इसके क्रू का समय भी खराब हो रहा है और रेलवे को हर महीने लाखों रुपए का नुकसान भी हो रहा है। अगर इन क्रेक मालगाड़ियों का संचालन गंगापुर क्रू द्वारा किया जाए तो रेलवे का पैसा और समय दोनों बच सकते हैं।
गंगापुर रनिंग रूम का भार हो सकता है कम
रनिंग स्टाफ ने बताया कि क्रेक मालगाड़ियों का संचालन करने वाला कोटा का क्रू अभी गंगापुर रनिंग रूम में ठहरता है। अगर गंगापुर के क्रू
द्वारा क्रेक माल गाड़ियों का संचालन किया जाता है तो गंगापुर रनिंग रूम का भार काफी कम हो सकता है। इससे भी रेलवे को हर महीने लाखों रुपए की बचत हो सकती है।
दो दर्जन गार्डों को कोटा लाने की तैयारी
रनिंग स्टाफ ने बताया कि क्रेक गाड़ियों को चलाने के लिए रेलवे द्वारा गंगापुर से करीब दो दर्जन गार्डों को कोटा लाने की तैयारी की जा रही है। इससे भी रेलवे के ऊपर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ना तय है। अभी रेलवे को गंगापुर में 9 प्रतिशत मकान किराया देना पड़ रहा है जबकि कोटा में 18 प्रतिशत देना पड़ेगा। इसके अलावा ट्रांसफर भत्ता और छुट्टियां भी देनी पड़ेंगीं। साथ ही कोटा से क्रेक मालगाड़ियों को चलाने के लिए वापस रतलाम या गंगापुर जाना पड़ेगा। फिर वापस स्पेयर कोटा आना पड़ेगा। इससे रेलवे का वित्तीय भार और बढेगा।
सवारी गाड़ियों में भी हो रही अनियमितता
इसी तरह सवारी गाड़ियों में भी अनियमितता का मामला सामने आया है। रनिंग स्टाफ ने बताया कि गंगापुर के चालक कई सवारी गाड़ियों को गंगापुर से रतलाम तक ले जा रहे हैं। जबकि इन्हीं सवारी गाड़ियों में तैनात गंगापुर का गार्ड कोटा में ही उतर जाता है। कोटा से दूसरा गार्ड रतलाम तक जाता है। रतलाम से यह गार्ड वापस कोटा लौट कर गंगापुर के गार्ड को चार्ज देता है। करीब 18 घंटे रेस्ट के बाद यह गार्ड सवारी गाड़ी लेकर वापस गंगापुर जाता है।
रनिंग स्टाफ ने बताया कि ऐसा करीब आधा दर्जन गाड़ियों में हो रहा है। इनमें साप्ताहिक गाड़ियां प्रमुख हैं। रोजाना करीब एक गार्ड की ड्यूटी इसी तरह कोटा में बदली जा रही है। इस अनियमितता के चलते रेलवे को गार्डों को दिए जाने वाले ओएसडीए भत्ते के रूप में हर महीने लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। रनिंग स्टाफ ने बताया कि अगर चालको की तरह गार्ड भी गंगापुर से रतलाम तक ड्यूटी करें तो रेलवे इस नुकसान से बच सकती है। साथ ही एक गार्ड की भी बचत हो सकती है।