और भीषण हो सकता था मथुरा ट्रेन हादसा, गिरे डिब्बों से टकराती बची स्वराज एक्सप्रेस

मथुरा-पलवल के बीच मालगाड़ी गिरने का मामला और भीषण हो सकता था। गिरे डिब्बों से टकराते माता वैष्णो देवी कटरा-बांद्रा ट्रेन बाल-बाल बची।
सूत्रों ने बताया कि मालगाडी गिरने के बाद कुछ डिब्बे पास की अप पटरी पर भी चले गए थे। तभी मौके पर स्वराज एक्सप्रेस पहुंचती थी, लेकिन पटरी पर डिब्बे गिरने के कारण सिग्नल ऑटोमेटिक लाल हो गए थे।
अचानक लाल सिग्नल नजर आने पर चालक में आपातकालीन ब्रेक लगाकर ट्रेन को मौके पर खड़ा कर किया।
अगर समय पर लाल सिग्नल नहीं होते तो 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही स्वराज एक्सप्रेस गिरे डिब्बों से एक धमाके के साथ जा टकराती। इससे हादसा और अधिक भीषण हादसा हो सकता था। सूत्रों ने बताया कि मालगाड़ी के चालक दल ने भी इंजन की आपातकालीन लाइटें जलाकर, वाकी-टाकी तथा पटरियों पर पटाखे रखकर अप गाड़ी के चालकों को सतर्क करने की कोशिश की। इसके बाद स्वराज एक्सप्रेस बदले रूट रेवाड़ी, अलवर और जयपुर होते हुए कोटा पहुंची थी।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार की रात वृंदावन और भूतेश्वर के बीच एक मालगाड़ी के 10 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस घटना के चलते मथुरा से दिल्ली के बीच 24 घंटे रेल यातायात ठप रहा था। कई गाड़ियों को रद्द किया गया था। कई गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग से चलाया था।
मुख्यालय अधिकारी ने किया भरतपुर का दौरा
इस घटना में कोटा रेल मंडल की बड़ी गलती भी सामने आ रही है। भरतपुर से गुजरते समय एक मालगाड़ी में चिंगारी नजर आ गई थी। लेकिन इसके बाद भी मालगाड़ी को नहीं रोका जा सका।
मामला सामने आने के बाद कोटा मंडल में हड़कंप मचा हुआ है। इसके चलते सोमवार को जबलपुर मुख्यालय और कोटा अधिकारियों ने भरतपुर पहुंचकर मामले की जानकारी ली। साथ ही घटना वाली रात ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए।