Indian Railway : सागर में भी कोटा जैसा हादसा, अंडर ब्रिज की मिट्टी में दबकर दो इंजीनियरों की मौत

India Railway : सागर में भी कोटा जैसा हादसा, अंडर ब्रिज की मिट्टी में दबकर दो इंजीनियरों की मौत, एक सवाई माधोपुर का
कोटा जैसा हादसा शुक्रवार रात जबलपुर मंडल के सागर स्टेशन के पास भी हो गया। इस हादसे में भी निर्माणाधीन अंडर ब्रिज की ढही मिट्टी में दबने से दो इंजीनियरों की मौत हो गई तथा कई मजदूरों की हालत नाजुक बनी हुई है।
मरने वालों में मुख्य वरिष्ठ खंड अभियंता रामसहाय मीणा तथा वरिष्ठ खंड अभियंता सुखराम अहिरवार शामिल हैं। सुखराम कटनी के और रामसहाय कोटा मंडल के सवाई माधोपुर के रहने वाले थे।
घटना के समय रात में जेसीबी मशीनों की मदद से अंडर ब्रिज में काम चल रहा था। इसी दौरान एक मालगाड़ी निकलने के बाद अचानक ढही मिट्टी में दोनों इंजीनियरों के अलावा करीब आधा दर्जन मजदूर दब गए। बाद में बड़ी मशक्कत कर सभी को बाहर निकाला गया।अस्पताल पहुंचाने पर डॉक्टर ने दोनों इंजीनियर को मृत घोषित कर दिया।
कोटा में हो चुका है ऐसा हादसा
उल्लेखनीय है कि करीब 9 महीने पहले ऐसा ही एक हादसा कोटा के पास अंडर ब्रिज में हो चुका है। यहां भी मिट्टी में दबने से एक ट्रैक मेंटेनर की मौत हो गई थी। साथ ही एक इंजीनियर सहित कई ट्रैकमैन घायल हो गए थे।
मामले में खास बात यह है कि इस घटना की जांच अभी तक भी चल रही है। प्रशासन की उदासीनता के चलते यह जांच 9 महीने बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। इस घटना के समय मौके पर अधिकारी भी मौजूद थे। इसके बावजूद भी प्रशासन ने अभी तक किसी अधिकारी को दोषी नही ठहराना जरूरी नहीं समझा है।
सजा तो दूर उल्टा प्रशासन इतना मेहरबान रहा कि दोषी अधिकारी को ही ही मामले की जांच सौंपी दी गई। जब की अधिकारी के अलावा मौके पर मौजूद अन्य इंजीनियरों को चार्जशीट थमाई गई थी।
दोषी को दी पदोन्नति
सूत्रों ने बताया कि प्रशासन की दरियादिली अधिकारी तक ही सीमित बल्कि एक इंजीनियर पर भी मेहरबान नजर आया। जांच पूरी हुए बिना ही प्रशासन ने इस इंजीनियर को बरी कर दिया। प्रशासन यहीं नहीं रुका प्रशासन ने इस इंजीनियर को सहायक मंडल इंजीनियर पद पर पदोन्नत भी कर दिया।
इतना ही नहीं इस मामले में जिम्मेदर छोटी गर्डर को भी अधिकारियों ने रातों-रात गायब कर दिया। लेकिन मामला सामने आने के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा।
प्रशासन की इस दरियादिली का मामला अब जयपुर हाई कोर्ट पहुंच गया है। प्रशासन को अब इसका जवाब देते नहीं बन रहा है।
अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने का परिणाम
सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने के कारण ही ऐसे हादसे बार-बार सामने आ रहे हैं। कार्रवाई का डर नहीं होने से अधिकारी सेफ्टी को बाईपास कर लापरवाही से काम करते हैं। संरक्षा नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। जिसके परिणाम स्वरूप ऐसे मामले सामने आते हैं।
सूत्रों ने बताया कि पश्चिम मध्य रेलवे में अंडर ब्रिज हादसों के अब तक 5 मामले सामने आ चुके हैं। अगर रेलवे द्वारा ऐसे ही आंख मूंदकर काम कराया जाता रहा तो ऐसे मामले रुकने वाले नहीं हैं।
May be an image of 1 personMay be an image of one or more peopleNo photo description available.