Indian Railways : संरक्षा आयुक्त निरीक्षण ट्रेन में दो बार लगी आग, पहली घटना में जला खाली कोच, दूसरी में बाल-बाल बचे अधिकारी

संरक्षा आयुक्त निरीक्षण ट्रेन में दो बार लगी आग, पहली घटना में जला खाली कोच, दूसरी में बाल-बाल बचे अधिकारी, कोटा मंडल में बड़ी घटना
Kota Rail News :  कोटा रेल मंडल में गुरुवार को बड़ी घटना सामने आई। मध्य क्षेत्र मुंबई के रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) मनोज अरोड़ा की निरीक्षण ट्रेन में दो बार आग लग गई। पहली घटना में एक सैलून कोच जलकर नष्ट हो गया। वहीं दूसरी घटना में सीआरएस सहित सभी अधिकारी बाल-बाल बचे। रेलवे द्वारा दोनों घटनाओं की जांच की जा रही है।
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उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी को सीआरएस का रुठियाई-मोतीपुरा रेल खंड में दोहरीकरण लाइन का निरीक्षण प्रस्तावित था। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सीआरएस अपनी स्पेशल ट्रेन से गुना स्टेशन पहुंचे थे। कोटा से गई डीआरएम स्पेशल ट्रेन भी सुबह गुना पहुंची थी। यहां से दोनों ट्रेनें आपस में जुड़ कर रुठियाई स्टेशन पहुंची थीं। यहां से इस 15 कोच की खाली ट्रेन को मोतीपुरा स्टेशन रवाना कर दिया गया। इस 15 कोच की ट्रेन में सीआरएस और डीआरएम सहित करीब 10 सैलून कोच थे।
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रुठियाई से सीआरएस ने मुख्यालय और कोटा मंडल अधिकारियों के साथ ट्रॉली में बैठ कर दोहरीकरण लाइन का निरीक्षण शुरू कर दिया। निरीक्षण करते हुए सीआरएस दोपहर बाद करीब 3 बजे धरनावदा स्टेशन पहुंचे थे। धरनावदा से मोतीपुरा पहुंचकर सीआरएस का वापस लौटने का कार्यक्रम था।
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इसके लिए निरीक्षण ट्रेन को मोतीपुर प्लेटफार्म पर लगाया गया था। प्लेटफार्म पर पहुंचते ही इंजन के पीछे तीसरे नंबर के एक निरीक्षण यान में अचानक आग लग गई। कोच में आग तेजी से फैली। देखते ही देखते आग ने पूरे कोच को अपनी चपेट में ले लिया। कोच से भारी मात्रा में धुएं का गुबार उठने लगा। घटना की जानकारी मिलते ही स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल हो गया। स्टेशन स्टाफ ने तुरत-फुरत में आग लगने वाले कोच को ट्रेन से अलग किया। इसके बाद कर्मचारियों ने अग्निशमन यंत्रों की मदद से आग पर काबू पाने का प्रयास किया। लेकिन आग इतनी भीषण थी कि 11 अग्निशमन यंत्र काम में लेने के बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका।हालांकि एक अग्निशमन यंत्र मौके पर चला ही नहीं। इस अग्निशमन यंत्र को कर्मचारी पत्थर से फोडते नजर आए।
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तीन दमकलों ने पाया आग पर काबू
इसके बाद रेलवे द्वारा स्थानीय प्रशासन और आसपास की फैक्ट्रियों से दमकल की मांग की गई। इसके कुछ देर बाद छबड़ा थर्मल पावर प्लांट से तीन दमकलें मौके पर पहुंची। इन दमकलों ने काफी मशक्कत कर आग पर काबू पा लिया। इसके कुछ देर बाद विजयपुर गेल से एक और दमकल मौके पर पहुंची थी। हालांकि तब तक आग बुझ चुकी थी।
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गीजर में विस्फोट से लगी आग!
सूत्रों ने बताया कि फिलहाल आग लगने के सही कारणों का पता नहीं चल सका है। जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी। लेकिन शुरुआती जांच में आग का कारण गीजर में विस्फोट को माना जा रहा है।
गर्म पानी से नहाने के बाद अधिकारी गीजर को बंद करना भूल गए। इसके चलते गीजर सुबह से लेकर घटना होने तक लगातार चलता रहा। लगातार चलने से गीजर का पानी भी समाप्त हो गया था। उसके बाद अत्यधिक गर्म होने के कारण गीजर में विस्फोट हो गया। विस्फोट के साथ कोच में आग लग गई। गर्म होकर वायरिंग भी पिघल गई। इसके चलते कोच में आग तेजी से फैली।
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बड़ी घटना टली
गनीमत रही कि घटना के समय ट्रेन खड़ी हुई थी। अगर यह घटना चलती ट्रेन में होती तो आग कई और कोचों को अपनी चपेट में ले सकती थी। यह यह भी गनीमत रही कि घटना के समय कोच में कोई नहीं था।
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इसी ट्रेन में दोबारा लगी आग
सूत्रों ने बताया कि मामले में खास बात यह है कि इसी ट्रेन में दोबारा से आग लग गई। सीआरएस ने ट्रायल रन के लिए ट्रेन को मोतीपुरा से रुठियाई के बीच दौड़ाया था। रुठियाई के बाद एक वातानुकूल कोच के जनरेटर के बेल्ट में अचानक आग लग गई। कुछ जलने की बदबू महसूस होने पर ट्रेन स्टाफ द्वारा गाड़ी को रुकवाया गया। जांच के दौरान बेल्ट जलता नजर आया। इसके बेल्ट को अलग कर ट्रेन को आगे के लिए रवाना किया गया। इस दौरान करीब 10 मिनट तक ट्रेन मौके पर खड़ी रहेगी।
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दोबारा टली बड़ी घटना
सूत्रों ने बताया कि इस ट्रेन में एक ही दिन में दो बार बड़ी घटना टल गई। अगर समय रहते इस घटना का पता नहीं चलता तो पूरी ट्रेन में आग लग सकती थी। इस बार तो सीआरएस सहित सभी अधिकारी ट्रेन में बैठे हुए थे।
सूत्रों ने बताया कि फिलहाल बेल्ट में आग लगने का कारणों का पता नहीं चला है। मामले की जांच की जा रही है।
हालांकि बेल्ट में आग लगने का कारण सीआरएस द्वारा ट्रेन को अधिकतम 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ आना भी माना जा रहा है। जबकि ट्रेन में 110 की क्षमता वाले पुराने कोच (आईसीएफ) लगे थे।
वहीं अधिकारियों ने बताया कि 110 वाले कोचो को 120 की रफ्तार से दौड़ाने की गुंजाइश होती है। सीआरएस को यह अधिकार होता है कि वह ट्रायल रन के दौरान ट्रेन को अधिकतम रफ्तार की गुंजाइश तक दौड़ा सकता है। अधिकतम 110 से ट्रेन चलाने की मंजूरी देने के लिए सीआरएस 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन ट्रायल करता है।
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कोटा में ही तैयार किया था यह कोच
उल्लेखनीय है कि यह कोच करीब 6 साल पहले कोटा में ही तैयार किया गया था। इस कोच को विशेष रुप से निरीक्षण के नाम पर बनाया गया था। इस कोच में सैलून के जैसी किचन, डाइनिंग टेबल, सोफे और पर्दे आदि सभी सुविधाएं मौजूद थीं। डीआरएम के अलावा सभी अधिकारी इस कोच में सफर करते थे। इस घटना के बाद सवाल उठ रहे हैं कि 6 साल में ही इस कोच में ऐसी क्या खराबी आ गई कि आग लग गई।
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कोटा मंडल की बड़ी घटना
इन दोनों घटनाओं को कोटा मंडल की अब तक की बड़ी घटनाओं में माना जा रहा है।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब प्रशासन द्वारा संरक्षा अभियान चलाया जा रहा है। भाग दौड़ कर अधिकारी दिन-रात निरीक्षण कर रहे हैं। संरक्षा के लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। और इससे भी खास बात यह है कि संरक्षा अधिकारी खुद मौके पर मौजूद हो। संरक्षा अधिकारी की मौजूदगी में यह हादसे हो रहे है। एक तरफ संरक्षा अधिकारी निरीक्षण कर रहे है और दूसरी तरफ यह हादसे हो रहे हैं।