Indian Railways : दो कर्मचारी निलंबित, संरक्षा आयुक्त ट्रेन में आग हादसा

Indian Railways : दो कर्मचारी निलंबित, संरक्षा आयुक्त ट्रेन में आग हादसा
Kota Rail News : रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) मनोज अरोड़ा की ट्रेन में आग लगने के मामले में कोटा मंडल रेल प्रशासन ने शुक्रवार को ट्रेन लाइटिंग स्टाफ के वरिष्ठ खंड अभियंता एनआर चौधरी तथा वरिष्ठ तकनीशियन सीएल नामा को निलंबित कर दिया है।
इसके अलावा 5 सदस्यीय टीम ने मामले की जांच भी शुरू कर दी। टीम में शामिल अधिकारियों ने जले कोच का निरीक्षण कर संबंधित कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। हालांकि फिलहाल आग लगने के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है।
मामले को लेकर शुक्रवार को दिनभर मेले में हड़कंप मचा रहा। अधिकारी और कर्मचारी एक दूसरे से मामले की जानकारी लेते नजर आए। मामला सीआरएस से जुड़ा होने के कारण तुरंत रेलवे बोर्ड तक पहुंच गया। संरक्षा मामलों में पहले से ही सख्ती बरत रहे रेलवे बोर्ड ने इस घटना को गंभीरता से लिया है।
सीआरएस की एक ही ट्रेन में दो बार आग लगने के मामले से लोग आश्चर्यचकित होते रहे। वह भी ऐसे समय में जब कोटा रेल मंडल द्वारा लगातार संरक्षा अभियान चलाया जा रहा है।
दूसरे मामले को छुपाने का प्रयास
हालांकि अधिकारी दूसरे मामले को छुपाने का प्रयास करते नजर आए। अधिकारियों ने बताया कि दूसरी घटना गुना से ट्रेन लौटते समय हुई। हालांकि इस दौरान ना आग लगी ना कहीं दुआ हुआ जनरेटर मोटर बेल्ट काम नहीं कर रही थी। इसके चलते एसी बंद था। इसके अलावा अन्य कोई घटना नहीं हुई।
हालांकि सूत्रों ने बताया कि बेल्ट में आग लगने की घटना हुई थी। यह घटना ट्रेन के जाते समय हुई हुई थी। चौराखेड़ी स्टेशन पर इस घटना को नोट किया गया था। इसके बाद मामले की सूचना रुठियाई स्टेशन पर दी गई थी। रुठियाई के पास ट्रेन स्टाफ को भी कुछ जलने की बदबू आई थी। इसके बाद ट्रेन को मौके पर खड़ी कर बेल्ट को मोटर से अलग किया गया था। इसके चलते ट्रेन करीब 15 मिनट मौके पर खड़ी रही थी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मोतीपुरा स्टेशन पर सीआरएस की ट्रेन में शामिल एक वातानुकूलित निरीक्षण यान में अचानक आग लग गई थी। बाद में छबड़ा थर्मल पावर प्लांट की तीन दमकलों की मदद से आग पर काबू पाया गया था। आग के चलते को कोच कबाड़ में तब्दील हो गया। कोटा मंडल द्वारा ही करीब 6 साल पहले इस कोच को तैयार किया गया था।
सवा महीने में दूसरी घटना
उल्लेखनीय है कि कोटा मंडल में ट्रेन में आग लगने की सवा महीने में यह दूसरी घटना है। इससे पहले 17 जनवरी की रात कोटा-देहरादून नंदा देवी में हिंडौन सिटी स्टेशन के पास अचानक आग लग गई थी। इस मामले में दोषियों का अब तक पता नहीं चला है।
इसके अलावा भी कोटा मंडल में ट्रेन में आग लगने की घटनाएं सामने आती रही हैं।
सूत्रों ने बताया कि यह हाल तो तब है जब कोटा मंडल के मुखिया खुद बिजली विभाग के अधिकारी रह चुके हैं।
10 साल से एक ही जगह टिके हैं बिजली इंजीनियर
उल्लेखनीय है कि गाड़ियों में बिजली के रखरखाव का कार्य ट्रेन लाइटिंग स्टाफ द्वारा किया जाता है। लेकिन इस विभाग में कई ऐसे वरिष्ठ इंजीनियर मौजूद हैं जो पिछले 10 सालों से अधिक समय से एक ही जगह टिके हुए हैं। जबकि नियमानुसार अधिकतम 3 साल में वरिष्ठ खंड अभियंतों का स्थानांतरण हो जाना चाहिए।
उसका परिणाम यह निकल रहा है कि ट्रेनों के अनुरक्षण एवं एस्कोर्टिंग कार्य अप्रशिक्षित कर्मचारियों (हेल्पर) द्वारा कराया जा रहा है। इसके चलते ट्रेन की संरक्षा को गंभीर बना हुआ है। जबकि विभाग के पास पर्याप्त संख्या में तकनीशियन मौजूद हैं। मोतीपुरा चौकी से गई सीआरएस स्पेशल ट्रेन में भी हेल्पर की ड्यूटी लगाई गई थी। जब सीआरएस स्पेशल ट्रेन का यह हाल है तो अन्य ट्रेनों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
एस्कोर्टिंग कार्य के लिए कर्मचारियों को वेतन से अलग टीए एवं ओटी का भुगतान किया जाता है।