Rajasthan : आखिर श्री करणपुर के चुनाव में हार की जिम्मेदारी भाजपा का कौन सा नेता लेगा ?

Rajasthan : आखिर श्री करणपुर के चुनाव में हार की जिम्मेदारी भाजपा का कौन सा नेता लेगा ?

Rajasthan : आखिर श्री करणपुर के चुनाव में हार की जिम्मेदारी भाजपा का कौन सा नेता लेगा ?
पंजाब की सीमा से लगे करणपुर में केजरीवाल की पार्टी का कोई असर नहीँ
यह संतोष की बात है कि राजस्थान विधानसभा में सभी 200 विधायक बैठेंगे
टीटी के विभाग अब सुरेश रावत और कन्हैया चौधरी को मिल सकते हैं
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8 जनवरी को राजस्थान के श्रीकरनपुर विधान सभा चुनाव का जो परिणाम आया उसमें अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पृथ्वी पाल संधू को मात्र 11912 वोट मिले। यह तब है जब आप शासित पंजाब से यह क्षेत्र जुड़ा हुआ है। केजरीवाल ने उम्मीदवार इसलिए उतरा ताकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से समझौते में सीट हासिल की जा सके लेकिन अब जब केजरीवाल की पार्टी की पोल पंजाब से जुड़े क्षेत्र में ही खुल गई है तो राजस्थान के अन्य संसदीय क्षेत्र में केजरीवाल का कोई दवा नहीं रहा। चुनाव परिणाम बताते हैं कि भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र पाल टीटी को 11283 मतों से हार का सामना करना पड़ा। जबकि केजरीवाल के उम्मीदवार ने 11912 मत हासिल किए हैं। असल में भाजपा के बड़े नेताओं को करणपुर में पहले ही हार का अंदेशा हो गया था इसीलिए चुनाव के दौरान ही प्रत्याशी टीटी को स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री बना दिया। देश के चुनाव इतिहास में यह पहला अवसर रहा जब किसी प्रत्याशी को परिणाम से पहले ही मंत्री पद की शपथ दिला दी। इतना ही नहीं करणपुर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की किल्लत को ध्यान में रखते हुए ही टीटी को कृषि संचित क्षेत्र विकास इंदिरा गांधी नहर जल उपयोगिता जैसे विभाग भी दिए गए लेकिन भाजपा के इन प्रयासों का मतदाताओं पर कोई असर नहीं हुआ। मतदाता ने कांग्रेस के उम्मीदवार रूपेंद्र सिंह के पिता गुरविंदर सिंह को उम्मीदवार बनाया था लेकिन प्रचार के दौरान पिता का निधन हो जाने के कारण रुपिंदर को उम्मीदवार बनाया गया। भाजपा की सत्ता पर पिता की सहानुभूति लहर हावी रही इसलिए कांग्रेस को आसानी से जीत मिल गई। राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद यह पहला अवसर रहा जब किसी चुनाव में भाजपा को हर का सामना करना पड़ा। भजनलाल शर्मा ने गत 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और मात्र 23 दिन बाद ही एक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हर हो गई। सवाल उठता है कि अब इस हार की जिम्मेदारी भाजपा का कौन सा नेता लेगा। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में डॉक्टर सतीश पूनिया के स्थान पर चित्तौड़ के सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। स्वाभाविक है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय प्रदेश अध्यक्ष के नाते जोशी को भी मिला। मौजूदा समय में भाजपा का नेतृत्व सीएम शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष जोशी ही कर रहे हैं। इन दोनों नेताओं का करणपुर चुनाव जीतने की पूरी छूट दी गई थी, जोशी और शर्मा ने जो रणनीति बनाई इस पर अमल किया गया। इस चुनाव के परिणाम से भले ही भाजपा सरकार पर असर न पड़े लेकिन कांग्रेस को उत्साहित होने का मौका मिल गया है। कांग्रेस को लगता है कि 4 माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में इस बार कुछ सीटों पर जीत मिल जाएगी कांग्रेस की उम्मीद कितनी पूरी होती है यह तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा लेकिन 2019 में जब अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी तब भी भाजपा ने प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की। 2014 में भी भाजपा को सभी 25 सीटों पर जीत मिली थी इस बार प्रदेश में भाजपा का शासन है तो भाजपा की मजबूत स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के सामने पीएम मोदी का चेहरा होता है जिसका फायदा भाजपा को मिलता है।
200 विधायक बैठेंगे
राजस्थान विधानसभा के लिए इसे अमृत कल ही कहा जाएगा की 19 जनवरी से शुरू होने वाले सत्र में प्रदेश के सभी 200 विधायक सदन में मौजूद रहेंगे कांग्रेस के पिछले 5 वर्ष के शासन को देखा जाए तो विधानसभा में कभी भी 200 नहीं रहे कोई 6 विधायकों का निधन हुआ जिनकी वजह से सदन में कभी भी 200 विधायकों की उपस्थिति नहीं रही। यही वजह रही कि प्रदेश में हर साल विधानसभा के उपचुनाव होते रहे। आमतौर पर उपचुनाव तभी होता है जब किसी विधायक का निधन हो। यह सही है कि पिछले 5 वर्ष में कोरोना का बुरा दौर भी आया कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश में तीन विधायकों का निधन हुआ. अब जब मौजूदा समय में सभी 200 विधायक उपस्थित हैं तो ईश्वर से प्रार्थना की जानी चाहिए कि किसी विधायक के निधन की वजह से उपचुनाव ना हो।
रावत और चौधरी को विभाग
श्री करनपुर चुनाव में हर के बाद सुरेंद्र पाल टीटी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में टीटी वाले विभाग मुख्यमंत्री भजनलाल के अधीन आ गए हैं माना जा रहा है कि टीटी के विभाग कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत और कन्हैयालाल चौधरी को दिए जा सकते हैं। इन दोनों ही मंत्रियों के पास पानी से जुड़े विभाग ही हैं। रावत के पास जल संसाधन विभाग और चौधरी के पास जलदाय विभाग है। टीटी के पास भी पानी से जुड़े कृषि संचित क्षेत्र इंदिरा गांधी नहर और जल उपयोगिता के विभाग थे