गो माता की दुर्दशा की वजह से देश में से समाप्त हो रहे सभ्यता, संस्कृति एवं सदाचार – साध्वी वृन्दा मयूरी

गो माता की दुर्दशा की वजह से देश में से समाप्त हो रहे सभ्यता, संस्कृति एवं सदाचार – साध्वी वृन्दा मयूरी
वृंदावन 7 दिसम्बर। गोपी रसोई की संस्थापक एवं केसरिया हिंदुस्थान निर्माण संघ की राष्ट्रीय संयोजिका साध्वी वृन्दा मयूरी जी ने गौ कथा में गौ व सनातन की महिमा बताते हुए कहा कि हमारे गर्न्थो के अनुसार समस्त संसार सात स्तम्भों पर टिका है। ’गऊ, ब्राह्मण, वेद, सत्य, दान, सती और संत।
उन्होने कहा कि आज गऊ माता का सम्मान नष्ट होने की वजह से तमोगुण की वृद्धि हो रही है गौ माता के दूध में सत्व गुण होता है जब हम बचपन से ही गाय का दूध पीते हैं तो सद्गुण प्राप्त होता है लेकिन आजकल गाय का दूध मिलता ही नहीं तो सद्गुण कहां से आएगा और जब सतगुण नहीं होगा और तमोगुण की वृद्धि होगी तो ब्राह्मणों के संस्कार नष्ट होंगे जब ब्राह्मण संस्कार हीन होंगे तो वेद कौन पड़ेगा और कौन पढाएगा इसका अर्थ है गौमाता नहीं रहेगी तो ना तो ब्राह्मण रहेंगे ना ही वेद और यह धीरे-धीरे वेद का ज्ञान समाप्ति की ओर बढ़ ही रहा है सब कुछ आपके सामने तो है हमारा पहनावा बिल्कुल बदल गया है हमारे ब्राह्मण ना तो कुर्ता धोती पहनते हैं ना चोटी रखते हैं ना संध्या करते हैं और यदि मजबूरी में या किसी पूजा के समय उन्हें ऐसा करना भी पड़े तो घर पहुंचते ही कुर्ता पहन कर पेंट पहन लेते हैं इसका अर्थ है कि उन्होंने थोड़ी देर के लिए ही धर्म को अपनाया अर्थात धर्म और सदाचार में उनकी निष्ठा नहीं है ऐसे दूषित संस्कारों का सबसे प्रमुख कारण है कि गौ माता का आशीर्वाद स्वरूप गौ का दूध दही उन्हें नहीं मिल रहा है और सतोगुण की बजाए तमोगुण उत्पन्न हो रहा है क्योंकि गौ एवं ब्राह्मण दोनों का कुल एक ही है यदि ब्राह्मण मंत्र प्रतिष्ठित है तो गोमाता हव्य प्रतिष्ठित।।यदि मंत्र ब्राह्मण के बिना नहीं बोले जाते तो हवन बिना गौ माता के नहीं हो सकता इसलिए यदि गौ नहीं रहेगी तो ब्राह्मण भी समाप्त हो जाएंगे और ब्राह्मण नहीं रहेंगे तो वेद भी अर्थहीन हो जाएंगे और जब यह तीनों नहीं होंगे तो संत भी नहीं होंगे और संत नहीं रहेंगे तो सदाचार गायब हो जाएगा क्योंकि संत ही तो सदाचार लाते हैं जिस समाज में संत नहीं होते वहां कैसा सदाचार और जब समाज मे आचार हीन लोग होंगे तो वहां की महिलाएं सती साध्वी कैसे हो सकती हैं ?
जिस समाज में आचार हीन लोग होते हैं वहां सती साध्वी की कल्पना भी करना कठिन है।।और जब ग्रहणी महिला सती या साध्वी नहीं होगी तो दान समाप्त हो जाएगा भक्ति क्षीण हो जाएगी क्योंकि दान और भक्ति की प्रेरक तो महिला ही है और जब समाज में सती और पतिव्रता नारी नहीं रहेंगी तो वीर बहादुर और दान शील पुरुष कहां से पैदा होंगे? ’क्योंकि महान पुरुष हमेशा सती नारियों की कोख से ही जन्म लेते हैं’
इसलिए आज समाज को यह सोचने की जरूरत है कि इन सब के मूल में गौमाता है और जब तक हम गौ माता को अपने परिवार में परिवार के सदस्य की तरह माता की तरह शामिल नहीं करेंगे तो सतोगुण उत्पन्न नहीं होगा और सतयुग की धारा नहीं रहेगी क्योंकि गौमाता में देवता हव्य कव्य और तीर्थ प्रतिष्ठित हैं।।
दूसरी बात हमारी गौ माता में वात्सल्य भाव है आपने देखा होगा कि हमारी गौ माता बच्चा जनने के बाद 18 घंटे तक अपने बच्चे को चाटती है और वह लाखों बच्चों में से अपने बच्चे को पहचान लेती है गाय जब तक बच्चे को दूध नहीं पिलाती दूध नहीं देती है इससे अनुमान लगा सकते हैं कि हमारी देसी गौ माता में कितना वात्सल्य होता है हमारे बालक जब इसका दूध पीते हैं तो उनमें सहनशीलता आती है बच्चों की माताएं जब गौ माता का दूध पीती हैं तो उनके स्तनों में से निकलने वाला दूध पौष्टिक आयुर्वेदिक दवा और वात्सल्य युक्त होता है जब उनका बच्चा यह दूध पीता है तो बचपन से ही उसमें सत्व गुण प्रवेश कर जाते हैं इसलिए वह वीर दान शील और सहनशील होता है लेकिन जब हम ना तो माता को ना ही बच्चों को गाय का दूध नही पिलाते हैं तो उनसे अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा की आशा कैसे करते हैं यही कारण है कि आजकल के बालक हो या युवा सब में क्रोध और क्रूरता बढ़ रही है सहनशीलता और सेवा का भाव उनमें है ही नहीं इसलिए ना तो वह अपने माता-पिता की सेवा करते हैं नाही बुजुर्गों का सम्मान करते हैं ना ही वीर और दान शील होते हैं बल्कि स्वार्थ और अपनेपन की भावना उनमें भर जाती है यही वजह है की माता पिता को या तो वृद्ध आश्रम में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है या फिर बच्चों की डांट फटकार सुनकर वृद्धावस्था को काट रहे इसलिए यदि हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को सही दिशा देनी है और अपने बच्चों से बुढ़ापे में अपनी सेवा करानी है तो गौ माता को घर में स्थान देना होगा और अपने बच्चों को गांव का दूध दही पिलाना होगा हम तभी समाज को स्वस्थ समृद्ध और सदाचार युक्त बना पाएंगे साध्वी वृंदा मयूरी जीने गोपी रसोई के उद्देश्य को बताते हुए कहा के गोपी रसोई के माध्यम से गौ सेवा एवं मानव सेवा दोनों भली-भांति की जा सकती हैं और यह कार्य सेवा भाव के साथ वृंदावन में अनवरत जारी है
गोपी रसोई के नए प्रकल्प के रूप में निर्माणाधीन गोपी सदन में 108 कमरे युक्त सेवा आश्रम का निर्माण किया जा रहा है जिसके माध्यम से प्रांगण में 51 वृद्ध व असहाय जोड़ों के लिए 51 कुटिया एवं 51 लाचार और बूढ़ी गौ माता की सेवा तथा 51 अनाथ बालको की शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारी ली जा रही है उन्होंने कहा कि अभी समाज में दान वीरों की कोई कमी नहीं है और अच्छे कार्यों की प्रशंसा करते हुए पूरा समाज योगदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ता। गोपी रसोई जीरो बैलेंस से शुरू हुई और एक साल में ही अपने लक्ष्यों की पूर्ति के प्रति अग्रसर हो रही है कोरोना के समय गोपी रसोई द्वारा किए गए कार्यों की सराहना जिलाधिकारी मंडल अधिकारी व प्रदेश के प्रमुख शासन अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री जी के पास भी भेजी गई है इसके लिए साध्वी जी ने गोपी रसोई में जुड़े सभी सदस्यों सहयोगी यों एवं दानदाताओं का हृदय से आभार प्रकट किया है।
गोपी रसोई के राष्ट्रीय प्रभारी आचार्य लक्ष्मीनारायण एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुरेश कुमार गोयल व सभी ट्रस्टी एवं कार्यकारिणी सदस्य और संस्थापक सदस्यों मासिक सदस्यों व वार्षिक सदस्यों के प्रति आभार प्रकट करते हुए अभिनंदन किया है उन्होंने कहा कि लगातार हो रही सदस्य संख्या में वृद्धि से पता चलता है के यदि इसी प्रकार से समाज में अच्छे कार्य किए जाएं तो समाज को एकजुट होने में समय नहीं लगता इसी के साथ साथ उन्होंने अपने सभी सोशल मीडिया सहयोगियों व पत्रकारो के प्रति धन्यवाद प्रकट किया गोपी रसोई द्वारा सोशल मीडिया में चलाए जा रहे धार्मिक प्रसारण से लगातार जुड़ रहे वह लाभ ले रहे सभी सज्जनों बहनों और माताओं को भी आभार व अभिनंदन किया।