आखिर लोक देवता बाबा रामदेव महाराज के श्रद्धालुओं की भीड़ कैसे रुकेगी? पुष्कर से लेकर रामदेवरा तक श्रद्धालुओं का रैला।

आखिर लोक देवता बाबा रामदेव महाराज के श्रद्धालुओं की भीड़ कैसे रुकेगी? पुष्कर से लेकर रामदेवरा तक श्रद्धालुओं का रैला।
जबकि 7 से 17 सितंबर तक रामदेवरा में बाबा की समाधि कक्ष के दरवाजे बंद रहेंगे और मेले का आयोजन भी नहीं होगा।
पुष्कर में जोगणिया धाम की ओर से भी नहीं लगेगा भंडारा।
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इसे लोक देवता बाबा रामदेव की लोगों श्रद्धा ही कहा जाएगा कि कोरोना की तीसरी लहर और सरकारी पाबंदियों की परवाह किए बिना लाखों लोग राजस्थान के पोकरण स्थित रामदेवरा की ओर बढ़ रहे हैं। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार भादवा माह के शुरू होने के साथ ही बाबा के मुरीद समाधि स्थल पर पहुंच रहे हैं। भादवा पर में बाबा की समाधि के दर्शन करने के साथ ही पुष्कर तीर्थ के सरोवर में स्नान करने की परंपरा है, इसीलिए अजमेर के पुष्कर से लेकर जोधपुर संभाग के पोकरण तक श्रद्धालुओं का रेला है। यह रेला तब हैं जब कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए पोकरण के एसडीएम ने रामदेवरा मेले के आयोजन पर रोक लगा दी है तथा समाधि स्थल के गादीपति राव भोम सिंह तंवर ने 7 से 17 सितम्बर तक समाधि कक्ष के दरवाजे बंद रखने की घोषणा की है। यानी इस अवधि में जो श्रद्धालु रामदेवरा पहुंचेंगे उन्हें बाबा की समाधि के दर्शन नहीं हो सकेंगे। मान्यता है कि रामदेव जी का जन्म भादवा माह की दूसरी तारीख को हुआ और उन्हें इसी माह की एकादशी को समाधि ली। इसलिए इस अवधि में 50 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस बार यह अवधि अंग्रेजी तारीख 7 से 18 सितम्बर के बीच है। भीड़ की आशंका को देखते हुए समाधि कक्ष को बंद रखने और मेले का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन इस फैसलों का श्रद्धालुओं पर कोई असर नहीं है, क्योंकि लाखों श्रद्धालु मोटर साइकिलों और अन्य जुगाड़ वाहनों में यात्रा कर रहे हैं। हजारों श्रद्धालु बाबा के सफेद रंग का झंडा हाथ में लिए पैदल ही चल रहे हैं। आस्था की ऐसी जिद है कि हजारों श्रद्धालु नंगे पैर ही सफर कर रहे हैं। सरकार चाहे कितनी भी पाबंदियां लगाएं, लेकिन भामाशाहों ने बाबा के श्रद्धालुओं के लिए पुष्कर से लेकर रामदेवरा तक के मार्ग में जगह जगह भंडारे लगा दिए हैं। ऐसे भंडारों में सभी यात्रियों को नि:शुल्क भोजन मिल रहा है। कहा जा सकता है कि ऐसी श्रद्धा के सामने सरकार की पाबंदियां भी धरी रह गई हे। प्रशासन ने 7 से 17 सितंबर तक समाधि स्थल के दरवाजे बंद रखने की घोषणा तो करवा दी है, लेकिन रद्धालुओं को रोकना मुश्किल होगा। प्रशासन को अभी से ही वैकल्पिक उपायों पर विचार करना चाहिए। श्रद्धालुओं के पक्षधरों का कहना है कि जब कोरोना काल में 6 जिलों में पंचायती राज के चुनाव करवाए जा रहे हैं, तब धार्मिक आयोजनों पर रोक क्यों लगाई जा रही है। जब लाखों मतदाता वोट डालने आ सकते हैं, तब श्रद्धालु बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन क्यों नहीं कर सकते हैं? क्या कोरोना की तीसरी लहर चुनाव वाले 6 जिलों को प्रभावित नहीं करेगी? इस बीच पुष्कर स्थित जोगणिया धाम के उपासक भंवरलाल जी ने भी घोषणा की है कि भादवा माह में रामदेव के श्रद्धालुओं के लिए इस बार भंडारे का आयोजन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल सरकार के दिशा निर्देशों का पालन किया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए रामदेवरा की यात्रा से बचा जाए।