बैंगलुरू में मन की बात कह कर जयपुर लौटे सचिन पायलट। कांग्रेस आलाकमान का संरक्षण नहीं होता तो पायलट इतनी बड़ी बात मीडिया के समक्ष नहीं कहते।

बैंगलुरू में मन की बात कह कर जयपुर लौटे सचिन पायलट।
कांग्रेस आलाकमान का संरक्षण नहीं होता तो पायलट इतनी बड़ी बात मीडिया के समक्ष नहीं कहते।
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कांग्रेस में कौन मुख्यमंत्री और कौन कांग्रेस अध्यक्ष होगा, यह कांग्रेस आलाकमान ही तय करता हे। यह बात राजस्थान में असंतुष्ट नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक सितम्बर को बेंगलुरु में मीथ्डया के समक्ष कही। पायलट ने कोई नई बात नहीं कही है। कांग्रेस में ऐसा ही होता है। 2018 में सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी, तब आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन एक सितम्बर को पायलट ने बेंगलुरु में जो बात कही, वह राजस्थान की मौजूदा सियासत में बहुत मायने रखती है। पायलट ने आलाकमान वाली बात तब कही है, जब राजस्थान में यह माना जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत ही सब कुछ हैं। शांति धारीवाल जैसे वरिष्ठ मंत्री ने तो सार्वजनिक तौर पर कहा भी है कि गहलोत ही कांग्रेस आलाकमान हैं। पायलट ने तो यह भी कहा है कि राज्य में कांग्रेस सरकार के मंत्री भी आलाकमान ही करता है। पायलट का यह कथन भी अशोक गहलोत के संदर्भ में मायने रखता है कि राजस्थान में गत 25 वर्षों से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बन रही है। अब यदि कांग्रेस को सत्ता में वापसी करनी है तो बेहतर प्रदर्शन करना होगा। इसके लिए सबको मिलकर काम करने की जरूरत है। मालूम हो कि पायलट और उनके समर्थक विधायकों का संगठन और सरकार में एडजस्ट करने के लिए गहलोत लगातार दबाव बना है, लेकिन मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों का मामला टलता जा रहा है। पायलट ने अपने मन की बात तब कही है जब सीएम एंजियोप्लास्टी के बाद सरकारी आवास पर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। जानकारों की माने तो पायलट को इस बार कांग्रेस आलाकमान का संरक्षण है। यदि संरक्षण नहीं होता तो इस अवसर पर पायलट ऐसा बोल्ड बयान नहीं देते। पायलट ने कहा भी है कि वे लगातार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं। बेंगलुरु में दिए गए बयान से पायलट के समर्थकों में उत्साह हे। सब जानते हैं कि पिछले भाजपा शासन में पायलट ने ही राजनीतिक संघर्ष किया। पायलट को तब प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था, जब कांग्रेस के मात्र 21 विधायक थे। मरणासन्न कांग्रेस में पायलट ने ही जान फूंकने का काम किया। तब भाजपा शासन में कांग्रेस ने लोकसभा व विधानसभा के उपचुनावों में भी जीत हासिल की। तभी रघु शर्मा जैसे नेता अजमेर से लोकसभा का उपचुनाव जीत पाए। भले ही अब रघु शर्मा सचिन पायलट के सबसे बड़े विरोधी हो, लेकिन रघु की जीत का श्रेय पायलट को ही जाता है। रघु शर्मा के बदले रुख की वजह से अब पायलट समर्थकों में नाराजगी है।
जन्मदिन की तैयारियां:
सचिन पायलट के जन्मदिन पर 7 सितम्बर को प्रदेशभर में 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। पौधरोपण के माध्यम से पायलट के समर्थक शक्ति प्रदर्शन भी कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और पायलट समर्थक विधायक राकेश पारीक ने बताया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। कार्यकर्ताओं के पास पौधे पहुंच जाए इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है। 6 सितम्बर तक सभी कार्यकर्ताओं के पास पौधे उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। पारीक ने कहा कि पायलट के जन्मदिन पर पहले भी रक्तदान शिविर लगते रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने इस बार 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। 7 सितम्बर को जन्मदिन वाले दिन पायलट अपने जयपुर स्थित आवास पर ही लोगों से मुलाकात करेंगे। 2 सितम्बर को भी पायलट ने जयपुर में कार्यकर्ताओं और आमजनों से मुलाकात की है।