‘सत्याग्रह की वर्तमान में प्रासंगिकता‘ पर संगोष्ठी एवं प्रतिमा अनावरण गांधीजी को आवरण नहीं अन्तर्मन से अपनाएं ः मुख्यमंत्री

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‘सत्याग्रह की वर्तमान में प्रासंगिकता‘ पर संगोष्ठी एवं प्रतिमा अनावरणगांधीजी को आवरण नहीं अन्तर्मन से अपनाएं ः मुख्यमंत्रीजयपुर, 31 अक्टूबर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के जीवन मूल्य एवं सिद्धान्त देश और दुनिया के लिए धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि गांधीजी को आवरण के रूप में नहीं अन्तर्मन से आत्मसात करना होगा तभी लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता के दौर में बापू के सत्याग्रह के सिद्धान्त की प्रासंगिकता और प्रबल हुई है। श्री गहलोत रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘सत्याग्रह की वर्तमान में प्रासंगिकता‘ विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर सीकर जिला कलेक्टे्रट परिसर में महात्मा गांधीजी की प्रतिमा का वर्चुअल अनावरण किया। साथ ही सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की ओर से गांधीजी के जीवन एवं दर्शन पर आधारित डिजिटल प्रदर्शनी ‘गांधी दर्शन आजादी से पूर्व और आजादी के पश्चात गौरवशाली यात्रा’ का शुभारम्भ भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन का जो स्वर्णिम इतिहास लिखा गया है। उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है ताकि देश का युवा जान सके कि अहिंसा के रास्ते पर चलकर किस तरह मुल्क को विदेशी ताकतों से मुक्त कराया गया। आज दुनिया में हिंसा और आतंक का जो माहौल बना हुआ है। गांधीजी की विचारधारा इन समस्याओं का कारगर हल है। उन्होंने कहा कि गांधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी मान्यता दी। यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने यह प्रस्ताव पारित किया कि गांधीजी के जन्म दिवस, 02 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। श्री गहलोत ने कहा कि गांधीजी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने गांधी दर्शन म्यूजियम, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूूट ऑफ गवर्नेन्स एण्ड सोशल साइंसेज, सर्वोदय विचार परीक्षा, गांधी दर्शन पुस्तकालय, खादी उत्पादों पर 50 प्रतिशत छूट, शांति एवं अहिंसा निदेशालय का गठन जैसे बड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक स्व. एसएन सुब्बाराव की स्मृति में गांधीवादी संस्थाओं के माध्यम से सुब्बाराव ट्रस्ट की स्थापना की जा सकती है जो युवाओं को गांधीवाद से जोड़ने में रचनात्मक भूमिका निभाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधीजी समाज में कमजोर वर्गों के उत्थान के पक्षधर थे। हमारी सरकार इसी सोच के साथ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ाते हुए उनका सफल संचालन कर रही है। हमारा प्रयास है कि राज्य में सभी जरूरतमंद वर्गों को सामाजिक सुरक्षा मिले और हमारे हर फैसले में गांधीवादी मूल्याें की छाया बनी रहे।कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि सत्याग्रह स्वतंत्रता आंदोलन का कभी न भूलने वाला ऎसा अध्याय है, जो एकाधिकारवादी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सतत् संघर्ष की प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने इसके जरिए समाज के सभी वर्गों को एकता के सूत्र में बांधा और विश्व इतिहास के सबसे सफल अहिंसक आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया। शिक्षा राज्यमंत्री श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार ने गांधीजी के 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में वृहद् स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर गांधीजी के जीवन मूल्यों और सिद्धान्तों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में गांधी साहित्य उपलब्ध करवाकर नई पीढ़ी को गांधीजी के आदर्शों और विचारों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि गांधीवाद बहुत सी समस्याओं के समाधान का कारगर उपाय है। शासन के अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, गांधीजी के सिद्धान्तों को अपनाकर सुशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री राजेन्द्र पारीक ने कहा कि गांधीजी और उनके सिद्धांत युगों-युगों तक प्रासंगिक रहेंगे। शोषण एवं अन्याय के खिलाफ अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी की ही देन है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को समाज को नई दिशा देने के लिए अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।  प्रमुख गांधीवादी विचारक एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री कुमार प्रशांत ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि समाज में सत्य की प्रासंगिकता कभी समाप्त नहीं हो सकती। सत्याग्रह सामाजिक चेतना लाने और अन्याय के विरोध में मजबूती से अपनी बात रखने का अचूक हथियार है। आजादी के आंदोलन में गांधीजी ने सत्याग्रह का सफल प्रयोग कर दुनिया को अन्याय के खिलाफ अहिंसक तरीके से संघर्ष का रास्ता दिखाया। उनकी यह देन दुनिया के लिए वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी प्रासंगिक रहेगी। उन्होंने सत्य को परिभाषित करते हुए कहा कि ‘सच घटे या बढ़े तो सच न रहे, झूठ की कोई इंतहा ही नहीं।‘ अर्थात् सच को बढ़ा या घटाकर कहा जाए तो वह सच नहीं रहता। उन्होंने कहा कि झूठ का कोई अस्तित्व नहीं होता। श्री प्रशांत ने कहा कि गांधीजी ने प्रकृति के ‘योग्यतम का अस्तित्व‘ के सिद्धांत को नकारते हुए ‘दुर्बलतम का अस्तित्व‘ का सिद्धांत स्थापित किया। उनका मानना था कि शक्ति शरीर में नहीं मन में होती है।मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि गांधीजी अतीत नहीं भविष्य हैं। पूरी दुनिया ने उनके सिद्धांतों को माना है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सामाजिक, राजनीतिक एवं सामूहिक जीवन में गांधी दर्शन की बड़ी उपादेयता है। उनके सत्याग्रह के सिद्धांत के माध्यम से व्यवस्था में सुधार लाकर उसे बेहतर बनाया जा सकता है। कला एवं संस्कृति की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि गांधीजी के जीवन दर्शन और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए विभाग के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने गांधीजी की 150वीं जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित गतिविधियों की जानकारी दी। महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के प्रदेश प्रभारी श्री मनीष शर्मा ने गांधीजी की विचारधारा के प्रसार तथा युवा पीढ़ी को इससे जोड़ने के लिए समिति की ओर से किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती एवं देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर इन दोनों महान नेताओं के चित्र के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम की शुरूआत में 2 मिनट का मौन रखकर प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर सीकर के सांसद एवं विधायकगण सहित अन्य जनप्रतिनिधि, सभी जिलों से गांधी 150 जिला स्तरीय समिति तथा उपखण्ड स्तरीय समिति के सदस्य एवं अधिकारी भी वीसी के माध्यम से जुड़े। कार्यक्रम में सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशक श्री पुरूषोत्तम शर्मा भी उपस्थित थे। —-