प्रदूषण नियंत्रण मंडल त्यौहारों के दौरान वायु एवं ध्वनि की गुणवता का अध्ययन कराएगा -श्रीमती वीनू गुप्ता ‘आमजन से एनसीआर क्षेत्रों में पटाखे नहीं चलाने और अन्य स्थानों पर निर्धारित समय सीमा में केवल ग्रीन पटाखे चलाने की अपील‘

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प्रदूषण नियंत्रण मंडल त्यौहारों के दौरान वायु एवं ध्वनि की गुणवता का अध्ययन कराएगा -श्रीमती वीनू गुप्ता‘आमजन से एनसीआर क्षेत्रों में पटाखे नहीं चलाने और अन्य स्थानों पर निर्धारित समय सीमा में केवल ग्रीन पटाखे चलाने की अपील‘जयपुर, 2 नवम्बर। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल प्रदेश के 5 शहरों में दीपावली त्यौहार के दौरान वायु प्रदूषण के स्तर को जानने के लिए वायु की गुणवता का विशेष अध्ययन करवा रहा है। 25 शहरों में ध्वनि प्रदूषण के स्तर को भी जांचा जा रहा है। मंडल प्रदेशवासियों से त्यौहारों के समय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) क्षेत्रों में पटाखे नहीं चलाने एवं अन्य स्थानों पर दीपावली पर निर्धारित समय राज 8 बजे से 10 बजे तक केवल ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता अभियान भी चला रहा है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की अध्यक्ष श्रीमती वीनू गुप्ता ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास कई स्तर पर किये जा रहे हैं, जिनमें राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के आपसी समन्वय के साथ-साथ आम लोगों और संचार माध्यमों सहित विभिन्न संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। राजस्थान में वायु प्रदूषण के हालात की गंभीरता पर चर्चा करते हुए श्रीमती गुप्ता ने बताया कि विख्यात विज्ञान पत्रिका लैन्सेट के एक शोध के अनुसार वर्ष 2019 में प्रदेश में हुई कुल मौतों में से 21 प्रतिशत वायु प्रदूषण के कारण हुई। देशभर के लिए मौतों का यह औसत 18 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि ठोस कचरे से फैलने वाले प्रदूषण और जल प्रदूषण के मुकाबले वायु प्रदूषण अधिक हानिकारक है, क्योंकि आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता का अभाव है। प्रदूषण मंडल सहित सभी हितधारकों को इस स्थिति का संज्ञान लेते हुए आम लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। प्रदूषण मंडल की अध्यक्ष ने बताया कि दीपावली के आस-पास वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। लेकिन बीते वर्ष पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के चलते राज्य में प्रदूषण का स्तर 20 प्रतिशत कम रहा था। इस बार मंडल की ओर से दीपावली से 7 दिन पहले और 7 दिन बाद तक 15 दिन की अवधि के दौरान जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा और अलवर में वायु गुणवŸाा की मॉनिटरिंग के लिए विशेष अध्ययन किया जा रहा है। इस दौरान 25 शहरों में ध्वनि के स्तर की भी मॉनिटरिंग की जाएगी। श्रीमती गुप्ता ने बताया कि ग्रीन पटाखे भी पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, लेकिन इनके निर्माण में भारी धातुओं (हैवी मेटल्स) का उपयोग नहीं होने से सामान्य पटाखों की तुलना में इनसे होने वाले प्रदूषण का स्तर 30 से 40 प्रतिशत कम होता है। ग्रीन पटाखों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी सामान्य पटाखों के 160 डेसिबल की तुलना में 125 डेसिबल तक ही रहता है। राज्स सरकार के निर्देशों के अनुसार एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के साथ राज्य के शेष हिस्सों में उत्सव के दिन सीमित समय के लिए केवल ग्रीन पटाखों के उपयोग की ही अनुमति दी है। इन निर्देशों की अवमानना पर राज्य सरकार कानूनी कार्यवाही करेगी। उन्होंने कहा कि पटाखों से होने वाला वायु और ध्वनि प्र्रदूषण बुजुर्गों, बच्चों, सांस सहित विभिन्न बीमारियों से ग्रसित लोगों तथा पालतू जानवरों के लिए बहुत तकलीफदेह होता है।प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव श्री आनंद मोहन ने प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूकता के लिए की जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंडल कई वर्षों से पटाखों के उपयोेग के खिलाफ अभियान चला रहा है।