जयपुर में कांग्रेस की रैली सफल करवा कर अशोक गहलोत ने ममता बनर्जी को जवाब दिया।

जयपुर में कांग्रेस की रैली सफल करवा कर अशोक गहलोत ने ममता बनर्जी को जवाब दिया।
सरकारी संसाधनों का ऐसा उपयोग सिर्फ राजस्थान में ही हो सकता था।
एबीपी न्यूज़ और सी वोटर के सर्वे में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 403 सीटों में अधिकतम दस सीटें मिलने की उम्मीद।
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कहा जा सकता है कि जयपुर में 12 दिसंबर को हुई कांग्रेस की महंगाई हटाओ महारैली सफल रही है। राजनीति के जानकारों की मानें तो जयपुर में कांग्रेस की रैली कराकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को जवाब दिया है। ममता ने विगत दिनों कांग्रेस को संयुक्त विपक्ष का चेहरा मानने से इंकार कर दिया है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिस यूपीए का चेयरमैन बताया जाता है, उस यूपीए के अस्तित्व को ही मानने से इंकार कर दिया गया। ममता के राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर ने भी कहा है कि राहुल गांधी संयुक्त विपक्ष का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं है। लेकिन अशोक गहलोत ने अपने कब्जे वाले राजस्थान में कांग्रेस की रैली कराकर ममता बनर्जी को संदेश दिया है कि कांग्रेस ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है। विपक्ष की राजनीति में कांग्रेस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के वजूद को बनाए रखने के लिए ही गहलोत ने यह रैली जयपुर में रखवाई। हालांकि कांग्रेस का शासन तो पंजाब और छत्तीसगढ़ में भी है, लेकिन इन दोनों ही प्रदेश के मुख्यमंत्री राजस्थान के अशोक गहलोत जैसे अनुभवी नहीं है। सरकारी संसाधनों का जो उपयोग राजस्थान में हुआ, वैसा उपयोग पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल नहीं कर सकते थे। गहलोत ने प्रदेश में पहले ही प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों की रीढ़ की हड्डी निकाल रखी है, इसलिए मुख्य सचिव से लेकर पुलिस महानिदेशक तक गहलोत के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं दिखा सकते हैं। यही वजह रही कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को सुबह का नाश्ता अधिकारियों के प्रशिक्षण सेंटर में करवाया गया तो गांधी परिवार के सदस्यों का स्वागत राजा महाराजाओं की तरह किया गया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दिल्ली-जयपुर के सफर के लिए विशेष विमान का इंतजाम किया गया। रैली में भीड़ जुटाने की जिम्मेदार मंत्रियों और विधायकों को दी गई। यानी सरकार के साधनों का उपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। यह अशोक गहलोत की ही राजनीतिक सूझबूझ थी कि कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले जी-23 समूह के सदस्यों को भी रैली में बुलाया गया। कांग्रेस के पुराने नेताओं को सीएम गहलोत ने खुद फोन किए। गहलोत के आग्रह पर ही गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे नेता जयपुर आए। इसमें कोई दो राय नहीं कि गहलोत ने अपनी सरकार की पूरी ताकत लगाकर कांग्रेस की रैली को सफल करवा दिया। रैली के बाद महंगाई घटाने पर केंद्र सरकार कितना असर होगा या फिर ममता के कांग्रेस विरोधी रवैये में कितना बदलाव होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन रैली से एक दिन पहले देश के प्रमुख एबीपी न्यूज चैनल और सीवोटर का जो चुनावी सर्वे सामने आया है उसमें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 403 में से अधिकतम 10 सीटें मिलने की उम्मीद जताई है। निवर्तमान समय में कांग्रेस के पास मात्र पांच विधायक हैं। यूपी में कांग्रेस की यह स्थिति तब है, जब राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी प्रभारी हैं। तीन माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा, सपा, बसपा आदि राजनीतिक दल बड़ी बड़ी रैलियां कर रहे हैं, लेकिन पार्टी की दयनीय स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में रैली करने की हिम्मत नहीं दिखाई। चुनावी खबरों के मुताबिक इस बार पंजाब भी कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगा।