बांसवाड़ा के चार और भीलवाड़ा के तीन स्थानों पर मैग्नीज, लाईमस्टोन, आयरन ऑर व गारनेट की नीलामी पूर्व तैयारी मार्च तक -एसीएस माइंस -आरएसएमईटी से उपलब्ध होगा आवश्यक वित्तीय सहयोग -50 साल में प्रदेश को 14752 करोड़ के राजस्व की संभावना

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बांसवाड़ा के चार और भीलवाड़ा के तीन स्थानों पर मैग्नीज, लाईमस्टोन, आयरन ऑरव गारनेट की नीलामी पूर्व तैयारी मार्च तक-एसीएस माइंस -आरएसएमईटी से उपलब्ध होगा आवश्यक वित्तीय सहयोग-50 साल में प्रदेश को 14752 करोड़ के राजस्व की संभावनाजयपुर, 27 जनवरी। मांइस विभाग के अतिरिक्त डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि मार्च, 22 तक प्रदेश के बांसवाड़ा के चार और भीलवाड़ा के तीन प्रधान खनिजों के कंपोजिट लाइसेंस ब्लॉक्स का जियोलोजिकल रिपोर्ट, राजस्व रिकार्ड, सुपर इंपोजि6ान और डीजीटाइजशन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा जिससे इसी वित्तीय वर्ष मेें इन ब्लॉकों की कंपोजिट लाइसेंस के लिए ई नीलामी का काम आरंभ हो सके।डॉ. अग्रवाल गुरुवार को सचिवालय में वर्चुअल बैठक के माध्यम से राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सपलोरेशन ट्रस्ट की समीक्षा बैठक ले रहे थे। उन्होंने बताया कि आरंभिक खोज में बांसवाड़ा के कालाखूंट, तांबेसरा और रुपखेड़ा में मैग्नीज के भण्डार पाए गए हैं वहीं बांसवाड़ा के ही पृथीपुरा में लाईम स्टोन के भण्डार खोजे गए हैं। इसी तरह से भीलवाड़ा के धूलखेडा-जिपिया और कजलोदिया में आयरन ऑर व सांकरिया खेड़ा में गारनेट के भण्डार मिले है। उन्होंने बताया कि नीलामी पूर्व आवश्यक तैयारियों में एक करोड़ 2 लाख के व्यय की संभावना है वहीं इससे अपफ्रंट पेमेंट सहित आगामी करीब 50 सालों में करीब 14752 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की संभावना है। उन्होंने बताया कि आरएसएमईटी के माध्यम से प्रदेश में खोज कार्य के लिए आवश्यक संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।एसीएस माइंस ने बताया कि जियोलोजि विंग की क्षमता विकास (केपेसिटी बिल्डिंग) कार्यक्रम के तहत जियोफिजिकल अनुभाग में ग्रेविटी मीटर, ईएम, आईपी, एसपी और मेग्नेटोमीटर, रिमोट सेंसिंग अनुभाग में साफ्टवेयर व आवश्यक इक्विपमेंट, पेट्रोलोजी में माइक्रोस्कोप विथ कैमरा, आवश्यक उपकरण आदि के साथ ही जरुरी विशेषज्ञ सेवाएं संविदा के आधार पर ली जाएगी। उन्होंने आरएसएमईटी की गतिविधियों में तेजी लाने के निर्देश देते हुए उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग के निर्देश दिए।निदेशक माइंंस एवं भूविज्ञान श्री केबी पण्ड्या ने बताया कि पिछले एक साल में खनिज खोज कार्य, नीलामी हेतु ब्लॉक तैयार करने व नीलामी में तेजी लाने का परिणाम है कि राज्य में खनिज खनन कार्य को गति मिली है। उन्होंने बताया कि आरएसएमईटी प्रदेश में खोज कार्य को गति देने व आवश्यक संसाधन जुटा कर सशक्तिकरण के लिए रिवाफल्विंग फण्ड है। श्री पण्ड्या ने बताया कि आरएसएमईटी द्वारा आगामी वर्ष की कार्ययोजना भी समय रहते तैयार की जा रही है जिससे वित्तीय वर्ष आरंभ होते ही कार्य आरंभ हो सकेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के व्यापक सोच का ही परिणाम है कि राज्य में आरएसएमईटी का गठन हुआ और अब गति आने लगी है।अतिरिक्त निदेशक जियोलॉजी श्री एनपी सिंह ने प्रजेटेंशन के माध्यम से विस्तार से गतिविधियों की जानकारी दी।बैठक में उपसचिव माइंस नीतू बारुपाल, एसईजी श्री आलोक जैन और ओएसडी श्री सुनील वर्मा ने भी हिस्सा लिया। एमईसीएल की और से श्री जैन और जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की और से वर्चुअलीनिदेशक तकनीकी श्री एसके कुलश्रेष्ठने आवश्यक सुझाव दिए। —-