Rajasthan: युवाओं को सरकारी नौकरी देने वाले इस संस्थान में आखिर स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीतिक प्रयोगशाला बन गया है राजस्थान लोक सेवा आयोग।
लगातार दूसरी बार किसी सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया। युवाओं को सरकारी नौकरी देने वाले इस संस्थान में आखिर स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही?
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सब जानते हैं कि प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरी देने में राजस्थान लोक सेवा आयोग की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। कॉलेज में लेक्चरर से लेकर आरएएस और आरपीएस तक की भर्ती इसी आयोग से होती है। आरएएस से आईएएस में पदोन्नति में भी इस संस्थान की भूमिका होती है। 2022 के कलेंडर में अब तक 76 भर्तियों की परीक्षा की घोषणा कर दी गई है। आरएएस की मुख्य परीक्षा 25 व 26 फरवरी को होनी है। भर्ती परीक्षाओं में हो रही गड़बडिय़ों को लेकर प्रदेश भर में बवाल मचा हुआ है। देशभर में राजस्थान की बदनामी हो रही है। इतना सब कुछ होने पर भी लगातार यह दूसरा अवसर है, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान लोक सेवा आयोग में किसी सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया है। 2 दिसंबर 2021 को भूपेंद्र यादव का कार्यकाल पूरा होने पर सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ. शिव सिंह राठौड़ को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया। 29 जनवरी 22 को डॉ. राठौड़ का कार्यकाल पूरा होने पर एक फरवरी को डॉ. जसवंत राठी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। डॉ. राठी, डॉ. राठौड़ की तरह एक दो माह में कार्यकाल पूरा करने वाले नहीं है। डॉ. राठी की उम्र अभी 58 वर्ष है और वे 62 वर्ष की उम्र तक आयोग में कार्य कर सकते हैं। डॉ. राठौड़ तो मौजूदा सदस्यों में सबसे वरिष्ठ थे, लेकिन डॉ. राठी को तो तीन सदस्य राजकुमारी गुर्जर, रामूराम रायका और संगीता आर्य की वरिष्ठता को लांघ कर कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है। असल में सीएम गहलोत ने राजस्थान लोक सेवा आयोग जैसे संस्थान को भी अपनी राजनीतिक प्रयोगशाला बना लिया है। एमएल लाठर को जब रातों रात राजस्थान का पुलिस महानिदेशक बनाया तो भूपेंद्र यादव को समय से पहले हटाना पड़ा। यही वजह रही कि यादव को 14 अक्टूबर 2020 को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर संतुष्ट कर दिया गया। 2 दिसंबर को जब यादव का कार्यकाल पूरा हुआ तो मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने गृह जिले जोधपुर के डॉ. शिव सिंह राठौड़ को कार्यवाहक अध्यक्ष बना दिया। डॉ. राठौड़ की नियुक्ति गत भाजपा शासन में हुई थी। आयोग में सदस्य बनने से पहले डॉ. राठौड़ जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के नेता के तौर पर सक्रिय रहे। यानी राजनीतिक दृष्टि से सीएम गहलोत के लिए डॉ. राठौड़ बहुत मायने रखते हैं। डॉ. राठौड़ के दो माह के कार्यकाल में गहलोत ने आयोग के चार कार्यक्रमों में भाग लिया। यानी डॉ. राठौड़ सीएम गहलोत से हाइली ओब्लाइज है। डॉ. राठौड़ का कार्यकाल पूरा होने पर आयोग में स्थायी अध्यक्ष की उम्मीद थी, लेकिन सीएम गहलोत ने लगातार दूसरी बार आयोग में कार्यवाहक अध्यक्ष ही बनाया। जानकारों के अनुसार इस बार सीएम ने अपने वरिष्ठ मंत्री लालचंद कटारिया की जाट जाति के हैं और उनकी वफादारी कटारिया के प्रति ही रही है। राठी के कार्यवाहक अध्यक्ष बनने को कुछ लोग उनकी पत्रकारिता से जोड़ रहे हैं। जबकि राठी ने कभी भी किसी मीडिया संस्थान में काम नहीं किया। कैंसर रोग को हराने पर राठी ने मेरा युद्ध कैंसर के विरुद्ध नामक पुस्तक लिखी थी। इसके अतिरिक्त पत्रकारों की यूनियनों से भी राठी जुड़े रहे। अब देखना है कि राठी कितने दिनों तक आयोग के अध्यक्ष पद का स्वाद चखते रहेंगे। राठी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाकर गहलोत ने उन सभी को चौंकाया है जो अध्यक्ष बनने की कतार में थे। इनमें सबसे प्रमुख नाम 31 जनवरी को रिटायर हुए मुख्य सचिव निरंजन आर्य का है। आयोग राजनीतिक प्रयोगशाला है, इसलिए सीएम के नए एक्शन का इंतजार किया जाना चाहिए। आमतौर पर आयोग के अध्यक्ष के तौर पर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारियों की ही नियुक्ति होती हे। हालांकि ऐसी नियुक्तियां भी राजनीतिक नजरिए से ही होती है, लेकिन सीएम गहलोत के एक्शन के बारे में अनुमान लगाना कठिन है। तीसरी बार मुख्यमंत्री का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने जा रहे अशोक गहलोत अब एक कुशल और सूझबूझ वाले राजनेता है। मोहनलाल सुखाडिय़ा के बाद अशोक गहलोत दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री के पद पर हैं।