कोटा। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार को अजय पाल को अदालत में पेश किया। मामले में सुनवाई करते हुए अदालत में अजय पाल को सेंट्रल जेल भेज दिया। अगली सुनवाई अब 18 अप्रैल को होगी। 18 अप्रैल को भी जमानत नहीं मिलने की स्थिति में अजय को अगली तारीख तक फिर जेल में ही रहना होगा।
सूत्रों ने बताया कि अजय की कोटा से फिलहाल जमानत होना मुश्किल है। भ्रष्टाचार के अधिकतर मामलों में जमानत हाईकोर्ट से मिलती है। ऐसे में अजय की जमानत भी हाईकोर्ट से हो सकती है। तब तक अजय को जेल में ही रहना होगा।
अदालत सुनवाई के दौरान अजय ने अपने आप को निर्दोष बताते हुए हेमराज मीणा चार्जशीट देने के अपने निर्णय को सही बताया। अजय पाल ने बताया कि गलतियों के कारण अजय पाल को चार्जशीट थमाई गई है। अजय ने अपने जवाब में बताया कि लगातार गलतियों के कारण ही हेमराज को अब तक करीब 12 चार्जसीटें मिल चुकी हैं। इसके अलावा अजय ने अदालत को बताया कि उसे जानबूझकर षड्यंत्र का शिकार बनाया गया है। इसके बाद अदालत ने मामला निलंबित कर दिया।
इधर, एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश मीणा ने बताया कि अजय से फिलहाल कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है। कार्रवाई से संबंधित कुछ दस्तावेजों की जांच की जा रही है
मच्छरों ने किया परेशान
एसी में सोने के आदि अजय पाल ने पहली बार कोई रात सेंटर जेल में गुजारी है। कैदी की वर्दी पहने अजय पाल को मच्छरों ने खूब परेशान किया। मच्छरों की भिन्न-भिन्न से अजय पूरी रात बेचैन रहे।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि भरतपुर की एसीबी टीम ने गुरुवार को अजय पाल को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। अजय ने यह रिश्वत अपने ही विभाग के कर्मचारी खानपान निरीक्षक हेमराज मीणा की चार्ज शीट माफ करने की एवज में ली थी। अजय ने यह राशि हिंडौन में खानपान बेंडर महेश शर्मा के जरिए ली थी। एसीबी ने महेश शर्मा को भी गिरफ्तार किया है। अदालत ने महेश शर्मा को भी 18 अप्रैल तक जेल भेजा है।