दर्द ने जगा दिया सेवा का भाव, शुरू हुई मुहिम

दर्द ने जगा दिया सेवा का भाव, शुरू हुई मुहिम

रक्तदाता जीवनदाता ग्रुप संचालक एम पी गंभीरा ने ठीक 90 दिन पूरे होते ही पुनः रविवार को रक्तदान कर दूसरों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया। ओर अपने साथ मे चार डोनर लेकर ब्लड बैंक गए और उनका ब्लड ग्रुप चेक करवाया और इमरजेंसी केश के लिये चारो डोनरो को रिजर्व में रखा ! नरेश मलारना चौड़ , मनराज दोबड़ा खुर्द, मंसाराम दोबड़ा खुर्द, लोकेश भाड़ौती ! ग्रुप के मिडिया प्रभारी कालूराम मीना ने बताया रणथंभौर सेविका हॉस्पिटल में भर्ती गर्भवती महिला ममता निवासी टोडर जिला श्योपुर के लिए किया रक्तदान और दिया जीवनदान इस प्रेरणा पर उन्होंने कहा कि उनका यही विश्वास किसी ना किसी के काम आएगा और यही उनके लिए बड़ी खुशी का पल है। रक्तदाता जीवनदाता ग्रुप के संचालक एम पी गंभीरा ने सरकारी हॉस्पिटल बल्ड बैंक में पहुंचकर रविवार को अपने जीवन का 17वां स्वेच्छिक रक्तदान किया। उन्होंने बताया कि अब तक वे 17 बार रक्तदान दे चुके हैं। एम पी गम्भीरा ने बताया कि यह रक्तदान की मुहिम तब चलाई जब वह अशोकनगर मध्यप्रदेश में बैंक आफॅ बड़ौदा में कार्यरत थे । 26 मई 2017 में जब सशेन्द्र सिंह यादव ने अपनी गर्भवती पत्नी को अशोकनगर के आयुष्मान नर्सिंग होम में भर्ती करवाया जहां गर्भ में बच्चा मर जाने के कारण महिला की हालत बिगड़ने लगी और चिकित्सक ने ब्लड की सख्त जरूरत बता दी। जब अस्पताल में ब्लड की व्यवस्था नहीं हुई तो उन्होंने रिश्तेदार को फोन मिलाया। हड़बड़ाहट में नंबर गलत लग जाने के कारण फोन बैंक कर्मचारी एम पी गम्भीरा के पास मिल गया जो बैंक में ड्यूटी कर रहा था। फोन पर चिल्ला रहा था कि ब्लड देकर मेरी बीवी को बचा लो। इस पर बैंक कर्मचारी ने इंसानियत दिखाते हुए अस्पताल का नाम पूछकर बैंक कार्य छोड़कर अस्पताल पहुंचा और गर्भवती महिला को ब्लड देकर उसकी जान बचाई। महिला का पति उस बैंक कर्मचारी को धन्यवाद देता नहीं थक रहा। आज अपने अपनों के लिए नहीं करते। हैं लेकिन अनजान कर्मचारी ने बिना जाति और नाम पूछे चिकित्सक के मना करने पर भी जान जोखिम में डालकर •महिला को ब्लड देकर बचा लिया। रक्त की कमी व समय पर रक्त नहीं मिलने की वजह से लोगों की जान जाने की खबर का पड़ा तो उनके मन दुखी हुआ। इसी दुख ने दूसरों के जीवन को सार्थक बनाने के लिए रक्तदान का जुनून जागा और इस अभियान की शुरू कर दिया। इस अभियान को चलाने के उनके कई मित्रों ने एक टीम बनाई और उसका नाम रक्तदाता जीवनदाता ग्रुप सवाई माधोपुर रखा। 24 फरवरी 2018 को भाडोती हॉस्पिटल में पहला रक्तदान शिविर आयोजित किया। जहां पहले रक्तदान शिविर में 35 यूनिट रक्त एकत्र हुआ। उस समय एम पी गम्भीरा ने अपने मित्रों के साथ अपने जीवन का चौथा रक्तदान भी उसी दिन किया रक्तदाता जीवनदाता ग्रुप के युवा जिसमें लड़के एवं लड़कियां अपने जन्मदिन को विशेष रूप से दूसरों के जीवन को खुशी देने के लिए रक्तदान शिविर लगाकर मनाते हैं। उन्होंने बताया कि रक्तदाता जीवनदाता ग्रुप का व्हाट्सप्प ग्रुप बनाया हुआ है। जिसमें किसी भी जरूरतमंद को रक्त को जब जरूरत होती है तो उस पर आने वाली सूचना पर रक्तदाता जीवनदाता ग्रुप की ओर से त्वरित रक्त उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें जहां से भी सूचना हो वहाँ उस जरूरतमंद को रक्तदाता द्वारा रक्त उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए संस्था द्वारा टीम के समन्वयक अपने स्तर पर वेरिफिकेशन करते हैं। यदि मरीज के परिजन में देने वाला है तो पहले उनको मोटिवेशनल करती है फिर उनका रक्तदान करवाती है, यदि किसी परिवार के पास रक्त देने के लिए कोई भी नहीं तो रक्तदाता जीवनदाता अपने स्तर पर नजदीक वाली ब्लड बैंक से जरूरतमंद को बिना देरी किये हुए रक्त उपलब्ध करवाती है। फिजूलखर्ची ना हो: रक्तदाता जीवनदाता ग्रुप के युवा रक्तवीरों का कहना है कि उनके जन्मदिन के अवसर पर पार्टी आदि में फिजूलखर्चा न करके स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित करवाते हैं। ऐसे में जरुरतमंदों को रक्त की जरूरत के समय इधर-उधर नहीं भटकना पड़े और समय पर रक्त मिल जाए। जिससे उनके मरीज की जान बच सके। यही नहीं अर्चना फाउंडेशन अलवर शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों एवं तहसील स्तर पर भी रक्तदान शिविर का आयोजन समय-समय पर कर रहती है। जीवन का पहला रक्तान भी उसी दिन किया। सूचना मिलते ही सेवा हो जाती है शुरू उन्होंने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के साथ साथ ही लाइव डोनेशन, ऑन कॉल डोनेशन के माध्यम से अभी तक लगभग 6300 लोगों का ग्रुप 6100 यूनिट रक्त उपलब्ध करवा चुका है