वीरांगना: महिलाओं की सुरक्षा में जुटी महिलाओं के शौर्य और साहस की कहानी

“वीरांगना का मतलब है एक बहादुर महिला, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती है। एक मजबूत महिला न केवल अपनी रक्षा करती है, बल्कि दूसरों की भी रक्षा करती है”, असमिया डॉक्यूमेंट्री फिल्म वीरांगना के निदेशक और निर्माता श्री किशोर कलिता ने आज गोवा में आयोजित हो रहे 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा।

वीरांगना को गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में भारतीय पैनोरमा सेक्शन के लिए चुना गया है। यह देश में अपनी तरह की पहली पहल से संबंधित है। असम पुलिस की पहली महिला कमांडो फोर्स ‘वीरांगना’ को वर्ष 2012 में लॉन्च किया गया था।

किशोर कलिता, जो पेशे से एक वकील हैं और फिल्म निर्माण को अपना जुनून बताते हैं, ने कहा, “आजकल हम हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ मिलकर महिलाओं के काम करने की बात करते हैं, लेकिन जब रात होती है, तो छेड़खानी करने वालों और उत्पीड़कों के डर से महिलाएं अकेले बाहर निकलने से डरती हैं। तथ्य यह है कि महिलाएं महिलाओं की रक्षा कर सकती हैं, यही मैं इस वृत्तचित्र के माध्यम से दिखाना चाहता था।”

वीरांगना, असम राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों से लड़ने के लिए एक मजबूत महिला पुलिस इकाई है और यह असम के वर्तमान पुलिस महानिदेशक श्री भास्कर ज्योति महंत, जो तत्कालीन एजीपी (प्रशिक्षण और सशस्त्र पुलिस) थे, के दिमाग की उपज है। इन महिलाओं को मोटरबाइक राइडिंग, मार्शल आर्ट और किसी भी अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए घातक और गैर-घातक हथियारों को संभालने का प्रशिक्षण दिया गया था। उन्हें ‘साइलेंट ड्रिल’ में भी प्रशिक्षित किया गया था जो राइफल को संभालने में एक अद्वितीय मूक सटीक प्रदर्शनी ड्रिल है और जिसे यूएस मरीन्स द्वारा प्रसिद्ध किया गया था।

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21 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में निर्देशक हमें दिखाते हैं कि कैसे असम पुलिस की महिला कमांडो यूनिट विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देती है और कैसे वे समाज में बढ़ती आपराधिक प्रवृत्तियों से आत्मविश्वास और ताकत के साथ निपटती हैं।

असम पुलिस की महिला योद्धाओं की वीरता को फिल्म को समर्पित करते हुए, श्री कलिता ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि इस फिल्म को देखने के बाद लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा, खासकर युवा लड़कियां, जो एक दिन समाज के बहादुर और साहसी पहलू बनने की अकांक्षा रखती हैं।”

निदेशक ने आगे कहा, “वीरांगना की अवधारणा ऐसी है कि अगर कोई महिला रात में बाहर निकलती है और वीरांगनाओं को सड़कों पर गश्त करते हुए देखती है, तो वे सुरक्षित महसूस करेंगी।”

LIVE NOW📡Meet the directors of Indian Panorama Non-Feature Films🎬 Kishore Kalita – Director, Veerangana (Assamese)🎬 Prachee Bajania – Director, The Spell of Purple (Gujarati)#IFFI52📺 https://t.co/GGmzIJrcPf pic.twitter.com/g6F2RbE0l9

फिल्म समीक्षक और डॉक्यूमेंट्री के लेखक उत्पल दत्ता ने कहा, “इसमें लगभग एक साल लग गया, शूटिंग व री-शूटिंग, स्क्रिप्ट लिखने और फिर से लिखने में, लेकिन अंत में, परिणाम हमारी अपेक्षा से बेहतर था।” दत्ता ने इसे सरकारी संगठन से अधिक एक सामाजिक संगठन बताते हुए कहा, “आमतौर पर सरकारी संगठनों के पास कुछ विशेष आदेश, दिशा-निर्देश और सिद्धांत होते हैं। यह पहल लगभग एक एनजीओ की तरह है, सामाजिक परिवर्तन का प्रयास विभाग के भीतर अंतर्निहित है और इसी ने मुझे इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रिप्ट लिखने के लिए आकर्षित किया।

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फिल्म बनाने के पीछे अपनी प्रेरणा के बारे में बात करते हुए, कलिता ने कहा कि “समाज को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। फिल्में कहानी कहने और समाज को संदेश देने का बेहतरीन माध्यम हैं। यही कारण है कि मैंने इस फिल्म के माध्यम से वीरांगना की यात्रा का दस्तावेजीकरण करने का फैसला किया।”

डॉक्यूमेंट्री खाकी में इन बहादुर महिलाओं के दूसरे पक्ष को भी दिखाती है। निदेशक ने कहा, “उनमें से कुछ लेखन में अच्छी हैं, कुछ गायन और नृत्य आदि में अच्छी हैं, वे अपने खाली समय में इन पर काम करती हैं।” डॉक्यूमेंट्री में महिला अधिकारियों को यह साझा करते हुए दिखाया गया है कि कैसे वीरांगना इकाई ने उनके अंदर की ताकत को सबके सामने ला दिया- जो उन्हें कभी नहीं पता थी कि उनके भीतर है। उन्होंने इस प्रयास के बाद खुलने वाले विभिन्न अवसरों के बारे में भी बात की।

डॉक्यूमेंट्री को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी प्रदर्शित किया गया है और कोचीन अंतर्राष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म अवॉर्ड, 2021 में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री घोषित किया गया था।

फिल्म समीक्षक और वीरांगना के पटकथा लेखक उत्पल दत्ता ने भी मीडिया से बातचीत के बाद अपनी नई किताब “फिल्म प्रशंसा” का विमोचन किया। 52वें आईएफएफआई में भारतीय पैनोरमा सेक्शन के लिए चुनी गई एक अन्य गैर-फीचर फिल्म द स्पेल ऑफ पर्पल के निदेशक प्राची बजनिया ने पुस्तक प्राप्त की।

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