आरआईएनएल ने विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र में “इंक्रीजिंग स्टील कंजम्पशनः स्टील यूसेज वे फॉर्वर्ड” पर संगोष्ठी का आयोजन किया

 ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को मनाये जाने के क्रम में इस्पात मंत्रालय चार जुलाई से 10 जुलाई, 2022 तक प्रतीक सप्ताह मना रहा है, जिसके सिलसिले में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) ने कई गतिविधियां शुरू की हैं।

प्रतीक सप्ताह के अंग के रूप में विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र में बुधवार को आरआईएनएल के तत्वावधान में आईएनएसडीएजी ने “इंक्रीजिंग स्टील कंजम्पशनः स्टील यूसेज वे फॉर्वर्ड” (इस्पात की खतप में निरंतर बढ़ोतरीः इस्पात के उपयोग की दिशा) पर संगोष्ठी का आयोजन किया।

विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र, आरआईएलएल के मानव संसाधन विकास केंद्र से कार्यक्रम की सीधी स्ट्रीमिंग की गई। इसमें आरआईएनएल के 80 कार्यकारियों ने हिस्सा लिया। इनके अलावा आरआईएनएल के अन्य स्थानों पर स्थित मार्केंटिंग के 22 कार्यालयों के 60 कार्यकारी भी शामिल हुये।

आईएनएसडीजी के वरिष्ठ पदाधिकारी श्री अरिजित गुहा ने आईएनएसडीजी की प्रमुख गतिविधियों पर एक पीपीटी प्रस्तुतीकरण पेश किया तथा बताया कि अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में इस्पात की खपत बढ़ाने के लिये आईएनएसडीजी क्या कदम उठा रहा है। कार्यक्रम का समापन प्रश्नोत्तर सत्र से हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने सवाल पूछे तथा संसाधन से जुड़े व्यक्तियों ने उत्तर दिये।

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संगोष्ठी में प्रमुख रूप से इस्पात के उत्पादन/खपत पर चर्चा की गई। इसके अलावा भारत में इस्पात की कम खपत, इस्पात की खपत में सुधार करने के उपायों, ग्रामीण क्षेत्रों में की जाने वाली पहलों और आईएनएसडीजी की अन्य गतिविधियों पर भी बात की गई।

संगोष्ठी का आरंभ इस्पात की सेक्टर-वार खपत के विश्लेषण से हुआ। इसके बाद भारत में इस्पात की कम खपत के लिये जिम्मेदार घटकों तथा उसमें सुधार करने के कदमों पर चर्चा की गई। आईएनएसडीजी की प्रमुख गतिविधियों और उसके द्वारा पेश की जाने वाली तकनीकी सेवाओं को भी रेखांकित किया गया।

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इस्पात की खपत बढ़ाने के लिये ग्रामीण गतिविधियों के अंग के रूप में उन प्रयासों का उल्लेख किया गया, जिनके तहत उद्यमी ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात विरचना संयंत्रों की स्थापना, सही परियोजनाओं की पहचान के लिये कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन को शामिल किया गया है, ताकि मैदानी स्तर पर इस्पात की खपत बढ़ना सुनिश्चित हो सके। इन प्रयासों में अत्यंत कारगर और बेहतर काम करने वाले विशेष इस्पात के इस्तेमाल का प्रचार करने के लिये विशेष परियोजनाओं को शुरू करना तथा कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के जरिये उद्योग व अकादमिक जगत के बीच आदान-प्रदान को बढ़ाना भी शामिल है।

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एमजी/एएम/एकेपी