मत्स्यपालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में ‘‘मछली पालन सहकारी समितियों की क्षमता और भूमिका’’ पर वेबीनार का आयोजन किया

मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्रालय (एफएएचडी) के मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) ने शुक्रवार 22 जुलाई, 2022 को ‘‘मछली पालन सहकारी समितियों की क्षमता और भूमिका’’ पर एक वेबीनार का आयोजन किया। यह वेबीनार भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में जारी आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के हिस्से के रूप में विभाग द्वारा आयोजित किया जाने वाला 14वां वेबीनार था।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ) के सचिव श्री जतिन्द्र नाथ स्वैन द्वारा संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) श्री सागर मेहरा, संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्यपालन) डॉ. जे. बालाजी तथा विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ की गई। इस वेबीनार का उद्देश्य मत्स्य कृषकों के जीवन में समृद्धि लाने में मत्स्य पालन सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में एक संवाद आरंभ करने के लिए एक फोरम की शुरुआत करनी थी जिससे कि समग्र रूप से क्षेत्रवार विकास हो सके।

विशेषज्ञ पैनलिस्ट, मछुआरों, किसानों, उद्यमियों, मछली पालन सहकारी समितियों के सदस्यों, विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मछली पालन अधिकारियों, राज्य कृषि, पशु चिकित्सा तथा मछली पालन विश्वविद्यालयों के संकायों, मछली पालन सहकारी समितियों के अधिकारियों, वैज्ञानिकों, छात्रों तथा देश भर के मछली पालन मूल्य श्रृंखला के अन्य हितधारकों सहित पूरे देश से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने इस वेबीनार में भाग लिया।

मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) के सचिव श्री जतिन्द्र नाथ स्वैन ने कहा कि भारतीय मत्स्यपालन सेक्टर में बढ़े हुए उत्पादन तथा उत्पादकता के साथ, सरकार सामूहिकता के माध्यम से छोटे स्तर के मछुआरों को संस्थागत ऋण, गुणवत्तापूर्ण इनपुट, परिवहन, लॉजिस्ट्क्सि आदि के लिए सहायता का लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिए सहकारी समितियों की स्थापना पर अधिक ध्यान केंद्रित करती रही है।

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संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) श्री सागर मेहरा ने देश में मछली पालन सहकारी समितियों के महत्व पर चर्चा की। श्री मेहरा ने भारत में मात्स्यिकी सहकारी समितियों के महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मछली पालन के एक सनराइज सेक्टर होने के कारण, डेयरी, कृषि उद्योगों के सर्वोत्तम प्रचलनों से सीख हासिल किए जाने तथा मछली पालन सेक्टर में सहकारी समितियों के विकास के लिए इन सबका उपयोग करने की कोशिश किए जाने की आवश्यकता है।

पीएमएमएसवाई के तहत एफएफपीओ स्कीम 135 करोड़ रुपये के निर्धारित निवेश के साथ 720 एफपीओ के सृजन के माध्यम से मछली पालन क्षेत्र का समावेशी तथा टिकाऊ रूपांतरण अर्जित करने का प्रयास करती है। जहां पीएमएमएसवाई के तहत 500 एफएफपीओ का गठन किया जाना है, शेष 220 एफएफपीओ को भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साथ चल रही एफपीओ योजना के संयोजन के माध्यम से स्थापित किया जाना है। मछली पालन विभाग ने अभी तक एनसीडीसी तथा राष्ट्रीय मत्स्यपालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) की सहायता के साथ 47.80 करोड़ रुपये के बराबर के 90 से अधिक एफएफपीओ की स्थापना के लिए शुरुआत की है।

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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत सरकार ने मछली पालन क्षेत्र के विकास तथा प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए फिश फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफएफपीओ) के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना की है। जहां सरकार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को सदस्यों को संगठित करने तथा मात्स्यिकी सहकारी समितियों की स्थापना करने के प्रस्ताव के साथ आगे आने के लिए प्रोत्साहित करती है, यह महत्वपूर्ण है कि किसी सहकारी समिति या एफएफपीओ की स्थापना के जरिये ही सदस्य मत्स्य कृषकों/ मछुआरों के लिए प्राथमिक सहायता तंत्र और क्षमता निर्माण का सृजन किया जाए। इस स्कीम का उद्देश्य व्यावहार्य तथा टिकाऊ मछली पालन आय सृजन मॉडल के विकास में सुविधा प्रदान करना है जो समग्र रूप से सामाजिक- आर्थिक विकास लाएगा एवं मछुआरा समुदायों का कल्याण करेगा।

एनसीपी के महानिदेशक श्री संदीप कुमार नायक, डीएनएस रीजनल इंस्टीच्यूट ऑफ कॉपरेटिव मैनेजमेंट, पटना के निदेशक डॉ. के पी राजन, तमिलनाडु के मछली पालन विभाग की अपर निदेशक डॉ. एस नूरजहां तथा हिमाचल प्रदेश के उना की एग्री ऑर्गेनिक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के बोर्ड के निदेशक श्री अनिल राणा ने विशेषज्ञ पैनल सत्रों के दौरान अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। अंत में, फोरम को सभी प्रतिभागियों के प्रश्नों और उत्तरों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ परस्पर संवादमूलक चर्चा के लिए खोल दिया गया। 

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एमजी/एएम/एसकेजे/एसएस