सीएक्यूएम दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक संस्थानों की विशेषज्ञता को उपयोग करेगा

मुख्य बातें :

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे की रोकथाम, नियंत्रण और न्यूनतम करने के उद्देश्य से संयुक्त तथा एक साथ काम करने के दृष्टिकोण के साथ वायु प्रदूषण के क्षेत्र में काम कर रहे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थानों की तकनीक/ शैक्षणिक विशेषज्ञता के दोहन का फैसला किया है।

विस्तृत तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन तथा आकलन के बाद आयोग ने सात (07) प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

ये सात परियोजनाएं संक्षिप्त रूप से इस प्रकार हैं :

इस परियोजना में क्लाउड प्लेटफॉर्म पर सीसीटीवी फुटेज अपलोड करके वाहनों की गणना के लिए आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)/ मशीन लर्निंग (एमएल) टूल का उपयोग किया जाएगा। इससे शहरी केंद्रों के लिए वाहन गणना में मदद मिलेगी, साथ ही वायु प्रदूषण उत्सर्जन सूची तैयार करने में मदद मिलेगी। वाहनों की गिनती के लिए एआई टूल के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न प्रकार की यातायात सघनता का उपयोग किया जाएगा। एआई टूल के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न सड़क खंडों के 24 घंटे के सीसीटीवी फुटेज अपलोड किए जाएंगे।

इस प्रस्तावित अध्ययन का उद्देश्य वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी आधारित कार्ययोजनाओं के साथ वाहनों से उड़ने वाली सड़क की धूल के समाधान के द्वारा दिल्ली एनसीआर में वायु की गुणवत्ता में सुधार करना है।

परियोजना का उद्देश्य विशेष रूप से प्रदूषकों यानी एसओ2, एनओ2, पीएम 2.5 और पीएम 10 की रियल टाइम वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ एक निर्दिष्ट प्रक्षेपवक्र में ड्रोन उड़ाने के लिए एआई आधारित तकनीक विकसित करना है। यह डेटा दिल्ली एनसीआर में किसी विशेष क्षेत्र/स्थान पर प्रदूषक संकेंद्रण की जमीनी, स्थानिक, अस्थायी, ऊंचाई और प्रदूषण संकेद्रण की मौसमी भिन्नता के बारे में जानकारी प्रदान करने के साथ ही वायु गुणवत्ता परिदृश्य की भविष्यवाणी में उपयोगी होगा, जिससे नियंत्रित करने की रणनीति के अनुकूलन में मदद मिलेगी।

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अध्ययन का उद्देश्य दिल्ली और आठ सीमावर्ती जिलों यानी फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुरुग्राम, गौतम बुद्ध नगर, झज्जर, सोनीपत, बागपत और रोहतक में दैनिक आधार पर स्थानीय, क्षेत्रीय और दूर के उत्सर्जन स्रोतों का परिमाणन के बारे में बताना और वायु प्रदूषण की भावी घटनाओं से बचने के लिए संभावित उत्सर्जन में कमी की रणनीति उपलब्ध कराना है।

इस परियोजना का उद्देश्य लक्षित क्षेत्र में लोगों के लिए जोखिम कम करने और एक्यूआई को कम से कम 25 से 50% तक कम करने के लिए दिल्ली / एनसीआर में एक मार्केट प्लेस पर नई वायु शोधन प्रणाली (एपीएस) की व्यवस्था करके परीक्षण करना है। यह वायुगति विज्ञान पर आधारित एक फिल्टर रहित तकनीक है जिसमें कोई आयनीकरण, उच्च वोल्टेज या उपभोज्य वस्तुएं नहीं है और हॉटस्पॉट और जोखिम में कमी के लिए उपयुक्त है, साथ ही शहरी सुंदरता पर बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के व्यापक स्तर पर लागू की जा सकती है।

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यह प्रस्ताव फिल्टर रहित विभाजकों (होरिजोंटल साइक्लोन) के उपयोग से हवा को साफ करने के लिए अपनी वायु गति का उपयोग करने के लिए बसों में लगाकर फिल्टररहित एयर क्लीनर के प्रदर्शन से संबंधित है। स्थायी संचालन के लिए एकल सौर ऊर्जा के प्रावधान के चलते इसकी संचालन लागत कम है।

यह प्रस्ताव सिस्टम स्तर के परीक्षण और जांच सहित वाहनों पर विभिन्न ऊंचाइयों पर प्रोटोटाइप विकास के बारे में है। दो और तिपहिया वाहनों को रेट्रोफिट किट को मैकेनिकल तथा इलेक्ट्रिकल इंटीग्रेशन के द्वारा लगाया जाएगा। रेट्रोफिटेड वाहनों को उपयोग के लिए उतारा जाएगा और रन टाइम डेटा एकत्र किया जाएगा।

अध्ययन को सफलतापूर्वक पूरा करके दोपहिया/तिपहिया वाहनों के रेट्रो फिटमेंट के पूर्ण वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर साक्ष्य सामने आएंगे।

परियोजनाओं का उद्देश्य वायु गुणवत्ता की निगरानी/क्षेत्रीय कार्यान्वयन योग्य समाधान/प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन के लिए बेहतर क्षमताएं विकसित करना है, ताकि आयोग एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे के खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूत कर सके। एनसीआर की वायु गुणवत्ता से जुड़ी समस्याओं की पहचान और समाधान के लिए प्रत्येक परियोजना के लिए बजटीय आवंटन के साथ विशिष्ट समय सीमा भी निर्धारित की गई है।

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एमजी/एएम/एमपी/वाईबी