श्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित किया; उद्योग जगत से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप एक सक्षम इकोसिस्टम बनाने का आह्वान किया

केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित किया और 21वीं सदी के लिए भविष्य की जरूरतों के अनुरूप श्रमशक्ति तैयार करने तथा आर्थिक विकास एवं सामाजिक कल्याण को संभव बनाने हेतु उद्योग, शिक्षा जगत और नीति निर्माताओं को मिलकर काम करने की जरूरत के बारे में बात की।  

एनईपी 2020 के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, जोकि  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप एक दार्शनिक दस्तावेज है, के कार्यान्वयन की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि बचपन से लेकर उच्च शिक्षा और कौशल विकास तक, हम सभी स्तरों पर समग्र शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।

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केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षा प्रणाली को सभी बाधाओं को तोड़ना चाहिए और छात्रों को सशक्त बनाना चाहिए। हम शिक्षा के इकोसिस्टम को अधिक समावेशी बनाने के लिए मातृभाषा एवं स्थानीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने की शुरुआत कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से समाज में संपत्ति के सृजनकर्ताओं (वेल्थ क्रिएटर्स) की जरूरत के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार को ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ की भावना के साथ सहयोगी की भूमिका निभानी चाहिए।

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श्री प्रधान ने कहा कि हमारे संपत्ति के सृजनकर्ताओं (वेल्थ क्रिएटर्स) को 21वीं सदी की जरूरतों  के अनुरूप श्रमशक्ति के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने उद्योग जगत से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप एक सक्षम इकोसिस्टम बनाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि सही ज्ञान की मांग पैदा करके, अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश करके, मौजूदा श्रमशक्ति को फिर से कुशल बनाने और उनके कौशल को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करके, उद्योग जगत के सदस्य एक अधिक निपुण श्रमशक्ति बनाने और भारत के उज्जवल भविष्य के निर्माण में योगदान कर सकते हैं।

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