पेगासस जासूसी और कृषि कानून से नहीं भारत को असली खतरा तालिबान से है। क्या तालिबान की शिक्षाओं पर भारतीय मुसलमान रह सकते हैं?

अमरीका तो सात समंदर पार बैठा है, इसीलिए अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जाने पर अमेरिकियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत की सीमा तो अफगानिस्तान से लगी हुई है। बची खुची अफगान सरकार ने तालिबान के समक्ष सत्ता में भागीदारी का प्रस्ताव भी रखदिया है। तालिबानी लड़ाके अपनी शिक्षा के अनुरूप जो अत्याचार कर रहे हैं उससे बचने के लिए लाखों मुस्लिम पुरुष, औरतें और बच्चे अपना देश छोड़ कर भाग रहे हैं।
सवाल उठता है कि तालिबान की जो शिक्षा है, क्या उसके अनुरूप भारतीय मुसलमान रह सकते हैं? जब मुसलमान ही तालिबान की शिक्षाओं के अनुरूप नहीं रह सकते हैं, तब अन्य धर्मों के लोगों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। भारत में हिन्दुओं के साथ साथ बड़ी संख्या में मुसलमान भी रहते हैं, इसलिए अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से सबसे ज्यादा खतरा भारत को है। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दल के नेता पेगासस जासूसी और कृषि कानूनों को देश के लिए खतरा बता रहे हैं।
इजरायल के सॉफ्टवेयर पेगासस से किस भारतीय की जासूसी हुई और इस जासूसी से कितना नुकसान हुआ, यह राहुल गांधी ही बता सकते हैं। जिस कृषि कानून को देश का आम किसान अच्छा बता रहा है, उस कानून से भी विपक्ष को खतरा नजर आता है। विपक्ष की अपनी राजनीतिक समझ है, लेकिन यदि तालिबानी भारत में प्रवेश करते हैं तो फिर विपक्ष के किसी भी नेता को संसद में हंगामा करने का अवसर ही नहीं मिलेगा। विपक्ष के जो नेता पेगासस जासूसी और कृषि कानूनों को देश के लिए खतरा बता रहे हैं उन्हें तालिबान की नीतियों और शिक्षाओं का अध्ययन कर लेना चाहिए।
राहुल गांधी और विपक्ष के नेता यह नहीं समझे कि तालिबान अफगानिस्तान तक ही सीमित रहेगा। जो पाकिस्तान आज तालिबान को मदद कर रहा है, सबसे पहले तालिबानी सोच पाकिस्तान पर ही लादी जाएगी और िफर भारत का नम्बर आएगा। भारत में भी मुसलमानों की संख्या पाकिस्तान के बराबर हो गई है। जब तालिबान की सोच भारत में मजबूत होगी तो हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। अच्छा हो कि विपक्षी दलों के नेता सरकार के साथ बैठकर तालिबान की सोच को रोकने की रणनीति बनाएं। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को भारत को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। कुछ लोग सोचते हैं कि अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत पर असर नहीं पड़ेगा, यह उनकी नासमझी है। हमें अपने आंतरिक हालात भी देखने होंगे। अच्छा हो कि विपक्षी नेता भी तालिबान के मुद्दे को गंभीरता से लें।