सरकार द्वारा एकत्र किए गए भू-स्थानिक आंकड़ों (जियोस्पेशियल डेटा) को भारत में नागरिकों और संगठनों के लिए स्वतंत्र रूप से और आसानी से उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन एप्लिकेशंस का उद्घाटन किया गया

भारतीय सर्वेक्षण विभाग (सर्वे ऑफ़ इंडिया (एसओआई)) भू-स्थानिक (जियोस्पेशियल) आंकड़े  प्रसार पोर्टल, एसओआई के सारथी (एसएआरटीएचआई) : वेब जीआईएस एप्लिकेशन और राष्ट्रीय एटलस और विषयगत मानचित्रण संगठन (एनएटीएमओ) के मानचित्रण एंटरप्राइज जियोपोर्टल- कुल तीन ऑनलाइन एप्लिकेशंस का आज उद्घाटन किया गयाI इससे अब सरकार द्वारा एकत्र किए भू-स्थानिक आंकड़ों को भारत में नागरिक और अन्य संगठन स्वतंत्र रूप से और आसानी प्राप्त कर सकते हैं।

वेब जीआईएस एप्लिकेशंस और राष्ट्रीय एटलस व विषयगत मानचित्रण संगठन (एनएटीएमओ) के मानचित्रण एंटरप्राइज जियोपोर्टल का उद्घाटन करते हुए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि“यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि यह पहली बार है कि सरकार द्वारा एसओआई और एनएटीएमओ से शुरू की गई डेटा वितरण की व्यवस्था से अब भारत में नागरिकों और संगठनों के लिए आकंड़ों की प्राप्ति स्वतंत्र रूप से और आसानी से उपलब्ध हो गई है। वास्तव में यह भारतीय सर्वेक्षण विभाग (सर्वे ऑफ़ इंडिया (एसओआई)) और राष्ट्रीय एटलस व विषयगत मानचित्रण संगठन (एनएटीएमओ) की यात्रा में एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है, जो आंकड़ों (डेटा) के लोकतंत्रीकरण की भावना को चिह्नित करता है।

उन्होंने कहा कि “फरवरी 2021 में शुरू की गई नई भू-स्थानिक नीति ने सर्वेक्षण और मानचित्रण के सभी नियमों को खत्म कर दिया, इस प्रकार अतीत की बहुत सारी बाधाओं को एक ही झटके में हटा दिया गया। भू-स्थानिक डेटा के उदारीकरण और लोकतंत्रीकरण से 2030 तक अपेक्षाकृत अधिक अप्रत्यक्ष प्रभाव के साथ-साथ लगभग 1 लाख करोड़ का प्रत्यक्ष प्रभाव अर्थव्यवस्था पर होगा।

इस अवसर पर भारतीय सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक श्री नवीन तोमर ने कहा कि, “इस ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत के बाद उपयोगकर्ताओं को अब एसओआई कार्यालयों में आने की आवश्यकता नहीं होगी और वे भारत सरकार के भारत कोष भुगतान गेटवे के माध्यम से आसानी से अपने घर से ही इन उत्पादों को ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं।”

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सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा विकसित यह ऑनलाइन पोर्टल मानचित्रों और विभिन्न कार्यात्मकताओं का एक ऐसा समृद्ध भंडार है जो आसान पहुंच प्रदान करेगा और सरकारी व निजी उपयोगकर्ताओं के लिए सार्वजनिक धन से तैयार किया गया भू-स्थानिक डेटा उपलब्ध कराएगा। यह पोर्टल भारत के नागरिकों को डिजिटल भौगोलिक मानचित्र, रेलवे मानचित्र, राजनीतिक मानचित्र, डिजिटल भौगोलिक सड़क मानचित्र और भारत के डिजिटल भौगोलिक भौतिक मानचित्र के साथ-साथ खुली श्रृंखला मापन पैमाना (ओपन सीरीज मैप स्केलिंग)जैसे डिजिटल उत्पादों की एक श्रृंखला प्रदान करता है।

श्री नवीन तोमर ने बताया कि सारथी वेब जीआईएस लोगों के हाथों में जीआईएस पहुंच जाएगा   और इससे लेखा परीक्षणों की औपचारिकता के साथ डेटा सत्यापन में समय और संसाधनों की बचत भी होगी, जिससे पंचायती राज मंत्रालय की पहल: स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और गांव के क्षेत्रों में तात्कालिक तकनीक के साथ मानचित्रण) की सुविधा प्राप्त होगी।

सारथी एक वेब भौगोलिक सूचना प्रणाली जीआईएस एप्लिकेशन है जो जीआईएस उपकरण जैसे स्थानिक डेटा विज़ुअलाइज़ेशन, परिवर्तन एवं विश्लेषण आदि के साथ वेब एप्लिकेशन विकास में नई प्रौद्योगिकियों और प्रविधियों का उपयोग करता है, और संसाधनों के कम सेकम उपयोग के साथ हर उपयोगकर्ता के लिए आसानी से सुलभ होगा।यह कस्टम एप्लिकेशंस को बनाने की आवश्यकता को कम करता है और अन्य व्यावसायिक प्रणालियों के साथ जीआईएस को एकीकृत करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह नई भू-स्थानिक नीति के अनुरूप परस्पर-संगठनात्मक सहयोग को सक्षम बनाता है और इसके लिए स्थानीय भाषाओं का प्रयोग भी किया जा सकता है।

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मानचित्रण के बारे में बोलते हुए राष्ट्रीय एटलस और विषयगत मानचित्रण संगठन (एनएटीएमओ) की निदेशक डॉ. तापती बनर्जी ने कहा कि एनएटीएमओ का यह उद्यम भू-पोर्टल भू-स्थानिक डेटा स्रोतों के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है, और एप्लिकेशंस के साथ बुनियादी ढांचे की स्थापना वर्ष 2017 में शुरू की गई थी और अब आखिरकार यह इस वर्ष 2021 में ऑनलाइन हो गया है। यह भारत के नागरिकों के लिए विस्तारित सेवाओं का एक नया आयाम खोलेगा, और “मानचित्रण” के विभिन्न प्रभाग (बिल्डिंग ब्लॉक) छात्रों, शोधकर्ताओं, उद्योग क्षेत्र और नीति निर्धारकों, नीति निर्माताओं एवं प्रशासनिक निर्णय आदि की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे।

यह जियो-पोर्टल उस विशाल, प्रमाणित और मूल्यवान डेटा को प्रदर्शित करता है जिसे एनएटीएमओ ने अपनी 65 वर्षों की लंबी सेवा अवधि के दौरान हासिल किया था। उपयोगकर्ता “मानचित्रण” में नक्शे औरएटलस और विभिन्न भू-स्थानिक डेटा परतों को देखने, डाउनलोड करने और उस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। एनएटीएमओ ने इस जियोपोर्टल को ज्यादातर  भारत में निर्मित स्वदेशी (मेक-इन-इंडिया) तकनीकों केसाथ और न्यूनतम वित्तीय भागीदारी और न्यूनतम निर्धारित समय अवधि के भीतर विकसित किया है।

डीएसटी में संयुक्त सचिव श्री सुनील कुमार, श्री के नारायणन उप महानिदेशक और एसआईओ राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, देहरादून ने भी भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) के वरिष्ठ प्रतिनिधियों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों के साथ ऑनलाइन भू-स्थानिक एप्लिकेशंस के इस शुभारंभ समारोह में भाग लिया।

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