निर्यात की संभावनाओं तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए एपीडा ने आईसीएआर-भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया

गुणवत्तापूर्ण उत्पादन तथा प्रसंस्करण के जरिये निर्यात बढ़ाने के लिए, कृषि तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने आज आईसीएआर-भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईएमआर) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जिससे निर्यात की संभावनाओं तथा किसानों की आय को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

एमओयू का प्रमुख फोकस निर्यात के लिए आईसीएआर-आईआईएमआर द्वारा विकसित कदन्न(बाजरा) की प्रसंस्करण योग्य किस्मों की वाणिज्यिक खेती को बढ़ावा देना होगा जिससे उच्च पोषक गुणों वाले अनाज, बाजरा के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

एमओयू में किसानों तथा किसान उत्पादक संगठनों के साथ मार्केट लिंकेज के सृजन की परिकल्पना भी की गई है। एमओयू के तहत परिकल्पित लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए एपीडा तथा आईसीएआर-आईआईएमआर के प्रतिनिधियों के साथ एक संयुक्त समन्वयन समिति का गठन किया जाएगा।

एमओयू का उद्वेश्य आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला लिंकेज, तकनीकी भंडार, नैदानिक अध्ययनों, जागरूकता निर्माण, नीतिगत बदलावों तथा उद्यमियों की पाइपलाइन के साथ निर्यात केंद्रित परितंत्र का निर्माण करना है।

एपीडा तथा आईसीएआर-आईआईएमआर दोनों ही बाजारों की समझ, उपभोक्ता वरीयताओं, उभरते क्षेत्रों के लिए ज्ञान विकसित करने, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता, बाजारों की कीमत अस्थिरता तथा मानदंडों, विनियमनों और व्यापार नीतियों पर बाजार की जानकारी का विश्लेषण करने के लिए कार्य करेंगे।

दोनों प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए निर्यात समूहों की पहचान करने और एफपीओ के साथ हितधारकों को जोड़ने के लिए सभी प्रमुख हितधारकों के सहयोग से कदन्न (बाजरा) निर्यात संवर्धन मंच का गठन किया जाएगा।

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एमओयू बाजरा के निर्यात के पक्ष में नई नीतिगत बदलावों तथा समन्वयन लाने के लिए सरकारी विभागों को संवेदीकरण, संवर्धन और नीतिगत समर्थन से संबंधित काम पर जोर देता है।

दोनों ही संगठन संयुक्त रूप से एक निर्यात कार्यनीति का विकास करेंगे और इसी के अनुरूप बाजरा का निर्यात बढ़ाने के लिए विभिन्न निर्यात नीतियों तथा योजनाओं पर वर्तमान बाजरा प्रसंस्करणकर्ताओं और उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन करेंगे।

बाजरा के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ट्रेसियबिलिटी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आदि जैसी नई संरचनाओं का विकास तथा कार्यान्वयन किया जाएगा। एमओयू के तहत, निर्यात अनुपालन के लिए स्टार्टअप्स के लिए प्राथमिक सहायता देने से संबंधित गतिविधियों की भी परिकल्पना की गई है।

आईसीएआर-आईआईएमआर द्वारा देश के सभी प्रमुख बाजरा उत्पादक क्षेत्रों में बाजरा उत्पादकों या किसानों की प्रोफाइलिंग तथा बीज आपूर्ति श्रृंखला के सुदृढ़ीकरण का कार्य किया जाएगा।

कदन्न (बाजरा) उच्च पोषक गुण वाली अनाज फसलें हैं और इन्हें छोटी बीज वाली घासों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। कदन्न की प्रमुख किस्मों में ज्वार, बाजरा, रागी, छोटी कदन्न, कंगनी, बार्नयार्ड बाजरा, कोदो बाजरा तथा अन्य शामिल हैं।

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र आम परिषद ने बाजरा के स्वास्थ्य लाभों तथा वैश्विक रूप से बदलती जलवायुगत स्थितियों के तहत उनकी उपयुक्तता को बढ़ावा देने के लिए 2023 को अंतरराष्ट्रीय कदन्न (बाजरा) वर्ष (आईवाईएम) के रूप में मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। चूंकि आईवाईएम अब नजदीक आ गया है, ऐसी उम्मीद है कि कई देशों में बाजरा की मांग बहुत तेजी से बढे़गी।

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आईसीएआर-आईआईएमआर लगातार समस्त बाजरा मूल्य श्रृंखला के साथ काम करता रहा है। कई परियोजनाओंके माध्यम से आईसीएआर-आईआईएमआर ने इन उपेक्षित फसलों के लिए मूल्य श्रृंखला का निर्माण करने तथा इस प्रकार देश में पोषण संबंधी सुरक्षा के लिए बाजरा को पुनर्जीवित करने के लिए कई युक्तियों का संचालन किया है।

बाजरा तथा बाजरा उत्पादों के निर्यात के बढ़ने की संभावना तथा सरकार द्वारा बाजरा क्षेत्र के विकास के लिए दिए जा रहे फोकस पर विचार करते हुए, एपीडा बाजरा तथा बाजरा उत्पादों के संवर्धन के लिए आईसीएआर-आईआईएमआर तथा राष्ट्रीय पोषण संस्थान, सीएफटीआरआई और एफपीओ जैसे अन्य हितधारकों के साथ एक दीर्घ अवधि रणनीति का निर्माण करता रहा है।

विभिन्न कृषि ऊपज की निर्यात संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए, एपीडा ने कोयंबटूर के तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, बेंगलुरु के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव फेडेरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नाफेड) तथा अन्य के साथ कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।

 

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