भारत ने ऊर्जा और जलवायु पर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के फोरम में कहा कि दुनिया को दूर के लक्ष्यों के बजाय इसी दशक में उत्सर्जन में तेजी के साथ, निरंतर और गहरी कटौती की जरूरत है

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा 17 सितंबर, 2021 को वर्चुअली संचालित ऊर्जा और जलवायु पर मेजर इकोनॉमीज फोरम (एमईएफ) में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना एक साझा वैश्विक चुनौती है, और हमारी प्रतिक्रिया एक बराबर और एक समान लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के मौलिक सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिये।

Reiterated the centrality of Climate Justice as highlighted by PM @NarendraModi Ji at various forums, which requires that the promises of climate finance and low-cost technology transfer from developed countries to developing countries, must be fulfilled without delay. pic.twitter.com/FDdKyz9tIq

मंत्री ने अपनी टिप्पणी में उल्लेख किया कि यद्यपि विश्व जनसंख्या में भारत की हिस्सेदारी 17% है, लेकिन अब तक हुए कुल उत्सर्जन में देश की हिस्सेदारी सिर्फ 4% है और यहां तक ​​कि देश का वर्तमान वार्षिक उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन का केवल 5.2% है और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग एक तिहाई है। जलवायु को लेकर कदम बढ़ाने की दिशा में राजनीतिक नेतृत्व हासिल करने के लिये विकसित और विकासशील देशों के प्रमुख उत्सर्जक देशों के बीच स्पष्ट बातचीत की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य के साथ होने वाली इस बैठक में माननीय मंत्री ने जोर देकर कहा “यह स्पष्ट है कि हम समस्या का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन हम जलवायु संकट के समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं।”

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पेरिस समझौते के तहत भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की जानकारी देते हुए, पर्यावरण मंत्री ने 2030 तक भारत के 450 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को रेखांकित किया और उल्लेख किया कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से सदस्य देशों की सहयोगी भावना के साथ भारत की सौर क्षमता में पिछले छह साल के दौरान पंद्रह गुना वृद्धि हुई है।

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माननीय पर्यावरण मंत्री ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में सामूहिक उद्देश्यों और ठोस कार्रवाइयों के लिए वैश्विक भावनाओं को प्रतिध्वनित करते हुए अपनी बात पूरी की। श्री भूपेंद्र यादव ने पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य को पहुंच के भीतर रखने के लिए सहयोगी और एकजुट वैश्विक प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा, “दुनिया को दूर के लक्ष्यों के बजाय इस दशक में तेजी से, निरंतर और गहरी उत्सर्जन कटौती की आवश्यकता है।”

अप्रैल 2021में आयोजित जलवायु पर नेताओं के शिखर सम्मेलन से तैयार आधार पर हुई वर्चुअल बैठक, जिसका उद्देश्य सीओपी26से पहले संवाद, चर्चा और आम सहमति बनाना था, जो आने वाले वर्षों में जलवायु प्रयासों के लिए एक मिसाल कायम करेगा।

 

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एमजी/एएम/एसएस