राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने देश में उपलब्धियां हासिल करने और स्टार्टअप शुरू करने वाली उन लड़कियों के साथ बातचीत की जिन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है

राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने देश में उपलब्धियां हासिल करने और स्टार्टअप शुरू करने वाली उन लड़कियों के साथ बातचीत की, जिन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उन्होंने लाभप्रद आजीविका और नए व्यावसायिक अवसरों से लैस टिकाऊ स्टार्टअप शुरू करने पर जोर दिया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कई सरकारी योजनाएं, बच्चों को नवाचारी तरीके से सोचने, लीक से हटकर विभिन्न समस्याओं का समाधान तलाशने और अतीत की बाधाओं को दूर करते हुए अनूठी पहल करने के प्रति आत्मविश्वास पैदा कर रही हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान “नवाचार नए भारत के सपने को साकार करने की कुंजी है” का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने उपलब्धियां हासिल करने वाले युवाओं को सभी प्रकार का सरकारी समर्थन एवं सहायता प्रदान करने का भरोसा दिया और कहा कि लड़कियों के सशक्तिकरण से हमारा आने वाला कल बेहतर होगा।

ऑनलाइन बातचीत के दौरान, दिगंतिका बोस, बेंगलुरु की बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा ने बताया कि उसने एक वायरस नष्ट करने वाला मास्क विकसित किया जो कोरोना से बचाव में भी कारगर है और इस प्रोजेक्ट को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ साझा किया गया है। उसने इस उत्पाद को बाजार में लाने के लिए मंत्री महोदय से मदद मांगी, जिस पर जितेंद्र सिंह ने उन्हें मार्केटिंग करने से पहले उत्पाद के साक्ष्य-आधारित परीक्षण में सहायता प्रदान करने का वादा किया।

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मनीषा रमोला, उत्तराखंड की बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- आधारित समाधान विकसित किया है जिसमें केवल एक इमेज के साथ औषधीय पत्तियों और जड़ी-बूटियों के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जितेंद्र सिंह ने छात्रा की नवोन्मेष करने के लिए सराहना की, जिसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भावी अवधारणा के साथ हिमालय के प्राचीन हर्बल औषधि ज्ञान को समाहित किया है।

निशि गोस्वामी, पन्ना, मध्य प्रदेश की निवासी ने मंत्री महोदय के सामने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- आधारित एक चैटबॉट का प्रदर्शन किया जो एक डॉक्टर की तरह परामर्श सेवाएं प्रदान करता है और एक उपयोगकर्ता को स्वास्थ्य और चिकित्सा संबंधी प्रश्नों का उत्तर देता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने निशि गोस्वामी को बताया कि उसने रोगी और डॉक्टर के बीच एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- आधारित इंटरफेस विकसित किया है। इसे विस्तार देकर टेली मेडिसिन के साथ जोड़ा जा सकता है।

विनीषा उमाशंकर तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई की निवासी ने अपनी सोलर आयरनिंग कार्ट को प्रस्तुत किया, जबकि मान्या जोशी, दिल्ली की 12वीं कक्षा की छात्रा ने प्राकृतिक आपदाओं के लिए एक पूर्वानुमान प्रोजेक्ट शुरू किया है।

अनुष्का श्रीवास्तव, भोपाल की 12वीं कक्षा की छात्रा ने पर्यावरण के अनुकूल पानी की बोतल का विचार प्रस्तुत किया।

उपलब्धियां हासिल करने वाली सभी लड़कियों को धैर्यपूर्वक सुनने के बाद, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा सभी अभिनव विचारों को पूरा करने की दिशा में सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे और उन्होंने सभी लड़कियों से सहायता और समर्थन प्राप्त करने के लिए जुड़े रहने को कहा। मंत्री महोदय ने इस बात की सराहना की कि भारत की लड़कियां वैज्ञानिक नवाचारों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

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डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा छात्राओं के बीच उच्च माध्यमिक स्तर पर विज्ञान विषय को लोकप्रिय बनाने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कक्षा 9-12 की मेधावी छात्राओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षा और करियर बनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2019-20 में डीएसटी के नए कार्यक्रम ‘विज्ञान ज्योति’ का उल्लेख किया। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, उन्हें प्रोत्साहन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह कार्यक्रम देश के 100 जिलों में लागू किया गया है।

इसी प्रकार मंत्री ने यह भी बताया कि डीएसटी के एक प्रमुख कार्यक्रम, इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च (इंस्पायर) योजना के अंतर्गत मानक (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशंस एंड नॉलेज) पुरस्कार कार्यक्रम का लक्ष्य, विशेष रूप से कक्षा 6 से 10 के स्कूली बच्चों के बीच रचनात्मकता और अभिनव विचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए, विज्ञान और सामाजिक अनुप्रयोगों में निहित एक मिलियन मौलिक विचारों/नवाचारों का सृजन करना है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-2021 में इस कार्यक्रम के तहत देश में 2 लाख से ज्यादा मिडिल और हाई स्कूलों ने 6.53 लाख विचार प्रस्तुत किए और उनमें से सर्वश्रेष्ठ को जिला, राज्य और राष्ट्र स्तर की प्रदर्शनियों और प्रोजेक्ट प्रतियोगिताओं में शॉर्टलिस्ट किया गया है और प्रदर्शित किया गया है।

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